आपको यदि राष्ट्रीय पत्रकार होने का गुमान है, तो बस पांच मिनट इस रिपोर्ट को दीजिए…

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता की चुनौतियों का पता लगाने के लिए 13 से 15 मार्च के बीच एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया की जो फैक्ट फाइंडिंग टीम वहां गई थी, उसकी रिपोर्ट में कुछ ऐसी चौंकाने वाली बातें शामिल हैं जिन्हें जान कर दिल्ली व दूसरे महानगरों में बैठे पत्रकारों और संपादकों की आँखें खुल सकती हैं.

मसलन, अगर आपको यह बताया जाए कि बस्तर का प्रशासन राष्ट्रीय मीडिया को माओवादियों का समर्थक मानता है, तो इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी? इसका सीधा सा मतलब यह है कि यदि आप दिल्ली के पत्रकार हैं, खुद को राष्ट्रीय मीडिया का हिस्सा मानते हैं और बस्तर में विजिटर के तौर पर असाइनमेंट पर जा रहे हैं, तो सतर्क हो जाइए क्योंकि वहां न तो आपका प्रेस कार्ड काम आएगा और न ही राष्ट्रीय मीडिया का बैनर, क्योंकि आप पहले से ही माओवादी समर्थक माने जा चुके हैं.

आइए, एडिटर्स गिल्ड की रिपोर्ट के कुछ ऐसे ही चौंकाने वाले अंशों पर निगाह डालते हैं:

एडिटर्स गिल्ड की इस अहम फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट को मीडियाविजिल अपने पाठकों को हिंदी में उपलब्ध करवा रहा है. हिंदी में पूरी रिपोर्ट यहाँ जाकर पढ़ें और डाउनलोड करें.

 

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