जज लोया के मामले में एक सनसनीखेज टेप जो खुद कांग्रेस पार्टी के अखबार में नहीं छप सका, उसे लेकर कांग्रेस के आला नेताओं ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी। अपेक्षा के मुताबिक इस अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस को किसी भी मीडिया प्रतिष्ठान ने नहीं दिखाया, लेकिन आश्चर्य की बात है कि नेशनल हेराल्ड के पास पिछले पांच दिनों जज लोया की मौत से जुड़ी इतनी बड़ी साजिश का टेप मौजूद था फिर भी अखबार ने अपने यहां ख़बर नहीं छापी।
जस्टिस बीएच लोया की संदिग्ध मौत के मामले में आज एक नया मोड़ आ गया जब कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के मौत की जांच संबंधी पहली याचिका दायर करने वाले कथित आरटीआइ एक्टिविस्ट सूरज लोलगे के भारतीय जनता पार्टी के साथ संबंध उजागर किए और बताया कि यह व्यक्ति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी के कहे मुताबिक काम कर रहा था। बॉम्बे हाइकोर्ट में पीआइएल भी इसने जोशी के कहने पर डाली थी ताकि मामले को किसी तरह सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करवाया जा सके।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल ने बताया कि इस साल 30 जनवरी को कांग्रेस के नेताओं सिब्बल, सलामन खुर्शीद और विवेक तन्खा ने जब जज लोया की हत्या के मामले में नागपुर के एडवोकेट सतीश उइके के साथ दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी तब भी उनके बगल में कॉन्फ्रेंस में सूरज लोलगे नाम का शख्स मौजूद था जिसने लोया मामले में पहली याचिका डाली थी। तब उन्हें इस बात की भनक तक नहीं थी कि लोलगे नागपुर के मेयर का चुनाव भाजपा से लड़ चुका है और उसके आरएसएस से संबंध हैं।
कहानी ये है कि जज लोया की मौत के मामले में सवाल उठाती हुई पहली स्टोरी द कारवां पर 21 नवंबर 2017 को पहली बार आई थी। 23 नवंबर 2017 को ”डिस्क्रीट जांच” शुरू हुई। 28 नवंबर 2017 को जांच पूरी भी हो गई। इस बीच एक पीआइएल बंबई हाइकोर्ट की नागपुर बेंच पर 27 नवंबर को सूरज लोलगे ने दायर की। इसके बाद कई और याचिकाएं दायर हुई, लेकिन सब 2018 में हुईं। अब ये पता चला है कि लोलगे आरएसएस और बीजेपी का खास आदमी है।
कपिल सिब्बल ने इन तथ्यों को उजागर करते हुए कुछ स्लाइड दिखाई जिसमें बताया गया कि लोलगे ने 25 दिसंबर 2016 में भाजपा से नगर निगम चुनाव लड़ने का टिकट मांगा था। दो स्लाइडों में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस के साथ लोलगे की तस्वीर है। सिब्बल ने कहा कि लोलगे ने जो पीआइएल दायर की, उसका मकसद क्या था ये वो नहीं जानते। सतीश उइके के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी लोलगे मौजूद था जिसकी ख़बर सिब्बल को नहीं थी।
इसके बाद सिब्बल सतीश उइके के भाई के साथ लोलगे की बातचीत का टेप सुनाते हैं। पहला टेप 3 फरवरी 2018 का है और दूसरा संवाद 10 फरवरी 2018 का है। दोनों संवाद मराठी में हैं। इस संवाद में लोलगे ने बताया है कि यह पीआइएल उसने भइयाजी जोशी के कहने पर की।
नीचे पूरा संवाद हिंदी में पढ़ा जा सकता है।
CALL 1
प्रदीप:- तू उसको बोलना नही था क्या, आज तो भी, तेरे पास कागज़ है क्या नए केस का, की पुरानी केस मेरी है करके,
सूरज:- हा है, वह नए दो पेज मैंने निकाले है कल रात में
प्रदीप:- कहा से निकाले
सूरज:- भाऊ ने जो भेजा वो निकाले मैंने यहाँ से प्रिंटआउट
प्रदीप:- भाऊ ने कब रात में भेजे जब मैंने उन्हें कहा की इसे किसने कहा डबल केस डालने के लिए
सूरज:- हम्म,
प्रदीप:- तब तुझे कहा होगा, देख रे मैं हु छोटा आदमी, बराबर है ना, मैं छोटा सा आदमी हु, मुझे जो लोग जैसे बोलते है, जैसे तूने मुझे दबाया, मैं दब गया, तूने कहा ऐसे नही करने का तेरी माँ ** मैंने सुन लिया, बराबर है तूने कहा नहीं तब
सूरज:- कब भाऊ
प्रदीप:- जब तूने वहा से तू वहा गया था, नागपुर मे
सूरज:- हां
प्रदीप:- तूने कहा नही, मेरे कागज़ इस्तेमाल नही करना, नही तो सतीश उके को अन्दर डाल दूंगा, कहा ना तूने तब
सूरज:- मैंने ऐसा कुछ नही कहा, तुमे अभियान क्या कहता है वह तुम्हारा तुमको मालुम
प्रदीप:- और तुझे RSS कह रहा है की तू वह केस निकाल डाल, फिर
सूरज:- कौनसा केस
प्रदीप:- क्या कहा Rss ने केस वापस नही लेने का, तू कह रहा था ना की तू RSS के मन से चलेगा, उससे चलेगा
सूरज:- हां हां, हां लोहिया की केस वापस नही लेने का ऐसा डायरेक्ट ही कहा
प्रदीप:- RSS वाले तुझे क्यूँ कहेंगे, भाई
सूरज:- बिलकुल, कह रहे इसलिए बता रहा हु मैं
प्रदीप:- किसने कहा, कोई नही है, किसी ने नही कहा तुझे
सूरज:- क्या.. भाऊ
प्रदीप:- कब कहा तुझे RSS वालो ने, मुझे ये तो बता
सूरज:- भैयाजी जोशी ने कहा ना मुझे, कोठेकर के थ्रू ,इसलिए मैं ..
