क्या जेटली ‘फ्रैंचलीक्स’ के पत्रकारों को रफ़ाल डील की धज्जियाँ उड़ाने को उकसा रहे हैं?

 

प्रशांत टंडन

अरुण जेटली मंझे हुये वकील और होशियार बयानबाज नेता हैं. उनमे ये हुनर है कि वो जब बयान देते हैं तो उसकी आगे की यात्रा भी तय करते है. आश्चर्य हुआ कि उन्होने अनिल अंबानी को राफ़ेल डील में बीच में लाने के मोदी पर आरोप का बचाव करते हुये फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रांस्वा ओलांद पर राहुल गांधी से सांठ गांठ का आरोप लगा दिया. जेटली के लंबे अनुभव को देखते हुये ये मानना मुश्किल है कि उन्होने ओलांद को विवाद में धसीटने से पहले इस बात का आकलन नहीं किया होगा कि इसकी फ्रांस के मीडिया और राजनीतिक हलक़ों में क्या प्रतिक्रिया होगी.

जिस मीडियापार्ट ने ओलांद का इंटरव्यू छापा है वो फ्रांस का एक प्रतिष्ठित मीडिया प्लेटफॉर्म है और कोर्पोरेट पैसे पर निर्भर नहीं है और न ही किसी दवाब में आने वाला है. मीडियापार्ट का अभी तक का रिकार्ड तो यही बताता है. इसके संपादक है एड्वी प्लेनेल जो इसके पहले वर्षो तक “ली मौंड” अखबार के संपादक रहे हैं. “ली मौंड” की फ्रांस में वैसी ही ख्याति है जैसे अमेरिका में “वाशिंगटन पोस्ट” की.

एड्वी प्लेनेल का मीडियापार्ट ने WikiLeaks की तर्ज पर FrenchLeaks की भी शुरुआत की थी और गद्दाफ़ी-सर्कोज़ी के 50 मिलियन यूरो के लेनदेन समेत कई बड़े खुलासे किए हैं. राफ़ेल डील पर टिप्पणी करते हुये प्लेनेल ने कहा है सभी बड़े रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार होता है – ये कड़वा सच है.

इस वीडियो में एड्वी प्लेनेल ओलांद के अंबानी पर बयान को स्पष्ट कर रहे हैं और साथ ही उन्होने भारतीय मीडिया की आज़ादी पर भी चिंता ज़ाहिर की है. अब अगर जेटली के बयान पर मीडियापार्ट ने और खोजबीन की तो राफ़ेल डील की और परते उधड़ेंगी.

क्या जेटली ने ओलांद और एड्वी प्लेनेल को उकसाया है या मोदी का सफल बचाव किया है इसकी समीक्षा तो कुछ समय बाद ही हो सकती है.

वीडियो देखिए —

 

प्रशांत टंडन वरिष्ठ पत्रकार हैं।

 



 

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