नमक-रोटी कांड : NHRC का नोटिस आते ही DM ने पलटी क्‍यों मार ली?

मीरजापुर के सिऊर गांव में सरकारी प्राइमरी स्कूल के बच्चों को नमक-रोटी खिलाने के मामले में कलेक्टर अनुराग पटेल अब पलटी मार गए हैं। पत्रकार पवन जायसवाल ने रोटी के साथ नमक खिलाने की सूचना जनहित में प्रसारित की, लेकिन मौके पर जांच करने पहुंचे डीएम ने तो यह भी जोड़ दिया कि इससे पहले खिचड़ी के नाम पर बच्चों को नमक-चावल (भात) भी दिया गया था। इस प्रकरण में प्रशासन और शिक्षा विभाग ने मिलकर कुल पांच जांचें कराईं और सभी में आरोप सच पाए गए। दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई भी हुई। अफसरों के सुर तब बदले जब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस घटना को स्वत: संज्ञान लेकर यूपी के प्रमुख सचिव के पेंच कसे। चार हफ्ते में रपट मांगी।

बात जिम्मेदारी ओढ़ने की आई तो जो अफसर कटघरे में खड़े थे वो खुद न्यायधीश बन गए। आनन-फानन में सीडीओ प्रियंका निरंजन को मौके पर भेजा गया। फिर नई स्क्रिप्ट तैयार हुई। तथाकथित प्रधान प्रतिनिधि पर साजिश का आरोप लगा।

सरकार को बदनाम करने की तोहमत पत्रकार पवन जायसवाल के सिर मढ़ी गई। बाद में अहरौरा थाने में संगीन धाराओं में दोनों के खिलाफ रपट दर्ज कर ली गई। फिलहाल, पत्रकार के सूत्र को अहरौरा थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

मीरजापुर प्रशासन का कमाल देखिए। चैनलों पर चीख-चीखकर सचाई को बयां करने वाले अफसर अब कह रहे हैं कि पहले की उनकी जांचें फर्जी थीं, झूठी थीं। नायब तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम (वित्त एवं राजस्व), बेसिक शिक्षा अधिकारी से लेकर कलेक्टर तक की जांच रपटें अब कोरा कागज बन गईं हैं और उन्हें झूठा करार दे दिया गया है।

मीरजापुर के कलेक्टर हर महीने मिड डे मील की जांच कराने का दावा करते हैं, लेकिन यह जांच आज तक नहीं हुई कि कितने अफसरों और शिक्षकों के बेटे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं? चलिए हम करते हैं रियलिटी चेक। जानते हैं कि 22 अगस्त 2019 को वायरल नमक-रोटी प्रकरण के कौन नायक हैं और कौन खलनायक?

नमक-रोटी का वीडियो वायरल होने के तत्काल बाद आनन-फानन में कुल दो जांचें हुईं। पहली-नायब तहसीलदार की, दूसरी-चुनार के एसडीएम और एडीएम (वित्त एवं राजस्व) की। इनकी रिपोर्ट मिली तो 23 अगस्त 2019 को तो खुद जांच करने सिऊर पहुंचे डीएम अनुराग पटेल। जांच के बाद मीडिया से रूबरू हुए, जिसका वीडियो अब तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में डीएम कहते हैं कि कल हमें इलेक्ट्रानिक मीडिया से सूचना मिली थी कि प्राथमिक विद्यालय सिऊर जहां हम लोग खड़े हुए हैं, कल बच्चों को रोटी-नमक खिलाया गया। एसडीएम चुनार को जांच करने को कहा। उन्होंने नायब तहसीलदार को मौके पर भेजा।

व्हाट्सएप पर रिपोर्ट मिली तो पता चला कि वास्तव में रोटी-नमक दिया गया था। वीडियो में डीएम आगे कहते हैं कि यह दुर्भाग्य की बात है कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त मात्रा में एमडीएम के लिए पैसा भेजा जाता है। कल के मीनू में रोटी-दाल था। ये न बनाकर इन्होंने रोटी-नमक दिया। सब्जी नहीं बनाई गई। आज एसडीएम और एडीएम ने डिटेल जांच किया। मैंने कक्षा एक से लेकर पांच तक के एक-एक बच्चों से पूछा और सभी बच्चों ने बताया कि उन्हें रोटी-नमक दिया गया। यहां फल के रूप में केवल केला दिया जाता है। दो दिन पहले खिचड़ी के नाम पर चावल-नमक दिया गया था…हमने इस मामले में दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। घटना के दिन इकलौती शिक्षामित्र शांति साहनी सिऊर स्कूल में मौजूद थीं। इनके चार वीडियो वायरल हो रहे हैं। एक वीडियो में शांति कहती हैं कि हम समस्या क्या बताएं। बच्चों से आप खुद पूछ लीजिए।

