मोदी सरकार मुक्त व्यापार समझौता करने की ओर बढ़ रही है,जिसमें कोरिया जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड के अलावा चीन भी है। भारत का उद्योग जगत व कृषक समाज ने इस समझौते का विरोध कर रहा है.लेकिन कोई सुनवाई नही है। इस क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (रीजनल कप्रिहेंसिव इकनोमिक पार्टनरशिप) RCEP समझौते पर नवम्बर के शुरू में थाईलैंड में होने वाली बैठक में हस्ताक्षर किये जायेंगे अगर यह समझौता हो गया तो टेक्सटाइल इंडस्ट्री और किसान दोनों तबाह हो जायेंगे।
Attended the Plenary session of the 7th RCEP Ministerial Meeting in Bangkok today.
India holds a significant place in the global economy & its role in the discussion will provide for stable growth in trade and investments. pic.twitter.com/CdmfmRHEEF
— Piyush Goyal (मोदी का परिवार) (@PiyushGoyal) September 8, 2019
मुक्त व्यापार समझौतों के तहत विदेशों से आने वाले कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम किया जाता है.आयात शुल्क कम होने से विदेशी उत्पाद सस्ते हो जाएंगे जिस से हमारे किसानों के उत्पाद नहीं बिक पाएंगे. इसके दुष्परिणाम हमारे किसानों को झेलने पड़ेंगे। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से दूध, दूध का पाउडर व अन्य डेयरी सामान सस्ते में आने से यहां के किसानों को बहुत दिक्कत होगी। यही बात स्टील- एलुमिनियम व अन्य मेटल उद्योग में भी है। इसके कारण से यहां की ये फैक्ट्रियां बंद होंगी, बेरोजगारी और बढ़ेगी।
⚡️#InTheNews India holds a significant place in the global economy. Its role in the discussion provides for stable growth in trade and investments. Minister @PiyushGoyal attended the Plenary session of the 7th #RCEP Ministerial Meeting in Bangkok yesterday. pic.twitter.com/oTwLkyglXf
— Dept of Commerce, GoI (@DoC_GoI) September 9, 2019
टेक्सटाइल इंडस्ट्री करीब 10 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देती है। साथ ही ये इंडस्ट्री किसानों के उत्पाद जैसे कपास, जूट वगैरह भी खरीदती है।
आरसीईपी पर बातचीत पूरी होने के बाद टेक्सटाइल के क्षेत्र भारत और भी बुरी तरह से पिछड़ जाएगा चीन पहले हर महीने 20 अरब डॉलर मूल्य के वस्त्र निर्यात करता था जो अब घटकर 12 अरब डॉलर रह गया है इस कमी को पूर्वी एशिया के देश और बांग्लादेश पूरा कर रहे हैं। लेकिन भारत के पास इसका बहुत मामूली हिस्सा आया है।
CC @PiyushGoyal @narendramodi ji this is no way to handle trade and completely kill our mfg, dairy and agriculture. Do we want to kill #MakeInIndia?Import duty on Chinese Products: India may cut duties on 80% of Chinese imports under RCEP https://t.co/dsXZmXImIQ
— ASHWANI MAHAJAN (@ashwani_mahajan) September 28, 2019
बांग्लादेश का एक्सपोर्ट भारत के निर्यात का 60 फीसदी हुआ करता था लेकिन अब यह उलट कर दोगुना हो चुका है। वियतनाम भी हमसे काफी आगे हो गया है। विडंबना यह है कि बांग्लादेश कपास, धागा और कपड़ा भारत से इम्पोर्ट करता है।
टेक्सटाइल का एक्सपोर्ट, व्यापार घाटे को कम करता है, साथ ही कई जटिल समस्याओं को भी हल करता है। किसी भी अन्य बड़े औद्योगिक क्षेत्र की तुलना में यह रोजगार को अधिक बढ़ावा देता है ऑटो या किसी अन्य क्षेत्र की तुलना में यह 10 गुना तक और रसायन तथा पेट्रोकेमिकल क्षेत्र की तुलना में 100 गुना अधिक रोजगार प्रदान करता है। इस उद्योग की बिक्री का काफी हिस्सा वेतन-भत्तों में जाता है जो घरेलू खपत की मांग को बढ़ावा देता है। इसलिए यह क्षेत्र देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है
पिछले महीने ही टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने बड़ा सा विज्ञापन किया था जिसके मुताबिक दावा किया गया कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री का एक्सपोर्ट पिछले साल के मुकाबले (अप्रैल-जून) करीब 35% घटा है. इससे इंडस्ट्री की एक तिहाई क्षमता भी कम हुई है. मिलें इस हैसियत में नहीं रह गई हैं कि वो भारतीय कपास को खरीद सकें. साथ ही अब इंडस्ट्री में नौकरियां भी जाना शुरू हो गई हैं. कल ही इंडियन एक्सप्रेस की खबर है कि देश में छायी आर्थिक मंदी के कारण बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी चली गई है। देश के पांच अहम सेक्टर्स जिनमें टेक्सटाइल, रेडीमेड गारमेंट, सिगरेट, मशीनरी पार्ट्स और इलेक्ट्रोनिक कंज्यूमर्स के क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान ही 16 लाख नौकरियां प्रभावित हुई हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अर्थव्यवस्था से जुड़े आनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि मुक्त व्यापार समझौते में किसी भी तरह से कृषि, डेयरी और मैन्युफैक्चरिंग जैसे प्रमुख मामलों में देश हित का बलिदान न किया जाए. स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने ट्वीट कर कहा है, ‘ से नो टु RCEP और आसियान एफटीए पर फिर से वार्ता की जाए, जो कि कृषि और मैन्युफैक्चरिंग में हितों को बचाने के लिए जरूरी है.’
Shri @PiyushGoyal we were losers in WTO Uruguay Round. In #RCEP please don’t let us not sacrifice national interests in general and interest of Dairy, agriculture and mfg in particular. NO WIN WIN- ALL LOSE LOSE #StopRCEP https://t.co/e9r0tjZr7p
— ASHWANI MAHAJAN (@ashwani_mahajan) September 28, 2019
In a meeting proponents of #RCEP argued that India is largest milk producing country, why should we worry from #RCEP. I said, that is only my biggest worry; because if my 15 crore dairy farmers lose their livelihood, there will be no alternative. SAY NO TO #RCEP https://t.co/Lga5IWebzJ
— ASHWANI MAHAJAN (@ashwani_mahajan) September 29, 2019
लेकिन अगर यह RCEP मुक्त व्यापार समझौता होता है तो ओर भी नोकरियों जाएगी ओर बेरोजगारी बढ़ेंगी लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नही है।