सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई करने वाले सीबीआइ के विशेष जज जस्टिस बीएच लोया की 2014 में हुई संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और आज दूसरी सुनवाई है, ऐसे में एक चौंकाने वाली ख़बर यह आई है कि उनकी मौत से जुड़े सबसे पहले दर्ज किए गए रिकॉर्ड नागपुर के जिस सीताबल्दी थाने में थे, उस थाने से वर्ष 2014 की समूची केस डायरी ही गायब हो गई है। नेशनल हेराल्ड ने यह खबर दी है।
गौरतलब है कि द कारवां ने 26 जनवरी को प्रकाशित अपनी पिछली रिपोर्ट में बताया था कि सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार द्वारा जस्टिस लोया की मौत से संबंधित जमा कराए गए दस्तावेज़ों में दुर्घटना से हुई मौत (एडीआर) की एक रिपोर्ट शामिल है जिसे नागपुर के सीताबल्दी थाने में दर्ज करवाया गया था जिसके न्यायक्षेत्र में मेडिट्रिना अस्पताल आता है। इसमें लोया की मौत का वक्त और तारीख है ”30/11/2014” को 6.15 एएम- यानी उनकी मौत से ठीक एक दिन पहले का वक्त (बिलकुल यही विसंगति ईसीजी चार्ट में दर्ज है)। मेडिट्रिना के रिकॉर्ड दिखाते हैं कि उन्हें ”1/12/2014” को 6.15 एएम पर मृत घोषित किया गया।
द कारवां ने बताया था, ”अब तक इसकी वजह साफ़ नहीं है कि आखिर लोया की मौत की फाइल को सीताबल्दी थाने से सदर थाने क्यों भेज दिया गया जिसके न्यायक्षेत्र में वह गेस्टहाउस आता है जहां लोया ठहरे हुए थे। सदर थाने में तैयार ताज़ा एडीआर में लोया की मौत का वक्त और तारीख है ”01/12/2014” को 6.15 एएम। मानक प्रक्रियाओं के मुताबिक देखें तो सदर थाने की रिपोर्ट को सीताबल्दी थाने की रिपोर्ट पर आधारित होना चाहिए था। दस्तावेज़ों में ऐसा कोई संकेत नहीं है कि आखिर क्यों और कैसे दोनों रिपोर्टों में जज की मौत की तारीखें अलग-अलग हैं।”
अब यह खबर सामने आई है कि सीताबल्दी थाने में दर्ज रिकॉर्उ की 2014 की पूरी फाइल ही गायब हो चुकी है। नेशनल हेराल्ड ने द कारवां द्वारा वर्णित सीताबल्दी थाने में दर्ज मौत की मूल रिपोर्ट नहीं देखने की बात कही है, लेकिन उसे इसकी कार्बन प्रति हाथ लगी है जिस पर पुलिस की मुहर है। यह प्रति दिखाती है कि शुरुआत में हादसे और केस के पंजीकरण की तारीख 30 नवंबर ही थी लेकिन बाद में उसके ऊपर लिखकर तारीख को 1 दिसंबर 2014 कर दिया गया। कार्बन प्रति पर हादसे का वक्त सुबह 4.00 बजे दर्शाया गया है हालांकि मौत की रिपोर्ट के लिखे जाने का वक्त 6.30 सुबह दर्ज किया गया है जिस पर बाद में दोबारा लिखकर उसे सुबह 8.30 कर दिया गया। इस कार्बन प्रति में मौत का वक्त 6.15 सुबह दर्ज है।
कार्बन प्रति के पीछे के पृष्ठ पर सीताबल्छी थाने के सीनियर इंस्पेक्टर हेमंत कुमार खराबे का हाथ से मराठी में लिखा नोट है जिसमें कहा गया है कि एंट्री संख्या 5,6 और 7 पर ओवरराइटिंग की गई है। इस नोट पर थाने की मुहर है। यह नोट कहता है, ”जब मूल दस्तावेजों की जांच की गई, तो पाया गया कि माग्र खबरी के सीरियल संख्या 5,6 और 7 पर ओवरराइटिंग है। उसी दस्तावेज़ की प्रमाणित जि़रॉक्स प्रति दी जा रही है।”
सुप्रीम कोर्ट फिलहाल जस्टिस लोया की मौत से जुडी दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।