नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और हालिया घटनाक्रमों के परिप्रेक्ष्य में सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के एक समूह ने मंगलवार को संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और जेएनयू छात्रों पर हिंसा के खिलाफ एक बयान जारी किया।
Delhi: A group of lawyers read the preamble of the constitution at Supreme Court lawns to make people remember constitutional values.Senior lawyers Kamini Jaiswal and Sanjay Parikh also present pic.twitter.com/YZK3hiUWPB
— ANI (@ANI) January 7, 2020
वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, संजय पारिख और प्रशांत भूषण के नेतृत्व में वकीलों का एक समूह शीर्ष अदालत परिसर में इकट्ठा हुआ और संविधान की प्रस्तावना पढ़ी।
Supreme Court advocates have gathered at SC lawns for reading of Preamble of Constitution. pic.twitter.com/EK8RHLr28l
— Live Law (@LiveLawIndia) January 7, 2020
प्रस्तावना पढ़ने का उनका आशय यह बताना था कि देश में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। वकीलों ने किसी तरह की कोई नारेबाजी नहीं की। वकीलों द्वारा प्रस्तावना पढ़े जाने का उद्देश्य संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों को याद कराना है।
Group of Supreme Court lawyers, including Kamini Jaiswal, Sanjay Parikh read out the Preamble of the Constitution in the Supreme Court lawn. pic.twitter.com/4NWYLGK7OT
— NDTV Profit (@NDTVProfitIndia) January 7, 2020
वहीं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आज जेएनयू छात्रों पर हिंसा की निंदा करते हुए एक बयान भी जारी किया गया.
A group of #lawyers read out the preamble of the #Constitution in the national capital on Tuesday at #SupremeCourt lawns. A lawyer told the media that the reading was prompted for upholding the constitutional values and reminding the #judiciary that this is our Constitution. pic.twitter.com/Z8vUQUpqWL
— The Logical Indian (@LogicalIndians) January 7, 2020
बयान में कहा गया, “सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति ने आज असामाजिक तत्वों द्वारा जेएनयू छात्रों के खिलाफ हिंसा की कड़ी निंदा करने का प्रस्ताव पास किया है।
https://www.youtube.com/watch?v=Rqr6WMv-sGM
जिसमें दिल्ली पुलिस की ओर से निष्क्रियता की निंदा करने का प्रस्ताव किया और अधिकारियों से कार्य करने और कानून का शासन सुनिश्चित करने का आह्वान किया।”