‘सीईओ उपेंद्र राय’ तहलका की पुरानी कसौटी पर ट्रेनी लायक़ भी नहीं !

2 जी स्पेक्ट्रम मामले में दाग़-बेदाग़ होते रहे उपेन्द्र राय अब मचाएंगे “तहलका”….

बहुत कम समय में ही मीडिया और सत्ता के गलियारे में अपनी पहुंच बनानेवाले उपेन्द्र राय सहारा समूह की डुबती नैया छोड़ अब तहलका को सही घाट पर लाने जा रहे हैं. खबर है कि तहलका जल्द ही न्यूज चैनल लांच करने जा रहा है और उपेन्द्र राय को बतौर सीइओ और एडिटर इन चीफ इसी नीयत से यहाँ लाया जा रहा है.

समाचार4 मीडिया उपेन्द्र राय के पहले भले ही दिग्गज पत्रकार शब्द का इस्तेमाल करे लेकिन मीडिया इन्डस्ट्री के लोग बखूबी जानते हैं कि उन्हें किस काम में महारथ हासिल है ? 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में नीरा राडिया और वैष्णवी कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन से जुड़े एक के बाद एक टेप जारी हो रहे थे, उस दौरान उपेन्द्र राय वो अकेला नाम था जो बरास्ते हिन्दी मीडिया आया था और आशुतोष( तब मैनेजिंग एडिटर, आइबीएन7 ) का ये तर्क झूठा पड़ गया था कि हिन्दी चैनलों से एक भी नाम नहीं है.

उपेन्द्र राय की खास बात है कि वो मीडिया के ढांचे के बीच भी पीआर एजेंसी का काम बखूबी करते आए हैं जिसमे लल्लो-चप्पो के जरिए फंड जुटाने तक का काम शामिल है. ऐसे में तहलका ने यदि इन्हें बतौर सीइओ और एडिटर-इन-चीफ हायर किया तो इसका सीधा संकेत है कि तहलका की मुख्य चिंता फंडिंग है न कि अपने तेवर की पत्रकारता. तहलका की पहचान जिस तेवर और जिस किस्म की पत्रकारिता की रही है, उपेन्द्र राय उस निकष पर ट्रेनी लायक भी नहीं हैं. उनकी आपको एक भी ऐसी स्टोरी नहीं मिलेगी जो तहलका की पत्रकारिता के साथ तालमेल बिठा सके.

बहरहाल, पिछले कुछ सालों से तहलका जिस दौर से गुजर रहा है, उसकी ये परिणति स्वाभाविक है. हम उपेन्द्र राय से कम से कम इतनी उम्मीद तो जरूर करते हैं कि वो अपने मीडियाकर्मियों को समय पर वेतन और सुविधाएं मुहैया कराने में किसी भी स्तर की कोताही नहीं होने देंगे. बाकी पत्रकारिता का क्या है, सब रामनाथ गोयनका अवार्ड से डैमेज कंट्रोल हो ही जाता है.

 

(युवा मीडिया समीक्षक विनीत कुमार की फ़ेसबुक टिप्पणी ).

 

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