बिल्किस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार करने वालों की रिहाई के बाद आरती, कांग्रेस हमलावर

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भाषण देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने नारी सम्मान को लेकर तमाम बातें कही हैं, लेकिन उनकी पार्टी की प्रयोगस्थली यानी गुजरात की बीजेपी सरकार ने इसी दिन 2002 के गुजरात दंगों के दौरान पाँच महीने की गर्भवती बिल्किस बानों के साथ बलात्कार करने और उसके सात परिजनों को मौत के घाट उतारने वाले 11 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया। यह रिहाई गुजरात सरकार की माफ़ योजना के तहत दी गयी है लेकिन अपराध की प्रकृति को देखते हुए इस रिहाई को लेकर हर ओर आक्रोश जताया जा रहा है। ख़ास बात ये है कि गोधरा की एक जेल से बाहर आने पर इन हत्यारों और बलात्कारियों की आरती करके स्वागत किया गया।

2002 में हुए दंगों के दौरान अहमदाबाद के रंधिकपुर में रहने वाली 19 साल की बिल्किस बानो के साथ जो हुआ, वह किसी भी सभ्य समाज के लिए कभी न मिटने वाला एक कलंक है। इंसाफ़ के लिए बिल्किस को लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। आख़िरकार 21 जनवरी 2008 को सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में 11 लोगों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई जिसे बाम्बे हाईकोर्ट ने भी बरक़रार रखा था। लेकिन 15 साल जेल में काटने की दुहाई देते हुए एक दोषी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सर्वोच्च अदालत  ने राज्य सरकार को मामले पर ग़ौर करने का निर्देश दिया। सरकार ने एक कमेटी बनायी जिसने आम राय से सभी दोषियों को रिहा करने की सिफ़ारिश की जिसे मानते हुए बीजेपी सरकार ने सबको रिहा कर दिया।

कांग्रेस ने इस फ़ैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पीएम मोदी की कथनी और करनी पर सवाल उठाया है।

गुजरात सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर भी काफ़ी विरोध देखा जा रहा है। उन्नाव और कठुआ में बलात्कारियों के पक्ष में बीजेपी पदाधिकारियों की तिरंगा यात्राओं की भी याद दिलायी जा रही है।

 

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