गुजरात हाई कोर्ट ने मुम्बई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के विरूद्ध किसानों की ओर से दायर की गयी 120 से अधिक याचिकाएं खारिज कर दी. यह फैसला आज जस्टिस एएस दवे की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनाया. मामले में सुनवाई जनवरी में संपन्न हुई हो गई थी. न्यायमूर्ति ए एस दवे के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा किसानों को दिया गया मुआवजा उचित है.हालांकि, पीठ ने कहा कि पीड़ित किसान उच्च मुआवजा लेने के लिए सरकार से संपर्क कर सकते हैं.
Gujarat High Court dismisses challenge to land acquisition for Bullet Train Project https://t.co/SXCr3Ly3XI
— Bar and Bench (@barandbench) September 19, 2019
न्यायालय का यह भी मत था कि संशोधित अधिनियम के तहत सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन नहीं करने का प्रावधान अत्यधिक प्रतिनिधिमंडल की श्रेणी में नहीं आता है,जैसा कि आंदोलनकारी किसानों द्वारा किया गया है.
पीठ ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम की वैधता को कायम रखा जिसे गुजरात सरकार ने 2016 में संशोधित किया था और इसके बाद राष्ट्रपति ने मुहर लगाई थी.
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि वे केंद्रीय भूमि अधिग्रहण अधिनियम,2013 के तहत अधिक मुआवजे के हकदार थे. इसके अलावा उन्होंने भूमि अधिग्रहण कानून में गुजरात संशोधन की वैधता को भी चुनौती दी थी.
बुलेट ट्रेन के प्रस्तावित मार्ग से जुड़े गुजरात के विभिन्न जिलों के प्रभावित किसानों ने हलफनामे में कहा था कि वे नहीं चाहते कि परियोजना के लिये उनकी जमीन का अधिग्रहण किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा भू अधिग्रहण प्रक्रिया इस परियोजना के लिये भारत सरकार को सस्ती दर पर कर्ज मुहैया कराने वाली जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के दिशानिर्देशों के भी विपरीत है.
इस परियोजना की लागत करीब 1.10 लाख करोड़ रुपये है. इस परियोजना के लिए गुजरात और महाराष्ट्र में लगभग 1,400 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा.अहमदाबाद से मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन कॉरिडोर 508 किलोमीटर लंबा होगा जिसमें 12 स्टेशन होंगे.