अभिषेक श्रीवास्तव । गोरखपुर
उत्तर प्रदेश में छठवें चरण के मतदान का प्रचार समाप्त होने के दिन सुबह गोरखनाथ पीठ में अपने कक्ष से नीचे उतरे सांसद योगी आदित्यनाथ के
इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि गुरुवार को गोरखपुर में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो का जो विज्ञापन अखबारों में छपा है, उसमें स्थानीय सांसद योगी आदित्यनाथ की तस्वीर नदारद है। लोग कह रहे हैं कि लगातार योगी की तस्वीरों के बगैर चल रहे चुनाव प्रचार का खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ेगा।
चुनाव की शुरुआत से ही भाजपा ने योगी आदित्यनाथ की अपने विज्ञापनों में उपेक्षा की है। योगी आदित्यनाथ अब तक 150 से ज्यादा जनसभाएं कर चुके हैं, लेकिन उनके संगठन हिंदू युवा वाहिनी के लोगों का मानना है कि इस बार भाजपा ने उन्हें विशुद्ध इस्तेमाल किया है।
सुनील सिंह हमें अपने मोबाइल पर एक तस्वीर दिखाते हैं जिसमें अमित शाह योगी को कुहनी मार रहे हैं। वे यह नहीं बताते कि यह तस्वीर किस रैली की है, लेकिन इस बात पर भड़के हुए हैं कि योगी ने हिंदुत्व के मूल सिद्धांतों से समझौता करते हुए चुनावी राजनीति के आगे आत्मसमर्पण कर दिया है और कार्यकर्ताओं से उन्होंने धोखा किया है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि हिंदू युवा वाहिनी के लोग हर साल प्रत्याशी खड़ा करती है इसलिए यह नियमित बात है, लेकिन गोरखपुर न्यूज़लाइन के पत्रकार मनोज सिंह इससे अलग राय रखते हैं। वे कहते हैं कि इस बार युवा वाहिनी की बगावत असली है और उनकी घर वापसी का रास्ता बंद हो चुका है।
इस बीच गोरखपुर की सड़कों पर लगी भाजपा की होर्डिंगों और बैनरेां से भी योगी की तस्वीर गायब दिख रही है। भाजपा और योगी के बीच यह तनातनी और साथ ही भाजपा के बाग़ी उम्मीदवारों व युवा वाहिनी का चुनाव में खड़ा होना गोरखपुर की सभी सीटों पर भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है।
सुनील सिंह (दायें) कहते हैं, ”इस बार गोरखपुर से भाजपा साफ़ हो जाएगी।” वहीं युवा वाहिनी के योगी के साथ बने हुए कार्यकर्ताओं को पूरा
पत्रकार मनोज सिंह कहते हैं कि योगी का चुनावी रूप से प्रभावशाली होना एक मिथ है। उन्हें उनकी क्षमता से ज्यादा आंका जा रहा है। पूर्वांचल के इस अहम सीमांत जिले में भाजपा की हालत पतली होने का संकेत है कि खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष को प्रचार के आखिरी दिन रोड शो करने आना पड़ रहा है।