मोदी राज में माल काट रहे हैं अमीर ! लेकिन बेरोज़गारों की लिस्ट में भारत टॉप पर !

उदारीकरण और भूमंडलीकरण के नाम पर पूँजीपतियों की जैसी तरक्की भारत में हुई है, वैसी शायद ही दुनिया के किसी और देश में हो रही है। मोदी राज में तो इस सिलसिले को चार चाँद लग गए हैं। मार्च 2017 में फोर्ब्स पत्रिका की ओर से जारी अरबपतियों की लिस्ट से पता चला कि भारत अरबपतियों की संख्या के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर आ गया है। पहली बार 2043 अरबपतियों की लिस्ट में सौ से ज़्यादा (101) भारतीय शामिल हुए जिनमें रिलायंस समूह के मुकेश अंबानी पहले नंबर पर थे।

लेकिन मोदी जी की जिन नीतियों ने अमीरों को और अमीर किया है वे आम लोगों को भारी पड़ गई हैं। 2014 में हर साल दो करोड़ बेरोज़गारों को नौकरी देने का वादा करके सत्ता में आए मोदी अब पकौड़े का ठेला लगाने की सलाह दे रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में भारत में बेरोजगारी वर्तमान समय से और बढ़ सकती है. जो बेरोजगार युवाओं के लिए खतरे की घंटी है

– आंकड़ों के अनुसार भारत दुनिया के सबसे ज्यादा बेरोजगारों का देश बन गया है.

– भारत की 11 फीसदी आबादी लगभग 12 करोड़ लोग बेराजगार हैं.

-550 नौकरियों रोज खत्म हो रही हैं.

– इन चार सालों में महिलाओं की बेराजगारी दर 8.7 तक पहुंच गई है.

– श्रम रोजगार की रिपोर्ट कहती हैं कि स्वरोजगार के मौके घटे हैं, और नौकरियां कम हुई हैं.
आँकड़ों के मुताबिक बेरोजगारों में पढ़े-लिखे युवाओं की तादाद सबसे ज्यादा है।  25 फ़ीसदी बेरोज़गार 20 से 24 आयु वर्ग के हैं, जबकि 25 से 29 वर्ष की उम्र वाले बेरोज़गारों की तादाद 17 फीसदी है।

मुश्किल तो यह है कि सरकारी नौकरियों पर अघोषित रोक लगी हुई है। पिछले दिनों ही सरकार ने पाँच साल से खाली पड़े पदों को समाप्त करने का फ़ैसला किया था जो एक अनुमान के मुताबिक 5 लाख हैं। उधर, निजी क्षेत्र में नई नौकरियाँ तो दूर छँटनी का कहर बरपा हुआ है जिससे नौकरी कर रहे लोग भी दहशत में हैं जिसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य और ख़र्च से संबंधित जोख़िम उठाने पर पड़ा है।

कुल मिलाकर देश बेरोज़गारी के महाविस्फोट के मुहाने पर है। इसकी जानकारी बस मुख्यधारा के मीडिया को नहीं है जहाँ सुबह से शाम तक हिंदू-मुस्लिम झगड़े या पाकिस्तान और कोरिया के ख़तरे का साया है।

 

.बर्बरीक  

 



 

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