अक्सर EVM के समर्थन में लोग यह तर्क देते हैं कि EVM तो इंटरनेट से कनेक्ट होती ही नही है इसलिए EVM को हैक होने या उसमे छेड़छाड़ होने के बात बिल्कुल बेबुनियाद है. अच्छा बताइये कि पेट्रोल पम्प की जिन मशीनों से आप अपने वाहनों में पेट्रोल भरवाते है क्या वह इंटरनेट से जुड़ी हुई होती है? आप कहेंगे नही! उसमे इंटरनेट का क्या काम?, लेकिन सामान्य व्यहवार में यह पाया गया है कि बहुत से लोग यह शिकायत करते हैं कि इन मशीनों से घटतौली की जाती है यानी उनके द्वारा चुकाए गए मूल्य से पेट्रोल डीजल कम दिया जाता है और इसके लिए लोग पेट्रोल भरने वाले कर्मचारी को जिम्मेदार मानते हैं.
लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह काम अब सॉफ्टवेयर के जरिए भी किये जाने लगा है और यह मामला उत्तर प्रदेश की एसटीएफ ने पकड़ा था. इस प्रकरण में यह पाया गया कि एक पेन ड्राइव की मदद से बिना मशीन की सील को क्षति पहुंचाए सॉफ्टेवयर इंप्लांट किया जा रहा है. इस सॉफ्टवेयर के इंप्लांट होने के बाद प्रत्येक पांच लीटर पर करीब 250 मिलीलीटर तेल शॉर्ट होने लगता है. जबकि, कानूनी मेट्रोलॉजी के मानक के अनुसार प्रति पांच लीटर पर 25 मिली लीटर की कमी अनुमन्य है. लीगल मेट्रोलॉजी विभाग के राज्य नियंत्रक सुनील वर्मा के मुताबिक तेल कंपनियों ने भी माना कि उनके पास फिलहाल पुरानी मशीनों से चोरी रोकना संभव नहीं है.
#Video | The EVM-VVPAT combination is vulnerable to manipulation due to a major technical glitch. But the Election Commission remains silent in face of direct and key questions asked by @poonamjourno.https://t.co/Gfph8jHVCY
— The Quint (@TheQuint) October 19, 2019
उत्तर प्रदेश में ऐसे 2200 पेट्रोल पम्पों की जांच हो चुकी है। 17 पम्प ऐसे मिले हैं जहां इस तरह से तेल चोरी किया जा रहा था। सॉफ्टवेयर को एक गिरोह ढाई लाख रुपये में पेट्रोल पम्पों को बेच रहा थ जिसमे एक पेन ड्राइव की मदद से एक मालवेयर पम्प के मुख्य सॉफ्टवेयर सिस्टम में अपलोड करने की बात सामने आई थी.
Election Commission takes note of the concerns raised by the former IAS @naukarshah on #EVM -VVPAT, orders technical experts to probe whether #EVM -VVPAT are vulnerable to manipulation, reports @poonamjourno.https://t.co/OyDD4ZuA3m
— The Quint (@TheQuint) October 23, 2019
अब आते हैं EVM मशीन की बात पर. पिछले दिनो पूर्व IAS अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने इस्तीफा दे दिया, कन्नन 2019 लोकसभा चुनाव को बेहद नजदीक से देखा था कन्नन उस चुनाव में चुनाव अधिकारी थे, खास बात यह है कि उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है कन्नन ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा कि पद पर रहते हुए उन्होंने दो बार इस पर सवाल उठाया था. ये दो मौके थे, IIIDEM में रिटर्निंग अधिकारियों के साथ ECI ट्रेनिंग के दौरान. और फिर ECIL के साथ कमिशनिंग के दौरान. ऐसे में अब वो बिना किसी दुर्भावना के अपनी चिंता बयां कर रहे हैं. उनका कहना है कि VVPAT की व्यवस्था ने EVM की फुल-प्रूफ प्रक्रिया को कमज़ोर बना दिया है.
In this regard I am thankful to Shri @yadavakhilesh for a detailed meeting yesterday. I hope this matter will be taken up vehemently by leading political parties with the election commission in the larger interest of nation. #VVPATVulnerability https://t.co/Pn8dhI18Zy
— Kannan Gopinathan (@naukarshah) October 21, 2019
दरअसल जब VVPAT मशीन को चुनावी प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया था तो EVM सिर्फ बैलट यूनिट का बटन दबाने से मिलने वाली इंफॉर्मेशन को दर्ज करता था. तब EVM को मालूम नहीं होता था कि ये बटन किस पार्टी का है लेकिन VVPAT के आने के बाद ये मुमकिन हो गया है. उसे बताना पड़ता है कि बैलट यूनिट का हर बटन किस पार्टी और किस उम्मीदवार का है.
