वकीलों ने किया सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई से जस्टिस रेवती को हटाने का विरोध !

सोहराबुद्दीन फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहीं बाम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते डेरे को बदलने पर बम्बई लायर्स एसोसिएशन (BLA) ने आपत्ति जताई है। एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी.के.तहिलरमनी को एक पत्र लिखकर कहा कि ऐसे बदलाव से जनता में गलत संदेश जा रहा है।

एसोसिएशन ने जस्टिस तहिलरमनी को लिखे पत्र में कहा है कि केस की सुनवाई के दौरान, बीच में हो रहे इस तरह के बदलावों ने न्यायपालिका पर लोगों की आस्था को कम किया है।  इस तरह की प्रक्रियाओं को रोका जाए जिससे जस्टिस लोया की मौत के मामले में न्याय हो सके।

24 फरवरी को, उच्च न्यायालय में कुछ न्यायाधीशों का कामकाज बदला गया था और मुठभेड़ मामले से संबंधित याचिकाओं को न्यायमूर्ति रेवती के न्यायालय से न्यायमूर्ति एन डब्ल्यू संब्रर के पास स्थानांतरित कर दिया गया था। जबकि न्यायमूर्ति रेवती याचिकाओं पर दिन-प्रतिदिन सुनवाई कर रही थीं। बीएलए ने कहा है कि पाँच में से तीन याचिकाओं पर जस्टिस रेवती सुनवाई कर चुकी थीं।

उधर, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की ओर से कहा गया है कि बदलाव एक नियमित प्रक्रिया थी।

बीएलए ने कहा है कि “इसमें कोई संदेह नहीं कि मुख्य न्यायाधीश रोस्टर के प्रमुख हैं, लेकिन उन्हें परंपरा के साथ तालमेल रखते हुए,और सबसे ज़्यादा जनहित को ध्यान में रखते हुए इस अधिकार का प्रयोग करना चाहिए।

पत्र में कहा गया है कि ” ऐसा लगता है कि जस्टिस रेवती को हटाने का रिश्ता इस बात से है कि उन्होंने सीबीआी की ढिलाई पर कड़ी टिप्पणी की थी.. यह बताना ज़रूरी है कि फ़र्ज़ी मुठभेड़ के 38 अारोपितों में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सहित 15 को बरी किया जा चुका है और 42 गवाहों में से 34 पलट चुके हैं।

बीएलए ने यह भी कहा है कि  सोहराबुद्दीन और तुलसीराम मामले में अमित शाह की रिहाई के ख़िलाफ़ अपील न करने के सीबीआई को चुनौती देते हुए, इस साल की शुरुआत में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। जजों के कामकाज में हुए बदलाव के बाद अब यह याचिका जस्टिस बी.आर.गवई सुनेंगे। गवई वही न्यायाधीश हैं जिन्होंने प्रेस को बयान दिया था कि “उन्हें जस्टिस लोया कि मौत पर कोई संदेह नहीं है। ”

एसोसिएशन को अभी तक जस्टिस तहिलरमनी के कार्यालय से कोई जवाब नहीं मिला है।

दिसंबर 2005 में गुजरात एटीएस ने सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को पुलिस मुठभेड़ में मार दिया था। सोहराबुद्दीन का सहयोगी तुलसीराम प्रजापति, जो इस मुठभेड़ का गवाह था, बाद में गुजरात और राजस्थान पुलिस द्वारा मुठभेड़ में मार दिया गया। आरोप है कि सारी मुठभेड़ें फ़र्ज़ीं थीं।

सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश लोया की 2014 में रहस्मय तरीके से मौत हो गई थी। न्यायधीश लोया की रहस्यमय मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करते हए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई है।

 



 

 

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