पहले दंगे, अब अफ़वाहः बीती रात फैली सनसनी दिखाती है कितनी डरी हुई है दिल्ली

Photo Delhi Police Twitter

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई साम्प्रदायिक हिंसा को अभी हफ्ता भर नहीं बीता है, प्रभावित इलाकों में लगी आग अभी तक ठंडी नहीं पड़ी थी, कि बीते रविवार की शाम पूरी दिल्ली अफवाहों की चपेट में आ गयी जिसके चलते ज्यादातर इलाकों में एक बार फिर दंगा फैलते फैलते रह गया। 

पत्रकार और समाजकर्मी सुलतान भारती आइटीओ के हिंदी भवन में एक किताब के कार्यक्रम में आए हुए थे। घंटे भर चले कार्यक्रम के दौरान वहां मौजूद लोगों के फोन बंद रहे या साइलेंट मोड पर रहे। प्रोग्राम के बाद जैसे ही उन्होंने फोन खाेला, 15 मिस्ड कॉल दिखे। उन्होंने एक एक कर के फोन लगाना शुरू किया। पता चला कि वहां मौजूद सभी एक एक कर के धीरे धीरे फोन पर लग गए और सबको अलग अलग इलाकों से दंगों और झड़पों की ख़बर मिलने लगीं। देखते देखते हिंदी भवन में मौजूद हर शख़्स तनाव में घिर गया।

मनोज सिंह देर शाम अपने घर खानपुर से किसी काम से गाज़ियाबाद आए हुए थे। रात नौ बजे के आसपास उन्हें फोन आया कि बेटा घर नहीं लौटा है और संगम विहार में गोली चल गयी है। वे परेशान हो गए। उन्होंने एक एक कर के जानने वालों को फोन लगाना शुरू किया, तो पता चला कि अलग अलग इलाकों में दंगे हो रहे हैं। करीब आधा घंटा वे परेशान रहे जब तक कि दंगों की खबर अपुष्ट साबित नहीं हो गयी।

इस सिलसिले की शुरुआत तब हुई जब सबसे पहले तिलक नगर से शाम सात बजे के आसपास खबर आयी कि वहां दंगा भ़ड़का है। मामला फैलता, इससे पहले ही दिल्ली पुलिस ने साफ़ कर दिया कि उसने वहां तस्करी के एक गिरोह पर छापा मारा है जिससे कुछ भ्रम फैला है। इसके बाद एक खबर आयी कि मदनपुर खादर और खड्डा कॉलोनी में दंगाइयों ने उत्पात मचाना शुरू कर दिया है। खबर फैलने लगी कि दिल्ली इस बार पहले से ज्यादा हिंसा का शिकार होने वाली है।

जिस समय यह खबर आई कि फलां जगह दंगा हुआ है उस समय मैं शिव विहार के इलाके में था जो हिंसा में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। वहां अचानक से डर का माहौल बन गया जिसकी वजह से रोना पीटना शुरू हो गया।

इसके बाद शुरू हुआ अफवाहों का अंतहीन सिलसिला। मटियाला, खयाला, तिलक नगर, उत्तम नगर, मदनपुर खादर, रोहिणी, संगम विहार, हौजरानी, हर ओर से यही खबर कि दिल्ली एक बार फिर दंगों की चपेट में है। किसी से भी पूछो कि आपको कैसे पता चला कि वहां दंगा शुरू हो गया है, तो सबके पास एक ही जवाब कि जानने वालों से बात हुई और उसने व्हाट्सअप पर भेजा है।

इन अफवाहों को तेजी से फैलने के कारणाें में दिल्ली मेट्रो का वह ट्वीट भी शामिल है जिसमें दिल्ली मेट्रो ने तिलक नगर मेट्रो को बंद करने की घोषणा की थी। यह ट्वीट वायरल हो गया था।

लोग हफ्ते भर पहले हुए दंगों के दर्द से उबर भी नहीं पाए थे कि ऐसे में एक बार फिर माहौल बिगाड़ने की कोशिश के बीच किसी को समझ नहीं आया कि क्या किया जाए। किससे पूछा जाए, जिससे वास्तविकता का पता लग सके कि इन अफवाहों की सच्चाई क्या है। प्रभावित इलाकों के लोग पुलिस को फोन कर खबरों की सच्चाई जानने को तैयार नहीं थे। इसका कारण है पिछ्ले ही हफ्ते पुलिस का व्यवहार देखकर लोग पुलिस प्रशासन से कोई उम्मीद नहीं रख रहे थे।

वैसे तो इतवार को सुबह से ही पूरी दिल्ली में माहौल आशंका और तनाव का था। इसकी वजह थी सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्टर जिसमें 1 मार्च को शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन के खिलाफ रोष व्यक्त करने का आहवान किया था जिसको भाई रविकांत भड़ाना के नाम से प्रसारित किया गया था। ऐसे में जब शाम को खबर आई कि फलां जगह दंगा हुआ है, तो सबके पास कहने को यही था कि एक हिंदूवादी संगठन ने पहले ही बता दिया था कि हम लोग ऐसा करेंगे तो तो अब शक की गुंजाइश ही कहां है?


दंगों में अपनी भूमिका को लेकर सवालों के घेरे में आयी दिल्ली पुलिस ने थोड़ी सी समझदारी दिखाते हुए एक-एक कर इस तरह की खबरों का खंडन किया और अपील की कि ये अफवाहें हैं और इस पर ध्यान न दिया जाए। अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कारवाई के आदेश दिये गये, तब जाकर इन पर विराम लगा लेकिन स्थिति को पूरी तरह काबू में करने के लिये 5-6 घन्टे का समय लग गया और तब तक दिल्ली की सांस अटकी रही।

इस बीच पुलिस ने ड्यूटी पर तैनात जवानों के एक दो वीडियो प्रसारित किये जहां पर पुलिस के जवान पूरी तरह से मुस्तैद खड़े दिख रहे हैं। डिजिटल और इलेक्ट्रानिक मीडिया का प्रयोग भी किया ताकि शांति व्यवस्था बनाई रखी जा सके।

दिल्ली पुलिस ने इस बार तो अफवाहों को रोक लिया लेकिन सवाल अभी तक बना हुआ है कि सोशल मीडिया पर हजारों ऐसे ग्रुप हैं जिनसे इस तरह की खबरें और भड़काऊ कंटेंट प्रचारित प्रसारित किया जाता है। उन पर क्या कार्रवाई होगी और पुलिस इनसे कैसे निपटेगी?

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