करीब महीने भर पहले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं से आधी रात के अंधेरे में मारपीट करने वाली बनारस की लंका थाना पुलिस चार साल पुराने एक मामले में बुरी तरह फंस गई है। मामला 2013 में एक नाालिग दलित लड़के के उत्पीड़न का है जिसमें पुलिस को आदेश हुआ है कि कि संबंधित दोषी पुलिसवालों की तनख्वाह से पैसे काटकर पीडि़त को एक लाख का मुआवजा दिया जाए।
अमृतप्रभात डॉट काम की खबर के मुताबिक बनारस स्थित लंका थानांतर्गत नवादा निवासी साहिल नट पुत्र संजय नट भीख मांगकर गुजर-बसर करता था। 22 मई 2013 की शाम वह भीख मांगता हुआ एक महिला के पीछे कुछ दूर तक चला गया। महिला ने उसे दो रुपए भी दिए, लेकिन रात होते ही महिला अपने परिजनों के साथ सुंदरपुर पुलिस चौकी पहुंच गई। महिला का आरोप था कि भीख मांगने वाले लड़के ने उसके बैग के एक बड़ी धनराशि का चेक निकाल लिया। महिला की निशानदेही पर पुलिस साहिल को चौकी पर लाई। आरोप है कि पुलिस साहिल को रातभर चौकी में बैठाए रखी और यातनाएं दी। इसी बीच आरोप लगाने वाली महिला पुलिस चौकी पहुंच गई और उसने बताया कि गुम हुआ चेक मिल गया है। इसके बाद पुलिस ने साहिल को पुलिस चौकी से भगा दिया।
अगले दिन जब ये मामला अखबार की सुर्खियां बना तो पुलिस के आला अधिकारियों तक खबर पहुंचीं, बावजूद इसके किसी पुलिसवाले के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में मानवाधिकार जन निगरानी समिति के डॉ. लेनिन रघुवंशी ने मामले को मानवाधिकार आयोग के अलावा यूपी के आला अधिकारियों तक पहुंचाया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 2013 में मामला दर्ज करते हुए राज्य सरकार को नोटिस भेजा, पीडि़त बच्चे को एक लाख रुपये का मुआवजा देने और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ़ कार्रवाई की सिफारिश की।
इसके बाद भी राज्य सरकार ने आयोग के आदेश का अनुपालन नहीं किया, तो पीवीसीएचआर ने मामले में तथ्यान्वेषण करते हुए मामले को दोबारा आयोग के समक्ष उठाया। केस संख्या 20381/24/72/2013 में आदेश का अनुपालन न करने के आरोप में आयोग ने 31 अक्टूबर को दिन में 1.00 बजे पेश होने के लिए राज्य के संबद्ध अधिकारियों को समन भेजा। समन में कहा गया था कि अगर 24 अक्टूबर से पहले कारण बताओ का जवाब औश्र अब तक हुई कार्रवाई की रिपोर्ट भेज दी गई तब व्यक्तिगत रूप से राज्य के अधिकारियों को आयोग के समक्ष पेश होने से रियायत मिल जाएगी।
यूपी सरकार ने आनन-फानन में 23 अक्टूबर 2017 को ही दोषी पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई और मुआवजा राशि के भुगतान का आदेश जारी कर दिया। सरकार ने दोषी पुलिसवालों से ही मुआवजा राशि की वसूली का भी आदेश दिया।