पिछला लोक सभा चुनाव हुए अभी दो साल हुए हैं. अगला अगला लोक सभा चुनाव तीन साल बाद 2019 में होना है. लेकिन मीडिया के कारखाने के कई ‘राजनीतिक जानकार’ अभी से अटकल लगाने लगे हैं कि अगली बार नीतीश कुमार के पीएम बनने की संभावना है या नहीं!
शिवम विज पिछले कुछ सालों में ‘सभी विषयों के जानकार के रूप में तेजी से उभरे हैं. शुक्रवार को बीबीसी हिन्दी पर उनका एक लेख छपा. लेख का शीर्षक था, “नीतीश क्यों नहीं बन पाएंगे पीएम?”
नीतीश के पीएम बनने की संभावनाओं को तलाशने में शिवम विज इतने डूब गए कि उन्हें पता ही नहीं लगा कि नीतीश पांच बार बिहार के सीएम बन चुके हैं.
शिवम ने अपनी अटकलबाजी की आधारशिला रखते हुए लिखा कि नीतीश कुमार की जाति कुर्मी के महज़ चार फीसदी वोट होने के बावजूद वो तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. (ये अलग बात है कि नीतीश कुल जमा पाँच बार बिहार के मुख्यमंत्री बन चुके हैं.)
संभव है कि शिवम विज सीएम से पीएम के मामले में नीतीश का तुक नरेंद्र से मिलाना चाहते रहे हों. विज लिखते हैं, “अगर तीन बार गुजरात का मुख्यमंत्री रहा व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री बन सकता है तो बिहार का तीन बार का मुख्यमंत्री क्यों नहीं प्रधानमंत्री बन सकता.”
न जाने किस पिनक में शिवम विज ने नीतीश कुमार के तीन बार मुख्यमंत्री बनने की बात अपने लेख में कम से कम चार बार याद दिलायी है.
दुखद ये है कि बीबीसी हिन्दी में पर्याप्त मात्रा में बिहारी काम करते हैं. फिर उनमें से किसी का भी ध्यान इस तथ्यात्मक भूल की तरफ नहीं गया और ये लेख बीबीसी हिन्दी पर शीर्ष लेख के रूप में छप गया.
लेख छपने से पहले ध्यान न देने से भी ज्यादा हास्यास्पद स्थिति तब पैदा हो गई जब बीबीसी हिन्दी का लेख छपने के कई घंटों बाद इस त्रुटि पर ध्यान गया.
बीबीसी हिन्दी के किसी काबिल पत्रकार ने शिवम विज के लेख में संपादन कला का अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए उस पंक्ति को बदल दिया जिसमें पहली बार शिवम विज ने नीतीश के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की बात कही थी.
संपादन के बाद बीबीसी ने लिखा, “लगातार तीसरी बार और कुल पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार 2019 में देश के अगले प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं.”
इस भूल सुधार ने बीबीसी हिन्दी के त्रुटिपूर्ण के साथ ही उपहासजनक भी बना दिया. पाँच बार सीएम बनने की सूचना देने के बावजूद उसके आगे कई बार नीतीश के तीन बार सीएम होने की बात तिहराई जाती रही.
ऊपर दी गई पंक्ति की अगली ही पंक्ति में(देखें स्क्रीन-शॉट) बीबीसी लिखता है, “इसमें कोई बुराई भी नहीं है कि एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और तीन बार मुख्यमंत्री बनने वाला व्यक्ति ऐसी महत्वकांक्षा रखे.” और इसके बाद भी जहां भी नीतीश के मुख्यमंत्री बनने का जिक्र आया है, तीसरी बार के साथ ही आया है.
और बीबीसी को ये बताने का कोई मतलब नहीं कि नीतीश लगातार तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री नहीं बने हैं, बीच में एक जीतन राम मांझी भी हुए थे. क्योंकि बीबीसी हिन्दी ने फिर कोई सुधार किया तो क्या होगा, ये अटकल केवल शिवम विज लगा सकते हैं…