एक दिन पहले अचानक एक अफवाह सोशल मीडिया पर फैली है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के कर्मचारी आगामी 19 नवंबर से हड़ताल पर जा रहे हैं। ठीकठाक पढ़े-लिखे लोग इस अफ़वाह को जाने-अनजाने फैला रहे हैं।
पिछले साल आरबीआइ के करीब 17000 कर्मचारियों ने 19 नवंबर को सामूहिक हड़ताल पर जाने का फैसला किया था जिसकी ख़बर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बराबर प्रकाशित हुई थी। रविवार की शाम से सोशल मीडिया खासकर फेसबुक पर जिन लोगों ने भी इस हड़ताल की ख़बर के अलग-अलग लिंक लगाकर साझा किए हैं, ऐसा लगता है कि उन्होंने ख़बर या तो पढ़ी नहीं है या फिर पढ़ते वक्त उसकी तारीख नहीं देखी है।
आम तौर से दो लिंक फेसबुक पर शेयर किए जा रहे हैं। एक लिंक कैच न्यूज़ का है और दूसरा इकनॉमिक टाइम्स का। फेसबुक चूंकि अपनी न्यूज़ फीड में कस्टमाइज़ खबरें सुझाता है, इसलिए इस पुरानी ख़बर को साझा करने का परिणाम यह हुआ है कि फेसबुक की सुझायी न्यूज़ फीड में यह ख़बर जगह पा चुकी है और एक सामान्य फेसबुक प्रयोक्ता को स्क्रोल करते वक्त यह बीच में दिख जा रही है। लिहाजा एक सामान्य पाठक जो लिंक खोलकर ख़बर पढ़ने की ज़हमत उठाए बगैर उसे चट से साझा कर देने का आदी है, वह ऐसा ही कर रहा है।
दिलचस्प यह है कि साल भर पुरानी इस ख़बर को कुछ लोगों ने बग़ावत के सुर के साथ जोड़ दिया है और अपनी-अपनी टिप्पणियां भी कर रहे हैं। मीडियाविजिल अपने सुधी पाठकों से अनुरोध करता है कि वे ख़बरों को साझा करते वक्त ऐसी लापरवाही न बरतें जिससे जनता में पैनिक पैदा हो जाए। लोग वैसे ही नोटों के चक्कर में परेशान हैं। उस पर से हड़ताल की झूठी ख़बर माहौल को औश्र तनावग्रस्त बनाएगी।
नीचे हम पाठकों की सुविधा के लिए गूगल की वह फीड दे रहे हैं जिसमें पिछले साल आरबीआइ की हड़ताल से जुड़ी तमाम ख़बरों के लिंक मौजूद हैं। इन्हें आप खोलकर एक बार देख लें। सभी ख़बरें नवंबर 2015 की हैं।
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