नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर राष्ट्रव्यापी विरोध के बीच केरल में एक शख्स ने आरटीआई दाखिल करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नागरिकता का सबूत मांगा है. ख़बरों के अनुसार राज्य के सूचना विभाग में अर्जी के जरिए पूछा गया है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी भारतीय नागरिक हैं? यह मांग केरल के त्रिशूर निवासी जोश कल्लूवेटिल ने राज्य सूचना विभाग के प्रमुख को एक आवेदन देकर पीएम मोदी के नागरिकता को साबित करने वाले दस्तावेज की मांग की है. यह आवेदन त्रिशूर के चालक्कुडी नगरपालिका में दिया गया है.
RTI applicant in Kerala seeks proof of PM Modi’s citizenship https://t.co/KJqhAwxmVF
— Scroll.in (@scroll_in) January 17, 2020
जोश कल्लूवेटिल ने 13 जनवरी को केरल के सूचना विभाग में आरटीआई डाली थी. याचिका में कहा गया है कि ऐसे कौन से दस्तावेज हैं जिससे साबित होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के नागरिक हैं.
A Kerala resident has filed the application to know whether PM Modi is an Indian citizenhttps://t.co/N1unawEHyL
— IndiaToday (@IndiaToday) January 17, 2020
केरल देश का पहला राज्य है जो नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया है.केरल एक ऐसा राज्य है जहां सत्ताधारी गठबंधन एलडीएफ और विपक्ष का गठबंधन यूडीएफ दोनों ही सीएए का विरोध कर रहा है.
The application, moved on January 13, by Joshy Kalluveettil, a native of #Chalakkudy town in Kerala's #Thrissur district, sought to know whether PM Modi is an Indian citizen.@narendramodi
https://t.co/5R1UTu7P12— The Logical Indian (@LogicalIndians) January 17, 2020
हाल ही में केरल की विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से सीएए को वापस लेने का आग्रह किया था.
इस बीच खबर है कि केरल सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि यह सुनिश्चित करें कि किसी भी हाल में राज्य में एनपीआर प्रक्रिया शुरू न होने पाए, निर्देश का पालन न होने पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
The Kerala government has asked its district collectors to ensure that #NPR process is not carried out and warned of disciplinary action against officials if the government decision is not followed.@xpresskerala https://t.co/qROe7lyAo8
— The New Indian Express (@NewIndianXpress) January 17, 2020
गौरतलब है कि केरल के बाद पंजाब सरकार ने भी नागरिकता कानून के खिलाफ 17 जनवरी को विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है.