प्रदीप:- क्या कहा
सूरज:- कहा, वापस नही लेना सूरज, तुझे वापस लेने के लिए दवाब लायेगा, करके वापस नही लेना
प्रदीप:- कौनसी केस, यह वाली
सूरज:- लोहिया वाली
प्रदीप:- हां, ठीक है ..बाबा
सूरज:- ठीक
प्रदीप:- हां हां
CALL 2
प्रदीप:- क्या हुआ तुम्हारे वह RSS वालो का, फ़ोन आया की छोड़ दिया उन्होंने साथ
सूरज:- नही, है ना वह हमारे साथ… कोई विषय ही नही भाई..
प्रदीप:- हुम्म… हुम्म… हुम्म
सूरज:- हुम्म..
प्रदीप:- नही तो तुमने जो कहा वो मिल रहे है, की नही मिल रहे है
सूरज:- मिल रहे है ना वो
प्रदीप:- कौन कौन, लेकिन वह डायरेक्ट नही मिल रहे है ना आपको, की डायरेक्ट मिले
सूरज:- भाऊ डायरेक्ट मिले ना
प्रदीप:- कौन कौन थे उसमे
सूरज:- उपेन्द्र कोठेकर के थ्रू मिलना होता है, उस दिन नागपुर में ही थे ना
प्रदीप:- कौन
सूरज:- भैयाजी जोशी
प्रदीप:- फिर तुम्हारी हुई क्या मुलाकात
सूरज:- अपनी वैसी डायरेक्ट नही होती भाऊ मुलाकात, अपने को एक के थ्रू ही बात करना पड़ता है
प्रदीप:- हुम्म… हुम्म… याने… समझा नही मैं, याने यह तुम जहा जाते हो
सूरज:- जहा मैं जाता हु न कोठेकर, कोठेकर के थ्रू ही डायरेक्ट मुलाकात होती है..याने अपनी बात होती हैं, वह भी बड़ा आदमी है ना, उसे सिक्यूरिटी है, मुझसे अगर मिलेगा तो लोगो के नज़र में नही आएगा, फिर यह
प्रदीप:- किसे
सूरज:- भैयाजी जोशी को भी सिक्यूरिटी है ना
प्रदीप:- उन्हें कैसी है
सूरज:- सिक्यूरिटी है ना भाई, सहकार्यवाह है, उन्हें भी सिक्यूरिटी है पुलिस की
प्रदीप:- वह भी बड़े है क्या
सूरज:- फिर क्या, सेकंड नंबर की पोस्ट है ना, संघ की
प्रदीप:- अच्छा..अच्छा..अच्छा..अच्छा..अच्छा, इसलिए तुम इधर, दूसरी तरफ जाकर मिलते हो, फिर
सूरज:- फिर वैसा ही तो है भाऊ, सहकार्यवाह है वह, सेकंड नंबर की पोस्ट है
प्रदीप:- फिर कांटेक्ट कैसे होता है, फिर
सूरज:- मोबाइल पर
प्रदीप:- हुम्…हुम्..हुम्, ठीक है, जाने दो अब, लेकिन उन्होंने यह तो कहना चाहिए आपको …
सूरज:- क्या भाऊ
प्रदीप:- सपोर्ट, बाकी तो सपोर्ट करने को नही होना क्या उन्होंने तुमको
सूरज:- है है वह कोई विषय नही
लोलगे बताता है कि उसे कोटेकर के माध्यम से भइयाजी जोशी ने कहा था कि चाहे कितना ही दबाव क्यों न पड़े, पीआइएल वापस न ली जाए। सिब्बल ने कहा कि इस पीआइएल को दायर किए जाने के पीछे भी सोच थी कि किसी तरह यह सुप्रीम कोर्ट में पहुंच जाए। आरएसएस और बीजेपी दोनों चाहते थे कि पीआइएल की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो।
उन्होंने कहा, ”दो ही संभावनाएं हैं… या तो इसलिए पीआइएल की गई कि किसी के खिलाफ़ कार्रवाई हो या इसलिए की गई कि इस मामले में कोई जांच न हो। दो ही मकसद हो सकते हैं न… अब आप ही… देश की जनता ही फैसला करे कि किस मकसद से ये पीआइएल हुई थी। दुख की बात है कि सुप्रीम कोर्ट को इस बात का मालूम नहीं था। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पीआइएल दायर करने का राजनीतिक मकसद भी होता है। आज हमें पता चल गया कि इस पीआइएल का राजनीतिक मकसद क्या था।”
अपेक्षा के मुताबिक किसी भी समाचार चैनल ने कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस को कवर नहीं किया और कहीं भी यह बात मीडिया में नहीं आई है कि पहली बार संघ के दूसरे नंबर के नेता का नाम लोया मामले से जुड़ा है। अब तक सरकार या आरएसएस का इस बारे में कोई बयान नहीं आया है।
साभार नेशनल हेराल्ड, जनचौक