प्राकृतिक आपदा इंसान को मजबूर कर देता है। सिर्फ सुरक्षित रहने के लिहाज़ से ही नही बल्कि हर तरह की मजबूरी, चाहे वह जिंदा रहने और पेट भरने के लिए बाकी शहरों के बुकाबले दो से तीन गुना ज्यादा कीमतों पर चीज़े ही क्यों न लेनी पढ़े। ऐसी ही मजबूरी धारचूला में व्यास और दारमा घाटी के लोगों के साथ है। सुन कर आपको आश्चर्य होगा कि चीन सीमा से सटी इन दोनो घाटी के साथ-साथ दैवीय आपदा झेल रहे गांवों में 2500 रुपये तक के एक एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध हो रहे हैं। कहीं- कहीं तो सिलेंडर के लिए तीन हजार रुपये तक देने पड़ते हैं। यही यहां की हकीकत है।
क्यों इतने महंगे है यहां सिलेंडर?
दरअसल, धारचूला से चीन सीमा के गांवों तक एलपीजी सिलेंडर पहुंचाने के लिए एक यात्री के समान किराया देना पड़ रहा है। इन दूरदराज के इलाकों में टैक्सियों के जरिए सिलेंडरों की आवाजाही है। किराया इतना अधिक है कि दूसरी जगहों पर करीब 900 रुपये में मिलने वाला एक सिलेंडर गांव पहुंचते-पहुंचते तीन गुना महंगा हो जाता है। समझने के लिए चीन सीमा पर आखिरी गांव कुटी उदाहरण है। धारचूला से कुटी 120 किमी दूर है। यहां तक का यात्री किराया 1200 रुपये है। एक सिलेंडर के लिए भी इतना ही भाड़ा देना पड़ता है।
कई गांवों में गैस सिलिंडर 3000 रुपये तक..
वहीं, धारचूला से 80 किमी दूर गुंजी के लिए सिलिंडर का किराया 800 रुपये है। दारमा घाटी तक सिलेंडर पहुंचाने के लिए 600 रुपये देने पड़ते हैं। कई जगह सड़क बंद होने के कारण सिलेंडर ढोने के लिए मजदूर लगाने पड़ रहें हैं। बिना सड़क सुविधा वाले गांवों तक सिलेंडर पहुंचाने के लिए भी लागत से अधिक भाड़ा चुकाना पड़ता है। बता दें की तवाघाट-सोबला सड़क 70 दिनों से बंद है। चौदास घाटी के 14 गांवों में तवाघाट से कांज्योति तक 10 किलोमीटर का चार्ज लगाकर करीब 2500 रुपये में गैस सिलेंडर उपलब्ध कराया जा रहा है। कुटी के निवासियों ने बताया कि धारचूला- कुटी सड़क बंद होने से व्यास घाटी के सात गांवों में गैस सिलिंडर 2000 से 3000 रुपये तक में पहुंच रहा है।
सरकार से लोगों की मांग..
लोगों का कहना है कि जदबुंगा, अमल्यानी, सेकली, मल्ला धुरा, तल्ला मल्ला खुमती, भुरभूरिया, कटोजिया टोक में सिलेंडर के लिए अतिरिक्त 300 रुपये भाड़े का भुगतान करना पड़ता है। यहां के लोगो और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सरकार से 2 सिलिंडर निशुल्क देने की मांग है। जिससे उनकी परेशानियां कुछ हद तक कम हो सके। लोगों का होना है कि यह इलाका आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है। आजकल कई सड़कें बंद हैं, जिसे देखते हुए सरकार को आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को कम से कम दो एलपीजी गैस सिलेंडर मुफ्त में देने चाहिए। सरकार सिलेंडर और अन्य रोज़मर्रा के सामान के दाम लगातार बढ़ाकर सीमांत के लोगों की परेशानी बढ़ा रही है।
सोचने वाली बात है। यहां आम गरीब जनता 900 रूपये के सिलेंडर नही खरीद पा रही है। आए दिन बढ़ते दामों को लेकर हाहाकार रहता है। दूसरी ओर ऐसे इलाके जो आपदा के लिहाज़ से अतिसंवेदनशील है वहां की गरीब जनता को 3000 रूपये तक देकर सिलेंडर लेने पड़ रहे हैं और सरकार का उन पर कोई ध्यान नहीं है।