ये नया रेकॉर्ड है, लेकिन किसी भी मायने में कोई अच्छा रेकॉर्ड नहीं है। भारत में 3 जून को, कोरोना के 9,578 नए मामले सामने आए हैं। हमने आज नए मामलों में विश्व में दूसरे पायदान पर छलाँग मार ली है। विश्व में आज दर्ज हुए नए केसेज़ में भारत अब सिर्फ़ अमेरिका से पीछे है। अमेरिका में 11,363 नए मामले आए हैं। हालाँकि अमेरिका ने आज तक़रीबन 6,77,094 टेस्ट्स किए हैं जबकि भारत ने आज सिर्फ़ 1,37,158 टेस्ट्स किए हैं। इसका मतलब किए गए टेस्ट्स में अमेरिका में क़रीब क़रीब 1.7% सैम्पल्ज़ पॉज़िटिव आए हैं और भारत उसकी संख्या लगभग 7% है। एक और बात भारत में 16 मई से हर दिन किए गए टेस्ट्स में पॉज़िटिव सैम्पल्ज़ की दर 5% से ज़्यादा ही आयी है।
नीचे दिए गए दोनो ग्राफ़्स में हम अगर टेस्ट्स, नए केसेज़ प्रतिदिन और नयी रिकवरी प्रतिदिन की तुलना करें तो हमें एक और बात अच्छे से समझ पाएँगे। पहले ग्राफ़ के अनुसार हम जितने टेस्ट्स कर रहे हैं और जितने केसेज़ रोज़ पॉज़िटिव आ रहे हैं वो लगभग समान दर पर आगे बढ़ रहे हैं। मतलब अगर हम कम टेस्ट्स करेंगे तो संक्रमण की संख्या का सही अंदाज़ा नहीं लगा पाएँगे।
परंतु इस दूसरे ग्राफ़ के अनुसार हमारे टेस्ट्स की दर अगर कम भी होती है तो रिकवरी रेट पर कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ रहा है। इसका मतलब हो सकता है आने वाले वक़्त में हमारी रिकवरी रेट बढ़ती चली जाए और उसका टेस्ट्स से कोई सम्बंध नहीं रह जाएगा।इस अंतर को समझने के लिए आप हमारा दूसरा लेख भी पढ़ सकते हैं।
अब जब देश में अन्लॉक 1.0 शुरू हो गया है, पर बढ़ते हुए केसेज़ के चलते, प्रभाव तो जनता पर पड़ेगा ही, लेकिन लॉक्डाउन ख़त्म होते ही क्या इसकी सारी ज़िम्मेदारी भी एक आत्मनिर्भर भारतीय की होगी या “निर्भर” सरकार की?
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