देश की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है और विकास दर 4.5 फीसदी पर फिसल चुकी है। महंगाई शिखर पर है और प्याज में आग लगी हुई है। वित्त मंत्री का कहना है वे प्याज नहीं खाती हैं और जिस घर से वे आती हैं वहां प्याज -लहसुन का इस्तेमाल नहीं होता इसलिए चिंता न करें। इस बीच जब बीजेपी सासंद वीरेंद्र सिंह मस्त कह रहे हैं कि गाड़ियों की बिक्री में कमी आई है तो ट्रैफिक जाम क्यों हो रहे हैं ? ठीक इसी वक्त उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला क्या कह रहे हैं? पढ़िए यह विश्लेषण: संपादक
वोडाफोन-आइडिया के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला का कहना है कि सरकार से राहत नहीं मिली तो कंपनी बंद करनी पड़ेगी। एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) पर 39,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की अतिरिक्त देनदारी बनी है।
#KMBirla said the company will have to opt for insolvency route in the absence of relief from govt. https://t.co/dQTVfhcrAS
— Economic Times (@EconomicTimes) December 6, 2019
हालांकि पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टेलीकॉम कंपनियों को राहत देते हुए कहा था कि हमने टेलीकॉम कंपनियों पर बढ़ते वित्तीय दबाव के चलते स्पेक्ट्रम नीलामी की किश्त को दो साल तक के लिए टाल दिया है. हालांकि कंपनियों को इस भुगतान पर बनने वाले ब्याज को अदा करना होगा।
इस राहत के बाद वोडाफोन-आइडिया ने पिछले दिनों टैरिफ बढ़ाने का फैसला भी लिया है लेकिन नजर आ रहा है कक इससे जो फायदा होने की उम्मीद है वह जरूरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं होगा।
Vodafone Idea will have to 'shut shop': Kumar Mangalam Birla's startling admissionhttps://t.co/mJRbzmqidh #vodafoneidea #Kmbirla
— Financial Express (@FinancialXpress) December 6, 2019
बिड़ला की इस घोषणा से साफ है कि यह राहत ओर दाम में बढ़ोतरी भी उन्हें पर्याप्त नही लग रही है ……..बिड़ला ने शुक्रवार को एक समिट में कंपनी के भविष्य को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि वह वोडाफोन-आइडिया में अब और निवेश नहीं करेंगे। बिड़ला ने कहा कि राहत नहीं मिलने पर दिवालिया का विकल्प चुनना पड़ेगा।
VIL ने कारोबार समेटा तो उसके करीब 13,520 कर्मचारियों की नौकरी जाएगी। टेलिकॉम इंडस्ट्री में पहले ही करीब एक लाख लोगों की नौकरी जा चुकी है। upa के समय टेलिकॉम सेक्टर में 8 प्राइवेट कंपनियां थीं, जिनकी संख्या घटकर अब तीन पर आ गई है।
एयरटेल ओर वोडाफोन आईडिया जैसी कम्पनियों पर अपनी लागत में कटौती करने का भारी दबाव है। ऐसे में इसका असर इस क्षेत्र में छंटनी के रूप में देखने को मिल सकता है।यह संकट अब टेलीकॉम कंपनियों में काम कर रहे 2 लाख लोगों पर मंडरा रहा है।
भारत के कॉर्पोरेट इतिहास में अभी तक का सबसे बड़ा तिमाही घाटा वोडाफोन आइडिया झेल रही हैं वोडाफोन आइडिया को दूसरी तिमाही में 50 हजार 921 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। इससे पहले पिछले साल की दूसरी तिमाही में कंपनी को 4,947 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इससे पहले टाटा मोटर्स ने अक्टूबर-दिसंबर 2018 की तिमाही में 26,961 करोड़ रुपये का तिमाही नुकसान दिखाया था। यह उस समय तक किसी भारतीय कंपनी का सबसे बड़ा तिमाही घाटा था।
पिछले महीने भी आईडिया के मालिक आदित्य बिड़ला समूह ने साफ किया है कि अगर सरकार समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) को लेकर 39,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की देनदारी पर बड़ी राहत नहीं देती, तो वह कंपनी में और निवेश नहीं करेगा। बिड़ला समूह को करीब 44,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा क्योंकि कंपनी में उसकी 26 फीसदी हिस्सेदारी है। वोडाफोन आइडिया की वित्तीय देनदारी आदित्य बिड़ला ग्रुप की सूचीबद्ध कंपनियों के उपलब्ध वित्तीय संसाधनों से कहीं अधिक है। उदाहरण के लिए, एवी बिड़ला समूह की तीन सूचीबद्ध कंपनियों- ग्रासिम, हिंडाल्को और आदित्य बिड़ला फैशन- द्वारा सृजित कुल नकदी प्रवाह वित्त वर्ष 2019 में महज 611 करोड़ रुपये था।
वोडाफोन आइडिया अगर बंद हो गई तो उसके शेयरधारकों के इक्विटी निवेश पर करीब 1.68 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। वोडाफोन आइडिया में बैंकों का कुल ऋण इस साल मार्च के अंत में 1.25 लाख करोड़ रुपये था। टेलीकॉम कंपनियों पर बैंकों का भी काफी कर्ज है।
अगर जैसा कि आदित्य बिड़ला कह रहे हैं कि उनकी कम्पनी दीवालिया होने की तरफ बढ़ रही है तो यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा झटका साबित होने जा रहा है जो पहले से ही बदहाल नजर आ रही है।
लेखक आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ और स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।