मोदी ने बताया मालामाल, पर 4 किलो चावल देकर 1 किलो आलू ख़रीद रहे हैं चंदौली के किसान!

उत्तर प्रदेश में अच्छे धान (ए ग्रेड) का अधिकतम सरकारी रेट 1888 रुपए प्रति कुंतल है, लेकिन ज्यादातर जिलों में किसान 1000 रुपए से लेकर 1200 प्रति कुंतल बेचने को मजबूर है। जिन जिलों में सरकारी खरीद शुरू भी हो चुकी है वहां भी किसान 1000-1200 रुपए में धान बेच रहा है क्योंकि बहुत से किसान क्रय केन्द्र पर धान नहीं बेच पा रहें हैं!

अजय राय

 

कुछ दिन पहले अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुँचे पीएम मोदी ने अपनी कृषि नीत पर खुद ही पीठ थपथपाते हुए चंदौली  के किसानों का ज़िक्र किया था। उन्होंने रैली में दावा किया कि चंदौली के काला चावल उगाने वाले किसान मालामाल हो गये हैं। पर हक़ीक़त उनके कंगाल होने क गवाही दे रही है। सच्चाई ये है कि क्रय केंद्र पर धान बेचने के लिए किसान दर दर भटक रहें हैं तो गाँव में चार किलों धान देने पर एक किलोंनया आलू मिल रहा हैं!

सरकार ने किसानों के धान क्रय करने के लिए जिले में 112 क्रय केंद्र बनाए गए हैं। इसके लिए आठ एजेंसियों को नामित किया गया है। विपणन शाखा, यूपी एग्रो, पीसीएफ, एनसीसीएफ, पीसीयू, नैफेड सहित पंजीकृत एजेंसियों को जिम्मेदारी मिली है। लेकिन तीन एजेंसियों ने संसाधनों की कमी बताते हुए धान खरीद करने से मना कर दिया है। क्रय केन्द्रों पर बैनर टंग गया हैं लेकिन बोरा और तौल की मशीन बहुत जगह नदारद हैं। कहा गया हैकि सात केन्द्र चन्दौली नवीन मंडी में खुलेगें जहाँ कहीं के किसान भी आकर अपना धान बेच सकतें है।

इस बार धान खरीद का लक्ष्य 1•83 लाख  मिलियन टन (एमटी) हैं। धान खरीद का समय एक नबम्बर से शुरू हो गया है लेकिन कुछ दिन पहले तक सरकारी आकंड़ों में मात्र 273 किसानों की धान की खरीद कुछ ही क्विंटल की हुई थी। जबकि आम किसान आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराके  इस केन्द्र से उस क्रय केन्द्र का चक्कर लगा रहे हैं। कभी किसी क्रय केन्द्र पर क्रय अधिकारी नहीं रहते हैं तो कहीं बोरा का अभाव बता कर किसानों को अगले दिन आने का कहकर टरका दिया जा रहा है। वोरा का अभाव का क्रय केन्द्र पर अधिकरियों से शिकायत करने पर यह जबाब मिलता था कि लॉक डाउन में बोरा नहीं बन रहा था इसलिए किल्लत है।

वहीं धान खरीद की कई निजी एजेंसियों ने धान की खरीद करने से भी मना कर दिया हैं। तीन एजेंसियों ने मना कर दिया है वहीं बीस क्रय केन्द्र बंद हो गये हैं।  क्रय केन्द्र केवल शोपीस बने हैं। अब इन क्रय केन्द्रो पर पंजीकरण कराने वाले किसानों के समक्ष धान बेचने की समस्या आ गयी है।लागत के हिसाब से आढ़तियों व व्यापरियों से भी धान की सही मूल्य नहीं मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में अच्छे धान (ए ग्रेड) का अधिकतम सरकारी रेट 1888 रुपए प्रति कुंतल है, लेकिन ज्यादातर जिलों में किसान 1000 रुपए से लेकर 1200 प्रति कुंतल बेचने को मजबूर है। जिन जिलों में सरकारी खरीद शुरू भी हो चुकी है वहां भी किसान 1000-1200 रुपए में धान बेच रहा है क्योंकि बहुत से किसान क्रय केन्द्र पर धान नहीं बेच पा रहें हैं!

ऐसे तो चन्दौली जनपद में कई बेहतरीन धान जैसे गोपाल भोग, काला नमक, गंगा कावेरी, सम्पूर्णा, मोती गोल्ड, श्री वाला, वौनी मंसूरी, सहित तमाम धान पैदा होता है  लेकिन क्रय केन्द्र पर वौनी मंसूरी ही किसान बेचना चाहतें है। पर वहाँ भी नमी दिखाकर किसानों का शोषण होता है!  अमेरिका की हाइब्रिड धान जिसका बीज हर साल नया इस्तेमाल करना होता है, उसकी क्रय केन्द्र पर खरीद ही नहीं होती है। हाइब्रिड धान – संकर प्रजाति का धान 6444 का हाल बेहाल हैं।

कुछ दिन पहले धान के कटोरा के किसानों को यह सब्ज़बाग़ दिखाया गया कि काला चावल प्रजाति के धान पैदा करने वाले किसानों का पुरी दुनिया में धूम मचेगी और यहाँ का किसान मालामाल हो जायेगा लेकिन निर्यात करने की बात अभी हटा दें, उचित मूल्य पर सरकारी खरीद की को ही कोई व्यवस्था सरकार के तरफ से नहीं हैं। काला चावल पैदा करने वाले किसान अपने अनुभव के अनुसार कहते हैं कि इस चावल को खरीद के लिए मार्केट का अभाव है। सरकार व जिला प्रशासन केवल जुमला उछाल रहा है, इसलिए हम इस चावल पैदा करने से पीछे हट रहें हैं!

हक़ीक़त यह है कि जब किसानों की तरफ से खेती व किसानी को बचाने के लिए सहकारी खेती की तरफ बढ़ने, सरकार द्वारा शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने, पंचायत स्तर क्रय केन्द्र खोलकर, तुरंत भुगतान करने पर जोर देने की जरूरत हैं तब यह सरकार खेती किसानी में मुनाफा कमाने वाले कार्पोरेट घरानों के लिए काम कर रहीं है। उनकी घुसपैठ कराने के लिए किसान विरोधी काले कानून बना रही है। यह सरकार तो आयी थी स्वामीनाथन आयोग की लागू करने के लिए लेकिन अब लागू कर रहीं हैं अंबानीनाथन की रिपोर्ट, यानि अडानी अम्बानी के हित के लिए काम कर रहीं हैं!

लेखक अजय राय आईपीएफ यूपी राज्य कार्य समिति के सदस्य व मजदूर किसान मंच के प्रभारी हैं।

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