जब बंदूक की तरह तने कैमरे शिनाख्त करने लगे

ये सरकार बेहद डरी हुई है। इतनी ज़्यादा डरी हुई कि वो विरोध प्रदर्शनों को शुरु होने से पहले ही ख़त्म करने पर उतारू है। वाम दलों द्वारा 19 दिसंबर को बुलाए गए देशव्यापी आंदोलन और भारतबंद से ये सरकार इतनी भयभीत थी उसने दिल्ली के चप्पे चप्पे पर पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स को तैनात कर रखी थी। मंडी हाउस से संसद मार्ग तक होने वाले विरोध-मार्च के मद्देनज़रपूरी दिल्ली में धारा 144 लगा दी गई थी और इंटरनेट, वॉस कॉल और एसएमएस सेवा बंद कर दिया गया था। खुद एयरटेल और वोडाफोन ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी कि सरकार के आदेश पर ऐसा किया गया है। इसके अलावा तीन दर्जन से अधिक मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए थे और सड़क यातायात के कई रूटों को डायवर्ट कर दिया गया था।

इन सबके बावजूद लोग मंडी हाउस और लालकिला पर विरोध प्रदर्शन के लिए पैदल चल चलकर आए। लोग जैसे आते गए पुलिस उन्हें तत्काल हिरासत में ले लेकर दूर भेज देती।

मडी हाउस में साढ़े दस पौने ग्यारह बजे के करीब दिल्ली पुलिस ने परेड की। उनके परेड को कवर करने के लिए मीडिया कैब कैमरे थामे खड़े थे। मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन की तरफ से जैसे ही 4-5 बुर्कानशीं लड़कियों ने शफदर हाशमी रोड की ओर कदम बढ़ाया पूरी पुलिस फोर्स और मीडिया उन पर टूट पड़ी। जहाँ पुलिस ने उन्हें चारो ओर से घेरकर हिरासत में लेकर बस में बैठने को विवश किया वहीं गोदी मीडिया कि रिपोर्टर उन लड़कियों पर बिल्कुल बंदूक की तर्ज पर कैमरे तानते हुए चिल्लाया ये देखिए, विरोध प्रदर्शन के लिए मंडी हाउस आई बुर्कानशीं लड़कियाँ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पत्रकारों के इन बयानों से ऐसा लग रहा कि मानो वो मोदी के ‘कपड़े देखकर पहचानने वाले’वाले एजेंडे के स्पांसरशिप पर निकले हों।

मंडी हाउस से गिरफ्तार किए गए डी राजा, सीताराम येचुरी और वृंदा करात

दिल्ली पुलिस ने पहले से ही तैयारी कर रखी थी कि मंडी हाउस से शांति मार्च न शुरु हो सके। इस क3म में वो जैसे जैसे लोग आते जा रहे थे वैसे वैसे उन्हें डिटेन करती जा रही थी। इसका नतीजा ये हुआ कि विरोध मार्च में शामिल होने आने वाले एक जगह इकट्ठा ही नहीं हो पाए। नियत समय 12 बजे जैसे वाम दलों के नेता डी राजा, सीताराम येचुरी और वृंदा करात, नीलोत्पल बसुपहुँचे उन्हें हिरासत में ले लिया गया। हालांकि थोड़ी देर बाद उन्हें दूसरी रूट पर ले जाकर रिहा कर दिया गया।

दिल्ली के हर चैराहे हर सड़क पर पुलिस थी बावजूद इसके हजारों की संख्या में छात्र और नागरिक समाज के लोग जंतर मंतर पर पहुँचेऔर मीडिया में अपनी बात रखी।

जंतर मंतर पर लगे ‘विशेष नारे’

सर्द मौसम में भी दिल्ली का जंतर मंतर छात्रों के जोशपूर्ण नारों और गर्मजोशी से भर गया। तख्तियों पोस्टरों बैनरों पर अलहदा और विशेष वक्तव्य और नारे लेकर छात्र आए थे। ‘गोदी मीडिया गो बैक’,‘देश बांटने वालों को, एक धक्का और दो’, ‘एक धक्का और दो, इनका घमंड तोड़ दो’, ‘ हिंदू मुस्लिम सिख एक है, मोदी-शाह फेक है’, ‘नो टू डिटेंशन सेंटर, नो टू इनह्युमनिटी’, ‘ समान नागरिकता चाहिए, सांप्रदायिक नागरिकता नहीं’, ‘फेमिनिस्ट अगेंस्ट फासिस्ट’, ‘बोल कि लब आज़ाद है’, ‘मजदूर दलित और किसान, यही हैं देश की असली संतान’,‘हिंदू हूँ चूतिया नहीं’,  ‘ ईसाई हूँ बेवकूफ़ नहीं…so reject CAA-NRC’, ‘Country has so many Ds, but Modi?’, ‘Indian Economy is lost, if found please return ’, ‘HELP, our PM is SICK ’ , ‘समाज को हिंदू-मुस्लिम में बाँटने वाले काले कानून का एक जवाब, इंकलाब जिंदाबाद’ , ‘जालिम के ज़ुलम से नहीं, तुम्हारी खामोशी से डर लगता है’ , ‘राम प्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक उल्लाह खाँ की शहादत से सींची गई साझी विरासत को टूटने नहीं देंगे!’ , ‘अंबेडकर ने संविधान को देश बांटने के लिए नहीं बनाया था’ , ‘शब्दों पे लाठी क्यों?’ , ‘शर्मा जी की लड़की भी यहाँ है, आप कहां हैं?’, डिजिटल इंडिया विद नो इंटरनेट, ‘आपका नाम शाह क्या हुआ, आप तो तानाशाही पर उतर आए’ ‘ वी द पीपल ऑफ इंडिया रिडेक्ट एनआरसी, सीएए’ ‘डांट टाक टू अस लाइक चिल्ड्रेन, ह्वेन यू ट्रीट अस लाइ क्रिमिनल्स’, ‘हिदोंस्ताँ हमारा है मोदी की जागीर नहीं’ ‘और दबाओ कमल’ ‘सैफ्रॉन टी, डिससाल्न इवरी माइनोरिटी’ ‘लहू के पर्ज होता जा रहा है, बग़ावत फ़र्ज़ होता जा रहा है’, ‘तुमने जिस ख़ून को मक्तल में दबाना चाहा, आज वह कूचा-ओ-बाजार में निकला है, कहीं शोला कहीं नारा कहीं पत्थर बनकर’ आदि।

