एक ओर भाजपा के नेता ताजमहल को लेकर लगातार माहौल बिगाड़ने में लगे हुए हैं, तो दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने पलट कर यूपी की भाजपा सरकार को इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश की सरकार को इसके संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में योगी सरकार से ताजमहल के संरक्षण के लिए उठाये गए क़दमों की जानकारी मांगी है जिसमें राज्य सरकार से ताजमहल और ताज ट्रैपीजियम क्षेत्र में और उसके चारों ओर लगाए गए पेड़ों की संख्या का विवरण देने को कहा है। “सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल की सुरक्षा और संरक्षण का विजन दस्तावेज पेश करने का आदेश उत्तर प्रदेश की सरकार को दिया है.
ताज ट्रैपीजियम जोन (टीटीजेड) आगरा क्षेत्र के पांच जिलों को कवर करने वाला एक 10,400 वर्ग कि.मी. त्रिपेक्षीय आकार का क्षेत्र है। टीटीजेड में तीन विश्व धरोहर स्थलों सहित 40 संरक्षित स्मारको शामिल किया गया है – ताज महल, आगरा का किला और फतेहपुर सीकरी प्रमुख हैं.
सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान से पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आगरा कमिशनर से ताज ट्रैपीजियम क्षेत्र के पेड़ों के बारे में जानकारी मांगी थी और इसके आधार पर इसको संरक्षित करने के आदेश दिए थे. एनजीटी के तात्कालीन अध्यक्ष स्वतंत्रता कुमार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने सक्षम अधिकारी से एमएस मेहता को वकील नियुक्त करने के साथ मेहता के माध्यम से आंकड़े कराए जाने का आदेश दिया था.
योगी सरकार आने के बाद ताजमहल के आस्तित्व पर ही सवाल उठाये जाने लगे थे. योगी सरकार के कई विधायकों ने ताजमहल को प्राचीन महादेव मंदिर के रूप में प्रचारित किया. ताजमहल की एतिहासिकता पर सवाल उठाये जाने के बाद सरकार ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की जिसके परिणाम स्वरूप मुख्यमंत्री ने खुद ताजमहल जाकर उसके संरक्षण की बात दोहराई थी.