खाना देते समय कुछ अभिभावकों ने रोक दिया था….हमारा कलेजा धक्क-धक्क कर रहा है कि कहां से खाना दें…? सोशल मीडिया पर एक और वीडियो वायरल हो रहा है जो सिऊर प्राइमरी स्कूल के रसोई घर का है। दो बोरे रखे गए हैं। एक बोरे में कागज रखा गया है। ढूंढने पर कागज के साथ तीन आलू मिलते हैं। दूसरे बोरे में उपला (गोइठा) और रसोई घर में रखे कुछ खाली बर्तन। एक अन्य वीडियो में स्कूल के शिक्षक मुरारी सिंह हैं मौर्य दिखते हैं और अचानक उन्हें देखकर नमक रोटी खाने वाले बच्चे चुप हो जाते हैं। रिपोर्टर कहता है कि क्या आपसे बच्चे डरते हैं…बच्चा बता रहा था…अचानक चुप क्यों हो गया? फिर शिक्षक पीछे चले जाते हैं और बच्चा बताता है कि आज नमक-रोटी खाने को मिला था।

24 अगस्त 2019 को हमने खुद शांति से बात की तो कहा कि सुबह से बच्चे भूखे थे। मेरे भी बच्चे यहीं पढ़ते हैं। मीनू रोटी-दाल का था। मास्टर बोले थे कि सब्जी लाएंगे। बच्चे भूख से चिल्लाने लगे तो नमक रोटी बांट दिया। सिऊर प्राइमरी स्कूल की रसोइया रुक्मणी देवी का भी एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह वीडियो भी नमक-रोटी वाले प्रकरण के दिन का ही है। जिसमें वो बता रही है कि पाव भर मरचा, पाव भर नमक, आधा किलो आलू, एक पाव हल्दी लेकर आई। हम सरजी (प्रभारी टीचर) का इंतजार कर रहे थे। रोटी सेकते भर में ये सब (बच्चे) तैयार हो गए। इस वीडियो को देखकर समझा जा सकता है कि बच्चों की अतड़ियां सूख रही थी और उन्हें जोरों से भूख लगी थी।

घटना के दिन का एक वीडियो सिऊर निवासी अशोक का वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वो कहते हैं कि सही समय से भोजन नहीं मिल रहा है। किसी दिन नमक-रोटी मिल रहा तो किसी दिन चावल नमक। दूध आएगा तो दस लड़कों को बांटा जाएगा…दस को नहीं बांटा जाएगा। केला आता है तो कुछ को बांटकर घर चला जाता है। यह समस्या साल भर से है।

तीन मास्टर में एक मस्टराइन पढ़ाती हैं शांति। और मास्टर गायब हैं। एक मस्टराइन साल भर में एक दिन पढ़ाने आती हैं। उनका पता ही नहीं चल रहा है। हमें एक वीडियो ऐसा भी मिला है जिसमें रोटियां रखी हैं। कुछ वीडियो नमक रोटी खा रहे बच्चों के हैं। घटना के दिन आधा दर्जन बच्चों के वीडियो भी वायरल हो रहे हैं जिनमें सभी बच्चे शिक्षा विभाग के मिड डे मील योजना की पोल खोलते नजर आ रहे हैं।

रियलिटी चेक के दौरान घटना के दिन के हमें दो आडियो भी मिले। पहला आडियो तथाकथित प्रधान प्रतिनिधि राजकुमार पाल और पत्रकार पवन जायसवाल का है। इस आडियो में राजकुमार कहते हैं कि हमारी सिऊर वाली समस्या हल नहीं होगी? महाराज वहां कई दिनों से खाना नहीं मिल रहा है। दूध नहीं मिल रहा है…केला नहीं मिल रहा है। आज तो वहां कुछ भी नहीं है, क्या खाएंगे लड़के? पत्रकार कहता है बताइए समस्या, खबर लिख दूंगा और क्या? खबर लिखने से कुछ नहीं होगा। चलिए हिनौता। हेड मस्टराइन कई दिनों से नहीं आ रही हैं।

रियलिटी चेक के दौरान हमें एक और आडियो मिला है। यह आडियो है इलाकाई एबीएसए और पत्रकार पवन से हुई बातचीत की। यह आडियो पत्रकार के सिऊर पहुंचने से पहले का है। एबीएसए को पत्रकार अपना परिचय देता है कि सर आज हिनौता में एक खबर करना है। जवाब मिलता है-किस चीज का। हेडमास्टर काफी दिन से नहीं आ रही हैं और मिड डे मील नहीं बंट रहा है। हम पहले ही आपको सूचना दे देना चाहते हैं…। फिर एबीएसए आएं…आएं…हलो…हलो…कहते हुए अभी बात करते हैं… कहकर फोन काट देते हैं।

