‘शूटर’ मंत्री ने संसद में झूठ बोला! प्रसून के ‘मास्टर स्ट्रोक’ और ABP की T.R.P गिरी नहीं बढ़ी थी!

क्या मोदी राज में संसद को सत्य के बजाय असत्य का मंदिर बनाया जा रहा है? क्या मंत्री संसद के भीतर सफेद झूठ बोलने से नहीं हिचक रहे हैं? हम यह सवाल क्यों उठा रहे हैं, इसे जानने से पहले सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौर का संसद के भीतर पुण्य प्रसून वाजपेयी समेत एबीपी न्यूज़ के तीन  वरिष्ठ पत्रकारों को हटाने या हटने के लिए मजबूर करने पर दिया बयान पढ़ लीजिए।
राज्यवर्धन ने मल्लिकार्जुन खड़गे के सवाल के जवाब में लोकसभा के भीतर कहा-
“ये चैनल का अंदरूनी मसला है, सरकार का इससे कोई संबंध नहीं है. चैनल की टीआरपी लगातार गिर रही थी और लोग उसे नहीं देखना चाहते।”

ये राज्यवर्धन का बयान है। कुछ लोग चैनल के प्राइमटाइम शो ‘मास्टरस्ट्रोक’ की टीआरपी पर सवाल उठा रहे हैं जिसे पुण्य प्रसून वाजपेयी पेश करते थे। हमने भी इस तथ्य को जांचा परखा कि क्या वास्तव में मास्टर स्ट्रोक और चैनल की टीआरपी गिर रही है, और कहीं इस वजह से तो पुण्य प्रसून, ऐंकर अभिसार शर्मा और मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर पर गाज नहीं गिरी ?

पहले यह जान लीजिए कि  ‘मास्टर स्ट्रोक’ शुरू होने से पहले उसी 9 बजे के स्लॉट में दिबांग का ‘जन मन’ नाम से जो शो आता था, उसके आखिरी एक महीने की टीआरपी क्या थी।
नीचे सिलसिलेवार तरीके से टीआरपी दर्ज की गई है। शुरुआत में ‘जन मन’ के आखिरी चार हफ्तों की टीआरपी। ये टीआरपी सोमवार से शुक्रवार की है क्योंकि शनिवार-रविवार न तो ‘जन मन’ आता था, न ‘मास्टरस्ट्रोक।’
WEEK 10- 5 MAR to 9 MAR
7.2, 7.8, 8.5, 5.1, 7.0 = 7.12  (पाँच दिनों का औसत)
WEEK 11– 12 MAR to 16 MAR
8.1 6.0 4.3 4.1 5.9 = 5.68
WEEK 12– 19 MAR to 23 MAR
5% 7% 6% 7% 9% = 6.8
WEEK 13– 26 MAR to 30 MAR
9.9 6.9 6.1 7.7 5.1 = 7.14
इसका मतलब है कि ‘जन मन’ का हाल खराब चल रहा था, और शायद इसलिए चैनल ने ‘मास्टर स्ट्रोक’ ल़ॉन्च किया।  ‘जन मन’ लगातार 6-7 टीआरपी से आगे नहीं बढ पा रहा था। पुण्य प्रसून को लेकर एबीपी ने 2 अप्रैल से मास्टरस्ट्रोक शुरु किया और इसकी टीआरपी भी देख लीजिए।
WEEK 14– 2 APR to 6 APR
7.7 12.9 9.0 11.8 12.8 =10.8
WEEK15– 9 APR to 13 APR
13.9 11.7 16.4 12.1 14.9 =13.8
WEEK 16– 16 APR to 20 APR
9.4 13.8 10.4 9.8 10.8 =10.8
WEEK17– 23 APR to 27 APR
9.4 15.7 10.0 10.6 11.6 =11.4
WEEK 18– 30 APR to 4 MAY
12.0 10.1 12.3 12.1 11.9 =11.6
WEEK 19- 7 MAY to 11 MAY
10.9 11.2 10.0 13.1 13.2 =11.6
WEEK 20– 14 MAY to 18 MAY
10.4 11.1 13.1 13.8 15.8 =12.8
WEEK 21– 21 MAY to 25 MAY
10.9 12.8 11.0 13.1 14.0 =12.3
WEEK 22– 28 MAY to 1 JUN
16.4 10.6 14.3 14.9 15.6 =14.3
WEEK 23– 4 JUN to 8 JUN
12.0 11.8 12.2 12.9 10.2 =11.8
WEEK 24– 11JUN to 15JUN –
15.3 13.9 8.6 10.7 11.0 =11.9
WEEK 25– 18 JUN to 22 JUN
10.0 13.2 11.0 8.3 13.2 =11.1
WEEK 26 हमें मिल नहीं पाया
WEEK 27– 2 JUL to 6 JUL
13.7 13.7 11.5 11.1 13.0 =12.6
WEEK 28– 9 JUL to 13 JUL
10.8 14.2 11.3 17.0 8.8  =12.4