To start with, the concerns raised in the letter is appreciated & acknowledged as logical & serious critique on EVM vulnerability.
Assuming that it can be hacked, article then goes on to ask what is the probability of the nation knowing, if EVMs are systematically hacked. pic.twitter.com/BIe01Q23zH
— Kannan Gopinathan (@naukarshah) October 26, 2019
VVPAT मशीनों में पार्टी का चुनाव चिह्न और उम्मीदवारों के नाम लैपटॉप से दर्ज किये जाते हैं. ये काम चुनाव की तारीख से दो हफ्ते पहले किया जाता है और यह काम BEL और ECIL जैसी EVM बनाने वाली कम्पनियों के हवाले है.
अगर कोई चुनाव के नतीजों को मैन्यूपुलेट करना चाहे तो वो बाहरी डिवाइस में मालवेयर डाल सकता है. इसका मतलब है कि लैपटॉप, VVPAT मशीनों में संवेदनशील जानकारियां डालते वक्त मालवेयर डाल सकता है.
इस विषय पर कन्नन कहते हैं-‘सबसे बड़ी खामी VVPAT मशीनों की जगह है जो बैलट यूनिट और कंट्रोल यूनिट के बीच में है. इस हालत में VVPAT एक बाहरी उपकरण के साथ जुड़ा हुआ है. मान लीजिए कि इसमें मालवेयर जा सकता है. आप बैलट यूनिट में जो बटन दबा रहे हैं, वो VVPAT में भी दिखता है. वोटर इसे देखकर खुश हो जाता है कि उसने जिस चुनाव चिह्न और उम्मीदवार के बटन को दबाया है. उसका वोट वहीं पड़ा है लेकिन उसे ये नहीं मालूम होता है कि VVPAT और कंट्रोल यूनिट के बीच क्या गुल खिल रहा है. मान लिया जाए कि मालवेयर में कंट्रोल यूनिट को कोई दूसरी जानकारी भेजने की क्षमता है, इस हालत में वोटर अगर नंबर 1 या नंबर 2 उम्मीदवार का बटन दबाता है फिर भी VVPAT इस मालवेयर के जरिये कंट्रोल यूनिट में कुछ और सूचना भेजता है. मान लिया जाए कि वोटर ने उम्मीदवार 1 का बटन दबाया है और VVPAT उम्मीदवार 1 का प्रिंटआउट निकालता है लेकिन कंट्रोल यूनिट में उम्मीदवार 2 की सूचना भेजता है. इस प्रकार से चतुराई के साथ मैन्यूपुलेट करना मुमकिन है. वोटर के पास ये जानने का कोई रास्ता नहीं है कि कंट्रोल यूनिट में क्या दर्ज हुआ है’.
On EVMs, met with Shri @digvijaya_28, other @INCIndia leaders & raised my concerns on the potentiality of manipulation through VVPAT vulnerabilities. Political parties are key stakeholders in the election process & they rightfully should take up the matter in national interest. https://t.co/0SpTJxjH96
— Kannan Gopinathan (@naukarshah) November 3, 2019
2019 के चुनाव के बाद यह भी सामने आया था कि VVPAT मशीनों में संवेदनशील जानकारी डालने वाले इंजीनियर निजी कंपनियों के थे.
To start with, the concerns raised in the letter is appreciated & acknowledged as logical & serious critique on EVM vulnerability.
Assuming that it can be hacked, article then goes on to ask what is the probability of the nation knowing, if EVMs are systematically hacked. pic.twitter.com/BIe01Q23zH
— Kannan Gopinathan (@naukarshah) October 26, 2019
On EVMs, met with Shri @digvijaya_28, other @INCIndia leaders & raised my concerns on the potentiality of manipulation through VVPAT vulnerabilities. Political parties are key stakeholders in the election process & they rightfully should take up the matter in national interest. https://t.co/0SpTJxjH96
— Kannan Gopinathan (@naukarshah) November 3, 2019
यानी साफ है कि यह बिल्कुल सम्भव है कि जिस तरह से पेट्रोल पंप की मशीनों में मालवेयर इंस्टॉल किया जा सकता है उसी तरह से EVM से मतदान की पूरी प्रक्रिया में भी मालवेयर इंस्टाल किया जाना संभव है. इसका सीधा अर्थ यह है कि EVM से मतदान करने की प्रणाली में बहुत से लूपहोल्स है.लेकिन हम सिर्फ यह मानकर बैठ गए हैं कि EVM तो पवित्र है!