संघ संपादक ने आंध्र की फोटो लगाकर उड़ाया कि त्रिपुरा में तोड़ी गई थी राजीव की मूर्ति !

 

त्रिपुरा में लेनिन और तमिलनाडु में पेरियार की मूर्ति को तोड़े जाने के विरोध में पूरे सोशल मीडिया में बवाल मचा हुआ है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। लेनिन की प्रतिमा गिराए जाने के बाद सोशल मीडिया में राजीव गाँधी का एक फोटो चलाया जा रहा है और कहा जा रहा कि लेनिन प्रतिमा गिराए जाने पर हल्ला मचा रहे वामपंथीराजीव गांधी की मूर्ति गिराए जाने पर क्यों चुप थे?

यह चौंकाने वाली ख़बर मूल रूप से ऑर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर के एक ट्वीट से फैली। उन्होंने वामपंथियों को निशाने पर लेते हुए लिखा कि कॉमियों ने लेनिन से प्रेरणा लेते हुए 2008 में त्रिपुरा में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मूर्ति गिरा दी थी, न तो उनके किसी बुद्धजीवी की आवाज़ निकली और न ही  कांग्रेस पार्टी को कोई समस्या हुई।”

 

‘आर्गेनाइज़र’ यानी आरएसएस का अंग्रेज़ी मुखपत्र। प्रफुल्ल केतकर का ट्विटर परिचय बताता है कि वे 2013 से इस पाक्षिक के संपादक हैं।

 

 

केतकर के इस ट्वीट के बाद वामपंथियों को ‘आईना’ दिखाने की बाढ़ आ गई। प्रधानमंत्री द्वारा फ़ॉलो किये जाने वाले गौरव प्रधान ने भी राजीव गांधी की प्रतिमा को गिराए जाने वाला ट्वीट किया। प्रधान के इस ट्वीट को 800 बार से अधिक रीट्वीट किया गया। केतकर के आलावा कई और बीजेपी समर्थकों ने आरोप लगाया कि कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थक त्रिपुरा में लेनिन की प्रतिमा गिराए जाने पर रो रहे हैं, जबकि वे खुद ऐसी राजनीति का सहारा लेने के दोषी हैं।

 

अफ़सोस कि केतकर जैसे लोग भूल गए हैं कि विचारधारा कुछ भी हो संपादक का मूल काम सत्य को असत्य से अलगाना होता है। ऐसा लगता है कि आरएसएस की शाखाओं में झूठ गढ़ने की ट्रेनिंग दी जाती है और अव्वल आने वाले को संपादक बना दिया जाता है। इस तस्वीर की असलियत आल्ट न्यूज़ ने खोल दी। यह तस्वीर न 2008 की है और न त्रिपुरा की।

राजीव गांधी की मूर्ति तोड़ने की यह तस्वीर 2013 में डेक्कन क्रोनिकल में छपी थी। उस समय तेलंगाना बनने से जहाँ एक तबका ख़ुश था, वहीं, संयुक्त आँध्र के समर्थकों ने कांग्रेस के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था। इन्हीं प्रदर्शनकारियों ने अनंतपुर में राजीव गांधी की मूर्ति तोड़ी थी। 


यही नहीं कडप्पा ज़िले में इंदिरा गाँधी की प्रतिमा को भी जला दिया गया था।


त्रिपुरा में लेनिन की प्रतिमा का तोड़े जाने का भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधवभाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली और राज्यसभा सदस्य स्वपन दासगुप्ता ने भी समर्थन किया था। बीजेपी नेताओं के सुर बदले जब तमिलनाडु में पेरियार की प्रतिमा को तोड़ने के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त प्रतिक्रिया देखी गई। सवाल ये है कि अपनी कुकृत्यों को सही ठहराने के लिए आरएसएस और बीजेपी नेता कितना झूठ बोलेंगे।

 



 

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