बनारस में कमल हासन पर केस के पीछे हिंदू जनजागृति समिति, 22 नवंबर अगली तारीख

मीडियाविजिल प्रतिनिधि/ वाराणसी

हिंदू आतंकवाद पर दिए बयान के लिए अभिनेता कमल हासन के खिलाफ बनारस की एक अदालत में दाखिल मुकदमे पर सुनवाई करते हुए 22 नवंबर, 2017 को सुनवाई के लिए अगली तारीख तय पाया गया है। हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के नाम पर एक परिवाद शुक्रवार को बनारस के अधिवक्‍ता कमलेश चंद्र त्रिपाठी ने दायर किया था और आज इसकी सुनवाई थी। इस पर सुनवाई करते हुए माननीय न्यायाधीश सुधाकर दुबे ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है उसमे एक धारा में तीन साल की सजा का प्रावधान है।

त्रिपाठी एक चरमपंथी हिंदुत्‍ववादी संगठन हिंदू जनजागृति समिति के साथ जुड़े हुए हैं। उनके साथ संगठन से जुड़े हिंदुत्‍ववादी अधिवक्‍ताओं की अच्‍छी खासी टीम है। यह टीम हिंदुओं की भावनाओं को ठेस लगने से जुड़े तमाम मामले कानूनी स्‍तर पर बनारस में लंबे समय से देखती रही है।

Advocate Kamalesh Chandra Tripathi addressing a press conference of HJS

कमल हासन ने दो दिन पहले तमिल में लिखे एक लेख में कहा था कि हिंदू आतंकवाद एक वास्‍तविकता है। इसके बाद हिंदू महासभा ने उन्‍हें जान से मारने का बयान दिया था, वहीं बनारस में कमलेश चंद्र त्रिपाठी ने आइपीसी की धारा 500, 511, 298, 295(ए), 505(सी) के तहत एक मुकदमा दाखिल करवाया था। 22 नवम्बर को कमलेश चंद्र त्रिपाठी के साथ ही कुछ और भी लोगों के बयान दर्ज किये जाएंगे जो कमल हसन के बयान से आहत हुए हैं।

मुकदमे के परिवाद में जो बिंदु गिनवाए गए हैं, वे काफी दिलचस्‍प हैं।

हाथ से लिखे अपने परिवाद में त्रिपाठी कहते हैं कि 3 नवंबर की सुबह 9 बजे उन्‍हें अपने शिवपुर स्थित आवास पर कमल हासन के बयान की सूचना अखबारों और समाचार चैनलों से मिली। परिवाद के चार बिंदुओं में वे अपने हिंदू होने के प्रमाण गिनवाते हैं। इसके बाद वे लिखते हें कि अभियुक्‍त (कमल हासन) के बयान से ”प्रार्थी के धर्म व संस्‍कृति तथा हिंदुत्‍व का मान-मर्दन हुआ है तथा प्रार्थी समाज में अन्‍य धर्मावलम्बियों के मध्‍य घृणा व नफ़रत से देखा जाने लगा है।”

आगे त्रिपाठी लिखते हैं कि ”विपक्षी द्वारा महाभारत पर टीका-टिप्‍पणी कर के करोड़ों हिंदुओं की भावना आहत हुई है” और ”प्रार्थी के साथ ही करोड़ों हिंदुओं के वरित्र, धर्म व संस्‍कृति को नष्‍ट किया गया है।” इसलिए ”विपक्षी/अभियुक्‍त को तलब कर के दंडित किया जाना न्‍यायोचित है।”

त्रिपाठी की टाइमलाइन और गूगल सर्च देखने से पता चलता है कि मामला चाहे आज़म खान के बयान का रहा हो या मुहर्रम पर समुदाय विशेष द्वारा मय हथियार प्रदर्शन का, मुकदमा त्रिपाठी की करवाते हैं। न केवल कानूनी मामले, बल्कि त्रिपाठी हिंदू जनजागृति समिति के प्रचार में भी सक्रिय हैं। अभी दस दिन पहले उन्‍होंने मालेगांव बम ब्‍लास्‍ट के आरोपित सुधाकर चतुर्वेदी को लाकर बनारस में प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की थी।

उससे पहले यूपी चुनाव के आसपास त्रिपाठी ने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की एक तहरीर दी थी। यूपी चुनाव से पहले राहुल गांधी और नवजोत सिंह सिद्धू पर भी त्रिपाठी हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के मामले में मुकदमा करवा चुके हैं।

पिछले साल बजरंग बली का एक कार्टून ट्विटर पर शेयर करने के मामले में अरविंद केजरीवाल पर भी कमलेश चंद्र त्रिपाठी ने मुकदमा दर्ज करवाया था। त्रिपाठी ”मोहल्‍ला अस्‍सी” फिल्‍म के प्रोमो से ‘आहत’ होकर अभिनेत्री साक्षी तंवर के खिलाफ भी मुकदमा कर चुके हैं और आतंकवादी हाफि़ज़ सईद से मुलाकात कर के आए वरिष्‍ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा भी दर्ज करवा चुके हैं।

आम तौर से ऐसे तमाम मामलों में मुकदमा दाखिल होने संबंधी खबरों में एक एडवोकेट के बतौर ही त्रिपाठी का नाम अब तक आता रहा है। समिति और सनातन संस्‍था के साथ उनकी सदस्‍यता/सक्रियता को छुपाया गया है।

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