लड़कियों ने दिल्ली पुलिस को गुलाब का फूल और गुब्बारे भेंट किए

आंदोलनरत छात्रों के खिलाफ़ जामिया युनिवर्सिटी, अलीगढ़ युनिवर्सिटी और ज़फराबाद-सीलमपुर में अपनी क्रूरता और बर्बरता का प्रदर्शन कर चुकी दिल्ली पुलिस के लिए लड़कियां लाल गुलाब और बैलून लेकर आईं। और उन्हें लाल गुलाब देकर सस्वर गाते हुए दिल्ली पुलिस को छात्रों से संवाद कायम करने की पेशकश की।“दिल्ली पुलिस बात करो, आओ हमारे साथ चलो, हम युवा हैं बात करेंगे, न कि घूसा लात करेंगे।”

सरकार के पास जनता का समर्थन नहीं इसलिए ये पुलिस के सहारे देश को जेल में तब्दील करने में लगी है

सीपीआईएम नेता वृंदा करात ने कहा –“हम लोग देश के संविधान की रक्षा के लिए आज विरोध में उतरे हैं। मोदी सरकार अपने सांप्रदायिक एजेंडे को कानून बनाकर देश को बाँटने की साजिश कर रही है। इन लोगो ने देश को जेल में बदलने का प्रयास किया है।कश्मीर और पूर्वोत्तर इनकी कस्टडी में हैं। इन्होंने कर्नाटक की तालाबंदी की फिर इन्होंने देश की राजधानी को भी लॉकडाउन कर दिया है क्योंकि इनके पास जनता का समर्थन नहीं है इसलिए अब ये पुलिस का इस्तेमाल करके हर आवाज़ को दबाने में लगे हैं। मोदी-शाह भलीभांति जान लें कि ये देश बाबा साहेब के संविधान से चलेगा मनुस्मुति से नहीं। लोग देश के संविधान को बचाना चाहते हैं, गरीबों के अधिकार को बचाना चाहते हैं इसलिए इतने लोग एनआरसी, एनपीआर और सीएए के खिलाफ़ सड़कों पर उतर रहे हैं। मोदी सरकार कई मोर्चे पर फेल हो चुकी है इसलिए वो बुनियादी मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए इस तरह के संविधान विरोधीकानून थोप रही है। हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए सड़कों पर आए थे पर उन्होंने हमें हिरासत में लिया ये मूर्खतापूर्ण था। वो कुछ लोगो को गिरफ्तार कर सकते हैं पूरी आवाम को नहीं।”

सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा-“हम देश की एकता के लिए लड़ रहे हैं। जबकि वो एकता के नाम पर लोगो को विभाजित कर रहे हैं ये हम स्वीकार नहीं करेंगे।हम अपने अधिकारों की रक्षा के लिए यहाँ शातिपूर्ण प्रदर्शन करने आए थे लेकिन उन्होंने हमें गिरफ्तार करके हमारे संवैधानिक अधिकारों पर हमला किया है।”

भाकपा अध्यक्ष डी राजा ने कहा-“हम लगातार एनआरसी और सीएए के विरोध में थे और उसी कड़ी में यहां विरोध दर्ज कराने आए हैं। हमारा संविधान बहुत स्पष्ट है। हमारा संविधान प्रवासियों को नागरिकता देते समय उनके धर्म के आधार पर भेदभाव करने का विरोध करता है।हमारा संविधान सेकुलर संविधान है और देश को एक सेकुलर जनतांत्रिक गणराज्य के तौर पर परिभाषित करता है। मौजूदा सरकार द्वारा नागरिक संशोधन कानून के जरिए देश पर ब्राह्णवादी हिदुत्व थोपने की कोशिश की जा रही है। हम इसका सख्ती से विरोध करते हैं ”

 

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