उत्तराखंड और केरल सहित पूरे भारत में हाल के दिनों में मौसम का जो विनाशकारी रूप दिखा गया हैं। उसके बाद भारत पर एक खतरे की घंटी लटक गई है। दरअसल, एक अमेरिकी खुफिया आकलन ने भारत और पाकिस्तान को उन 11 देशों में से एक के रूप में पहचाना है जो जलवायु परिवर्तन (climate change) के कारण होने वाले पर्यावरणीय और सामाजिक संकटों के लिए तैयार होने और प्रतिक्रिया करने की क्षमता के लिए सबसे कमज़ोर हैं।
चीन और भारत क्रमशः पहले और चौथे सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक..
इस बात का सीधा मतलब यह है कि भारत जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले संकटों के लिए तैयार होने और उससे निपटने के लिए सबसे कमज़ोर 11 देशों में से एक है। रिपोर्ट में कहा गया है, “चीन और भारत क्रमशः पहले और चौथे सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक हैं। दोनों अपने कुल और प्रति व्यक्ति उत्सर्जन में वृद्धि कर रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं।”
चिंता के चयनित देशों में से एक भारत..
आपको बता दें कि रिपोर्ट में भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान सहित 11 देशों कोशिश यह चेतावनी दी गई है कि उन्हें गर्म तापमान, अधिक चरम मौसम और समुद्र के पैटर्न में व्यवधान का सामना कर सकते हैं। भारत समेत 11 देशों की पहचान “चिंता के चयनित देशों” के रूप में की गई है।
ग्लेशियर वाली नदियों के सतह के निचले पानी पर पाकिस्तान निर्भर..
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अपनी अधिकांश सिंचाई के लिए भारत से निकलने वाली भारी ग्लेशियर वाली नदियों के सतह के नीचे के पानी पर निर्भर है। नदी के बहाव पर भारत से निरंतर डेटा की आवश्यकता है। रिपोर्ट में यह माना गया है कि ” सीमा पार प्रवास शायद बढ़ेगा क्योंकि जलवायु प्रभावों ने पहले से ही खराब शासन, हिंसक संघर्ष और पर्यावरणीय गिरावट के तहत आंतरिक रूप से विस्थापित आबादी पर अतिरिक्त तनाव डाला है। बढ़ते प्रवास से सूखा, तूफान के साथ अधिक तीव्र चक्रवात शामिल होने की संभावना है।”