30 अक्‍टूबर, 2017 को याद रखें… यह तानाशाह के अवसान का फ़रमान है!

सोमवार को तमाम किस्‍म के असहमतों का दमन कर के जंतर-मंतर खाली करा लिया गया

सोमवार, 30 अक्‍टूबर, 2017 की तारीख याद रखी जानी चाहिए। इसलिए नहीं कि जंतर-मंतर पर अपनी मांगों के समर्थन में जुटे पूर्व सैनिकों को पुलिस ने बेरहमी से खदेड़ कर भगा दिया। इसलिए नहीं कि कठपुतली कॉलोनी में महिलाओं को बेरहमी से मारा गया है। इसलिए भी नहीं कि दो महिला नेताओं को काफी चोटें आई हैं। यह भी भूल जाइए कि सजायाफ्ता एक स्‍वयंभू बाबा के भक्‍तों पर पुलिस की लाठियां चली हैं। खूंरेज़ी दिल्‍ली के इतिहास में ही है। इसमें कुछ भी नया नहीं है।

नया है तो बस ये कि जिस केंद्र सरकार और उसकी दिल्‍ली पुलिस ने बच्‍चों, औरतों, बूढ़ों पर कहर बरपाया है, वह अच्‍छे दिनों के वादे पर सवार होकर सत्‍ता में आई थी। यही वह सरकार है जो आज से साल भर पहले सरहद पर खड़े फौजियों का हवाला देकर जनता से कह रही थी कि अगर वे इतनी मुश्किल में वहां तैनात रह सकते हैं, तो अपने पैसे निकालने के लिए बैंकों और एटीएम के बाहर खड़ा रहने में आम लोगों को दिक्‍कत क्‍या है। बात-बात पर सरहद पर तैनात जवान का हवाला देने वाली इस सरकार ने वन रैंक वन पेंशन की मांग पर साल भर से अड़े बूढ़े फौजियों को दिल्‍ली की सड़कों पर मारा है। कल की तारीख इसके लिए याद रखी जाए।

खून पहले भी बहा है, बस्तियां पहले भी उजड़ी हैं, लेकिन इस बार कठपुतली कॉलोनी में हुआ तांडव उस सरकार की पुलिस ने किया जो बेटी बचाओ का नारा देती है। बेटियों की गृहस्‍थी दिनदहाड़े बिना किसी चेतावनी के उजाड़ दी गई। एक बच्‍चा मर गया। बहू-बेटी की गोद सूनी हो गई। कठपुतलियों की कला के लिए दुनिया भर में सम्‍मानित यहां के रहवासी कलाकारों को अपने सम्‍मान और प्रशस्ति पत्र भी नहीं सुरक्षित करने का मौका मिला। यह काम उस सरकार ने किया जो बात-बात पर संस्‍कृति की दुहाई देती है। कल की तारीख इसके लिए याद रखी जाए।

यही सरकार है जो खुद को हिंदुओं का रक्षक बताती है। इसी सरकार के लोगों ने बार-बार हिंदू राष्‍ट्र की बात की है। यही सरकार अपने पहलू में योग गुरु से लेकर तमाम शंकराचार्यों और बाबाओं को पनाह देती है। यही सरकार दलितों और मुसलमानों को अपनाने का दावा करती है। कल की तारीख याद रखी जाए क्‍योंकि इसी सरकार ने कल संत रामपाल के भक्‍तों पर भी बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की है। उन्‍हें मारकर दिल्‍ली की सड़क से भगाया है। संतो-साधुओं की हमजोली होने का दावा करने वाली सरकार जब संतों के भक्‍तों को मारने लगे, तो 30 अक्‍टूबर की तारीख को याद रखा जाना ज़रूरी हो जाता है।

कल का दिन याद रखने की एक और वजह है। दिल्‍ली में भले चाहे जितनी भी कमज़ोर हो, लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार है। इस सरकार की नाक के नीचे डीडीए, दिल्‍ली पुलिस और केंद्र ने दमन बरपाया है। आप जनता का दम भरते थे। कुछ नहीं करते, बस आपके विधायक आकर जेसीबी के आगे लेट जाते। ‘आप’ ने कुछ नहीं किया। एक बच्‍चा मर गया। फौजी उजड़ गए। ‘आप’ सरकार का इकबाल खत्‍म है। इसे याद रखा जाए कि यह 30 अक्‍टूबर को हुआ है।

यह कहते हुए भी शर्म आती है कि हिंदू युवा वाहिनी के मुखिया और यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के राज में सौ बरस की वृद्धा के साथ मेरठ में बलात्‍कार हुआ है। उसकी मौत हो गई है। यह भी 30 अक्‍टूबर को ही हुआ है।

भूलना नहीं चाहिए कि 31 अक्‍टूबर को ही इस देश के पहले तानाशाह का अवसान हुआ था। हर 30 अक्‍टूबर के बाद 31 अक्‍टूबर आता है। केंद्र की मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार के संरक्षण में हत्‍या, बलात्‍कार, खून, बर्बरता, अत्‍याचार और दमन मिलकर दिल्‍ली की भुरभुरी दीवार पर एक इबारत लिख रहे हैं। इस इबारत को पढ़ने की ख्‍वाहिश है तो नीचे दी हुई तस्‍वीरें और वीडियो देखें।

(संपादक)


 

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