अजित साही
आंकड़े देख लीजिए.
भारत की आबादी में लगभग 80% हिंदू हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 54 करोड़ लोगों ने मतदान किया था. वोट देने वालों में भी हिंदुओं का 80% अनुपात मानते हुए ये कहा जा सकता है कि 2014 में कुल 43 करोड़ हिंदुओं ने मतदान किया था.
आपको याद होगा उस चुनाव में बीजेपी को 31% वोट मिले थे. उसके सहयोगी दलों को अन्य 7.5% वोट मिले थे. यानी एनडीए को कुल 38.5% वोट मिले थे.
54 करोड़ मत डालने वालों का 38.5% निकालें तो 21 करोड़ से भी कम होता है.
अगर हम ये भी मान लें कि सिर्फ़ हिंदुओं ने बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को वोट दिया था तो वोट देने वाले 43 करोड़ हिंदुओं में सिर्फ़ 21 करोड़ हिंदुओं ने एनडीए को वोट डाला था.
मतलब 22 करोड़ हिंदुओं ने एनडीए के ख़िलाफ़ वोट दिया था.
यानी आधे से ज़्यादा हिंदुओं ने 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को वोट नहीं दिया था.
स्वयं बीजेपी को 31% के हिसाब से सिर्फ़ 17 करोड़ वोट मिले थे. यानी 43 करोड़ हिंदुओं में से 26 करोड़ हिंदुओं ने बीजेपी को वोट नहीं दिया था.
बीजेपी को वोट देने वाले हिंदुओं की संख्या और भी कम हो जाती यदि बीजेपी को महाराष्ट्र में शिव सेना का, बिहार में लोकजनशक्ति पार्टी का, आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम का, और अन्य छोटी पार्टियाँ, जैसे कि उत्तरप्रदेश में अपना दल, का समर्थन न प्राप्त होता.
ये तब था जब कांग्रेस की यूपीए सरकार दस साल से सत्ता में थी और तमाम घोटालों के आरोपों में घिरे होने की वजह से “एंटी-इंकमबेंसी” का सामना कर रही थी.
ये तब था जब हिंदूहृदय सम्राट नरेंद्र मोदी की जादुई छवि देशभर में छाई थी.
ये तब था जब 2014 के चुनाव में बीजेपी को अभूतपूर्व सफलता मिली थी और स्वतंत्र भारत में पहली बार वह पार्टी अपने दम पर बहुमत जीत पाई थी.
वैसे भी भारत में इक्का-दु्क्का छोड़ सभी 543 लोकसभा चुनावक्षेत्र हिंदूबाहुल्य हैं. यदि बीजेपी को सचमुच हिंदुओं का बहुमत प्राप्त होता तो लोकसभा की 99% सीटें उसकी झोली में गिरी होतीं.
लेकिन 2014 में लोकसभा की 543 सीटों में से एनडीए को कुल 336 सीटें ही मिली थीं. इसका मतलब कि दो सौ से अधिक हिंदुबाहुल्य सीटों पर एनडीए हार गई थी.
इस से ज़्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 428 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिनमें 146 सीटों पर वो हार गई थी. ज़ाहिर है लगभग सभी सीटें हिंदूबाहुल्य ही हैं.
ताज्जुब की बात ये है कि बीजेपी तमाम विपक्षी दलों को, ख़ासतौर से कांग्रेस को, हिंदूविरोधी बताती है.
लेकिन हाल के ही चुनावों में हिंदू वोटरों ने बीजेपी के इस दावे को ध्वस्त कर दिया.
आपको याद होगा चार महीने पहले मध्यप्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए थे. इन दोनों राज्यों में हिंदुओं की संख्या का अनुपात भारत के औसत से अधिक, क़रीब 90% हैं. यानी वहाँ दस में नौ वोटर हिंदू है.
इसके बावजूद उन विधानसभा चुनावों में पहले के मुक़ाबले अधिक हिंदुओं ने कांग्रेस को वोट दिया जिसके चलते कांग्रेस का वोट शेयर 2013 के विधानसभा चुनावों के मुक़ाबले 5-6% बढ़ा.
उलटे दोनों राज्यों में 2013 के मुक़ाबले कम हिंदुओं ने इस बार बीजेपी को वोट दिया. राजस्थान में बीजेपी का वोटशेयर 7% गिरा और मध्यप्रदेश में 3%.