रियलिटी चेक में हमें इलाकाई सांसद अनुप्रिया पटेल के विधायक पति आशीष पटेल का एक खत भी मिला है जो उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा है। खत में उन्होंने लिखा है कि मीरजापुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण तिवारी के नेतृत्व में विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इसका स्पष्ट उदाहरण सिऊर में बच्चों को सूखी रोटी खिलाने का प्रकरण है। इस खत में उन्होंने मुख्यमंत्री से बेसिक शिक्षा अधिकारी सहित सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।

सीडीओ प्रियंका निरंजन की जांच रिपोर्ट के आधार पर मीरजापुर के खंड शिक्षा अधिकारी प्रेमशंकर राम ने 31 अगस्त 2019 की रात 9.14 बजे पत्रकार और तथाकथित प्रधान प्रतिनिधि के खिलाफ धारा-120बी,186,193 और 420 के तहत रपट दर्ज कराई है। रपट में भी इस बात का उल्लेख है कि नमक-रोटी वाला वीडियो दोपहर 12.7 बजे का है, जबकि यूपी के प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील देने का समय सुबह 10.30 बजे तय है। यक्षप्रश्न यह है कि बच्चों को भूखे रखने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ रपट क्यों नहीं लिखाई गई? एबीएसए से पत्रकार की हुई बातचीत के आडियो से साफ-साफ पता चलता है कि पत्रकार का इरादा सरकार को बदनाम करने का नहीं, बल्कि जनहित में व्यवस्था सुधारने का था। पत्रकार ने साजिश का कोई ताना-बाना पहले से नहीं बुना था।

रिपोर्ट कवर करने से पहले उसने एबीएसए को सिऊर के सरकारी स्कूल की गड़बड़ी के बारे में जानकारी देते हुए खबर कवर करने की अनुमति भी मांगी। हर प्रखंड में प्राइमरी स्कूल सीधे एबीएसए के नियंत्रण में होते हैं। …अभी बात करते हैं… कहकर फोन काटने वाले जमालपुर प्रखंड के एबीएसए ने पत्रकार से दोबारा संपर्क करने अथवा विभाग का पक्ष रखने की कोई कोशिश नहीं की। सीडीओ की जांच में इस तथ्य का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। जांच के दौरान सीडीओ ने पाया है कि एमडीएम प्रभारी मुरारी ने सब्जी विक्रेता को तीन सौ रुपये एडवांस दे रखा था।

घटना गुरुवार की थी और उस दिन मिड डे मील के मीनू में था रोटी के साथ दाल। फिर सब्जी का इंतजार क्यों किया जा रहा था? इस पर जांच अधिकारी ने कोई सवाल नहीं खड़ा किया है। ग्रामीण इलाके के सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील के प्रबंधन से लेकर पर्यवेक्षण तक का जिम्मा भी सीडीओ के पास है। मतलब ये खुद कटघरे में थी और नमक रोटी प्रकरण में इन्हें न्यायाधीश बना दिया गया। पिछली जांच के बाद नई जांच में नमक रोटी प्रकरण से अपना गला छुड़ाने के लिए अजीबो-गरीब तड़का लगाती जा रही है। यह तड़का है जो किसी के गले के नीचे नहीं उतर रहा है।

नमक-भात खिलाने पर सरकार बदनाम नहीं होती…!

मीरजापुर की सीडीओ प्रियंका निरंजन की जांच सिर्फ तथाकथित प्रधान प्रतिनिधि राजकुमार और पत्रकार पवन के इर्द-गिर्द ही घूमी। एकतरफा बात सुनी और मान लिया कि दोनों ने सरकार को बदनाम किया। कलेक्टर ने रपट लिखने की संस्तुति भी कर दी। दिलचस्प बात यह है कि नमक-रोटी कांड से एक दिन पहले नमक चावल (भात) खिलाने की बात मीडिया के सामने रखने वाले डीएम अनुराग पटेल के बयान को साजिश का हिस्सा नहीं माना गया? क्या सिर्फ नमक रोटी खिलाने की बात कहना अथवा सूचना प्रसारित करना अपराध है?

सुलगता सवाल यह उठाया जा रहा है कि डीएम द्वारा सिऊर के बच्चों को नमक भात खिलाने की प्रामाणिक जानकारी देने पर क्या योगी सरकार बदनाम नहीं होती? नमक-रोटी कांड से अब यह बात साफ हो गया है कि पत्रकार अब जनहित में व्यवस्था के खिलाफ कलम न चलाएं और न ही प्रामाणिक खबर टीवी में दिखाएं। राज खोलें तो सिर्फ सरकार चलाने वाले अफसर और नेता, क्योंकि ये बोलेंगे तो उस पर राष्ट्रभक्ति की मुहर लग जाएगी।


जनसंदेश टाइम्स में वरिष्ठ पत्रकार और समाचार संपादक विजय विनीत की लिखी रिपोर्ट से साभार प्रकाशित

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