अविरल गंगा पर मोदी की अनसुनी से आहत स्वामी सानंद ने अनशन के 112वें दिन प्राण त्यागे

 

अविरल और स्वच्छ गंगा के लिए विशेष कानून बनाने की माँग को लेकर 112 दिनों से आमरण अनशन कर रहे 86 वर्षीय स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का आज दोपहर ऋषिकेश में निधन हो गया। कल यानी बुधवार को पुलिस ने जबरन उन्हें अनशन स्थल से उठाकर एम्स में भर्ती कराया था। लेकिन अस्पताल में भी उन्होंने अनशन नहीं तोड़ा।

गंगा स्वच्छ न होने पर प्राण त्यागने का ऐलान करने वाली केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने बाद में विभाग ही छोड़ दिया लेकिन स्वामी सानंद इस मुद्दे पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं थे। उनका आरोप था कि बीजेपी सरकार गंगा के प्रति चाहे जितनी आस्था जताए, विकास के नाम पर वह सबकुछ करती रही जिससे गंगा का जीवन ख़तरे मे है। स्वामी सानंद इससे काफ़ी दुखी थे। उन्होंने इस साल 13 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था जिसका कोई जवाब नहीं आने पर 22 जून से उन्होंने अपना आमरण अनशन शुरू कर दिया था। उन्होंने गंगा रक्षा के संबंध में एक ड्राफ्ट तैयार किया था जिसके आधार पर एक्ट बनाने के लिए सरकार को 9 अक्टूबर तक का समय दिया था। जब यह माँग पूरी नहीं हुई तो 10 अक्टूबर से उन्होंने जल त्याग कर दिया।

स्वामी सानंद ने अपना पहला अनशन 2008 में किया था जिसकी वजह से सरकार को 380 मेगावाट की भैरोघाटी और 480 मेगावाट की पाला-मनेरी जल विद्युत परियोजनाएं ऱद्द करनी पड़ीं। 2009 में उन्होंने एक बार फिर अनशन किया जिसकेबाद लोहारीनाग-पाला परियोजना रुकी। स्वामी सानंद मदन मोहन मालवीय द्वारा 1905 में स्थापित गंगा महासभा के संरक्षक भी थे।

स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद (गुरु प्रसाद अग्रवाल) का जन्म 1932 में मुज़्ज़फ़रनगर के काँधला में हुआ था। उन्होंने आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। कैलीफोर्निया युनिवर्सिटी से उन्होंने एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग में पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की थी। करियर की शुरुआत उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग से की थी। बाद में वे आईआईटी कानपुर मे पढ़ाने लगे और वहाँ सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष बने। वे केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के पहले सदस्य सचिव थे (1979-80) थे। जीवन के उत्तरार्ध में वे पूरी तरह गंगा को समर्पित हो गए। 2011 में उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली और प्रो.गुरुदास अग्रवाल से स्वामी सानंद हो गए।

स्वामी सानंद का मानना था कि जैसे पहले गंगा एक्शन प्लान के अंतर्गत अरबों रूपए खर्च करने के बावजूद गंगा की स्थिति में कोई सुधार नहीं बल्कि बिगाड़ ही हुआ है, उसी तरह राष्ट्रीय गंगा नदीघाटी प्राधिकरण व 2020 तक स्वच्छ गंगा मिशन के तहत भी अरबों रूपए खर्च हो जाएंगे लेकिन गंगा न स्वच्छ होगी और न अविरल। उनका कहना था कि नरेन्द्र मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद जोर-शोर से ’नमामि गंगे’ परियोजना शुरू तो हुई लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ।

 



 

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