पितृसत्ता का अट्टहास: झारखंड में महिला को महिलाओं ने ही निर्वस्त्र घुमाया

झारखंड के बोकारो में मानवता को शर्मसार करने वाली बेहद अमानवीय घटना सामने आई है। 22 मई को बोकारो जिले के पेटरवार थाना अंतर्गत चांपी पंचायत में एक महिला पर चरित्रहीन होने का आरोप लगाकर उसे अर्धनग्न करके, उसके बाल काटकर एवं मुंह पर कालिख पोत कर पूरे पंचायत में घुमाया गया है। विडम्बना ये है कि इस घटना को गांव की ही कई महिलाओं के द्वारा ही अंजाम दिया गया। दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण के खतरों की बिना परवाह किए सोशल डिस्टेंसिंग के सरकारी फरमान का भी उलंघन हुआ।

चांपी पंचायत के मुखिया श्रीराम हेम्ब्रम ने बताया कि 21 मई की शाम 35 वर्षीय पीड़ित महिला पर, एक महिला ने अपने पति के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाते हुए मारपीट की थी। जिसकी शिकायत को लेकर पीड़िता ने 22 मई को सुबह अपने पति, देवर व सास के साथ तेनुघाट ओपी जाकर शिकायत दर्ज कराई थी। मगर पुलिस ने इस मामले को अनसुना कर दिया, जबकि महिला जब शिकायत कर के वापस गांव लौटी तो शाम को स्थानीय महिला समिति में शामिल महिलाओं ने उक्त महिला को जबरन घर से बाहर निकाला और हाथ रस्सी से बांधकर उसके बाल काट डाले। उसके बाद चेहरे पर कालिख पोतकर और चप्पलों की माला पहनाकर एवं अर्धनग्न करके पूरे गांव में उसे घुमाया। इस दौरान महिलाएं उसे भद्दी भद्दी गालियां भी देती रहीं।

पीड़ित महिला को भीड़ से बचाकर ले जाती पुलिस

इस दौरान आसपास के लोग, हमेशा की तरह तमाशा देखते रहे। इस घटना का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि हमारे इस तथाकथित सभ्य समाज के पुरूषों ने पीड़ित महिला की इस प्रताड़ना में महिलाओं का ही इस्तेमाल किया है। इसकी सूचना मिलने पर भी स्थानीय पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया। लेकिन कुछ लोगों द्वारा उक्त घटना का वीडियो वायरल किए जाने पर पुलिस के आला अधिकारियों ने मामले को तुरंत संज्ञान में लिया और आनन-फानन में पुलिस घटना स्थल पर पहुंची और काफी मशक्कत के बाद उस महिला को अन्य महिलाओं के चंगुल से छुड़ाया।

दरअसल पुलिस जब घटना स्थल पर पहुंची तब महिला समिति की महिलाओं ने पुलिस बल पर हमला बोल दिया, पुलिस को पीछे हटना पड़ा और विरोध का सामना करना पड़ा। इस दौरान अनियंत्रित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी। इसके बाद बेरमो एसडीपीओ अंजनी अंजन ने गोमिया से महिला बल को भेजकर और खुद भी मौके पर पहुंचकर पीड़ित महिला को महिलाओं के चंगुल से छुड़ा कर थाना ले आए। देर रात महिला को इलाज हेतु अनुमंडल हॉस्पिटल तेनुघाट भिजवाया और स्थिति को नियंत्रण में किया गया।

पीड़ित महिला के थाने ले जाती पुलिस

23 मई को इस संबंध में पीड़िता के पति के बयान पर पेटरवार थाने में 32 नामजद और 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ कांड संख्या 86 /2020 में भादवि की धारा 354 बी, 188 ,147, 148, 149, 504 के तहत मामला दर्ज किया गया। घटना के बाद से चांपी गांव पुलिस छावनी में तब्दील है। इस कार्यवाही में बेरमो एसडीपीओ अंजनी अंजन के नेतृत्व में जरीडीह इंस्पेक्टर मोहम्मद रुस्तम, पेटरवार थाना प्रभारी विपिन कुमार, गोमिया थाना प्रभारी विनय कुमार सिंह, तेनुघाट ओपी प्रभारी विजय प्रसाद सिंह, सहित सैकड़ों पुलिस बल एवं महिला पुलिस बल शामिल थे।

इस घटना को लेकर पुलिस अधीक्षक बोकारो चंदन कुमार झा ने गंभीरता से लेते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिये हैं। एसपी चंदन कुमार झा ने बताया कि ”उक्त महिला के खिलाफ मारपीट करने वाले लोगों पर पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। 32 लोगों के अलावा अन्य अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करते हुए तुरंत 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया। सभी गिरफ्तार लोगों को बाद में जेल भेज दिया गया है। उन्होने कहा कि महिला के साथ हुई घटना पूरी तरह से अमानवीय है तथा इस तरह की घटना जिला प्रशासन द्वारा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि जो लोग वीडियो में दिख रहे हैं जल्द ही सभी को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा, तथा स्पीड ट्रायल के माध्यम से सभी दोषियों को सजा दिलाने का कार्य किया जाएगा।”

पुलिस अधिक्षक, बोकारो, चंदन कुमार झा

पुलिस अधीक्षक चंदन कुमार झा ने कहा कि ”किसी भी समुदाय के लोगों को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। महिला के प्रति अगर कोई भी शिकायत थी तो उक्त लोगों को पुलिस के माध्यम से समाधान करना चाहिए था, कानून को हाथ में लेकर उन्होंने बहुत बड़ा अपराध किया है। अतः इन सभी दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा जल्द ही बोकारो पुलिस उन सभी को गिरफ्तार कर जेल भेजने का कार्य करेगी।”

इस अमानवी घटना पर स्वतंत्र पत्रकार रुपेश कुमार सिंह कहते हैं कि ”यह पूरी घटना समाज में अंदर तक व्याप्त पितृसत्ता का ही एक खतरनाक रूप है। पितृसत्ता सिर्फ पुरुष में ही नहीं बल्कि महिलाओं में भी काफी पैठ बनायी हुई है, इस घटना से यही प्रतीत होता है। ‘मोरल पुलिसिंग’ को किसी भी सूरत में भीड़ के हाथों देना बहुत ही खतरनाक है। इस पूरी घटना में सरकार व पुलिस-प्रशासन की भी विफलता स्पष्ट रूप से सामने आई है, इसलिए इस तरह की विभत्स घटना को अंजाम देनेवालों पर कार्रवाई के साथ-साथ पुलिस के जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।”


  विशद कुमार, झारखंड के स्वतंत्र पत्रकार हैं और लगातार जन-सरोकार के मुद्दों पर मुखरता से ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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