13 जुलाई के बाद ब्लैक आउट शुरु हो गया यानी जैसे ही नौ बजे मास्टर स्ट्रोक शुरू होता चैनल की फ्रीक्वेंसी गड़बड़ कर दी जाती। टी.वी.स्क्रीन फ्रीज़ होने लगती…रुक-रुक कर हो रहे प्रसारण को कौन देखता। लिहाज़ा टीआरपी का कोई मतलब नहीं रह गया।
इस तरह देखें तो आख़िरी वक्त में मास्टर स्ट्रोक की टीआरपी 12-13 के बीच रह रही थी, जो ‘जन मन’ के दौर से लगभग दोगुनी थी। इसे टीआरपी घटना कैसे कहा जा सकता है-समझ से परे है।
अब  एबीपी की टीआरपी भी आपको जाननी चाहिए क्योंकि कहा यही गया कि चैनल की टीआरपी गिर रही थी। यहां आखिरी तीन हफ्तों की टीआरपी भी देख लीजिए–
Week 30 -15+
Aaj Tak-19.4
Zee-13.2
India Tv- 13.0
AbP- 12.6
News18- 12.2
Week 29– 15 +
AajTak- 19.5
Zee- 13.6
IndiaTV-13.2
ABP- 12.4
News18- 12.1
Week- 28 15 +
AajTak- 18.8
ABP- 13.2
Zee- 12.8
IndiaTV -12.7
News18 -12.6
इनमें से 28 वें हफ्ते यानी दो हफ्ते पहले तो एबीपी न्यूज दूसरे नंबर पर काबिज हो गया था। 29वें और 30वें हफ्ते में मास्टर स्ट्रोक को ब्लैकआउट नहीं किया जाता तो बहुत संभव है कि वो लगातार दूसरे या तीसरे नंबर पर शुमार हो जाता। तो एक शक यह भी है कि कहीं चैनल की टीआरपी गिराने के लिए तो मास्टरस्ट्रोक को ब्लैक आउट नहीं किया गया था?  इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने वाले लोग जानते हैं कि किसी कार्यक्रम की टीआरपी तीन-चार हफ्ते में छप्पर नहीं फाड़ती, उसके लिए समय लगता है। और तीन महीने पर्याप्त वक्त नहीं होता, ये बात चैनल के मालिक भी अच्छी तरह जानते होंगे, इसलिए तीन महीने में वो 9 बजे की टीआरपी दोगुनी होना उत्साहवर्धक था। न सिर्फ़ संपादकों के लिए बल्कि मालिकों के लिए जिन्हें टीवी के ‘धंधे’ की समझ है।
दरअसल, मास्टर स्ट्रोक के ज़रिए सरकार के तमाम झूठ की पोल खुल रही थी। यह पोल उस हिंदीभाषी जनता के बीच खुल रही थी जिसको झूठ के आधार पर संगठित करने का अभियान चल रहा है। सरकार को यही बर्दाश्त नहीं हुआ। मालिकों पर दबाव डालकर प्रसून समेत तीन वरिष्ठ पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखवा दिया गया।
लेकिन संसद में सवाल उठा तो सरकार ने किसी हस्तक्षेप से साफ़ इंकार कर दिया। बयानबाज़ी भर की बात होती तो शायद मसला आरोप-प्रत्यारोप भर का रहता। लेकिन सरकार को पाक-साफ़ बताने के लिए चैनल की टीआरपी को लेकर झूठ बोला। अफ़सोस कि ये झूठ संसद में बोला गया। सूचना प्रसारण मंत्री ने बोला। क्या मोदी जी उन्हें अभी तक ‘शूटर’ ही समझते हैं।
क्या राज्यवर्धन राठौर माफी मांगेंगे?

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