उपचुनाव नतीजे: बीजेपी के लिए चारो दिशाओं से ख़तरे की घंटी!

चन्द्र प्रकाश झा 

उपचुनाव परिणाम मोदी सरकार के लिए  बहुत बड़ा झटका है।  इसका अंदेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को शायद ही रहा हो। इलेक्ट्रिक  शॉक ऐसे ही लगते हैं।   इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ( इवीएम ) और वीवीपीएटी मशीनों को कथित रूप से लू लग जाने के जिन वाहियात हालात में  उत्तर प्रदेश की कैराना लोक सभा सीट और नूरपुर विधान सभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान कराये गए, उसके बाद ये परिणाम राजनीतिक चमत्कार ही कहे जा  सकते हैं। कितनों को यह आशा थी कि भाजपा के धन, सत्ता और मशीन के संयुक्त  मारक बल पर अवामी ताकत के इरादे इस कदर भारी पड़ जाएंगे?

हिन्दुस्तानी संगीत के रागमयी किराना घराना की धरती कहे जाने वाले कैराना में जिनकी आखिरकार जीत हुई, वह सिर्फ तब्बसुम हसन का  चेहरा नहीं है। वह एक हिन्दुस्तानी चेहरा है , जो  बेगम भी  रहीं , माँ  भी है , मुस्लिम भी  है , महिला भी है। वह उपचुनाव तो  पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह के राष्ट्रीय लोक दल की टिकट पर जीतीं  लेकिन उनके सम्बन्ध बहुजन समाज पार्टी से लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में भी है।

इन उपचुनाव और परिणामों से एनडीए का चुनावी खोखलापन भी खुल कर सामने आ गया।  भारत के सात राज्यों में  लोक सभा की चार और विधान सभाओं की जिन 10 सीटों पर ये उपचुनाव हुए उनमें बिहार के जोकीहाट विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र को छोड़ और कंही भी एनडीए तो नहीं नज़र आया।  महाराष्ट्र और झारखंड में विभिन्न सीटों पर एनडीए के भाजपा समेत शिवसेना, आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन ( एजेएसयू ) जैसे सहयोगी दल  उपचुनाव में आपस में भिड़ गए।

इन उपचुनावों में ख़ास बात उभर कर यह सामने आई कि भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ महागठबंधन का माहौल है जिसमें  उत्तर प्रदेश के कैराना और नूरपूर में गन्ना उत्पादकों  की समस्या और महाराष्ट्र के पालघर मोदी सरकार की बुलेट ट्रेन परियोजना के खतरों के  मुद्दे पर लामबंदी नज़र आई।  इसी माहौल में उत्तर प्रदेश में भाजपा के लगभग सभी विरोधी दलों का जन-जुटान उभरा। महाराष्ट्र की  पालुस-कडेगाँव विधान सभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विश्वजीत कदम, चुनाव मैदान से भाजपा समेत सभी के प्रत्याशियों से हट जाने के बाद निर्विरोध घोषित कर दिए गए। यह वही  भाजपा -विरोधी माहौल है कि  एनडीए में शामिल  शिवसेना ने  महाराष्ट्र राज्य में भंडारा–गोंदिया लोकसभा सीट पर उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी को अपना समर्थन दे दिया।  उधर, बंगाल में महेशतला विधान सभा सीट पर मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी ( माकपा ) के उम्मीदवार को कांग्रेस द्वारा दिए घोषित समर्थन के गहरे निहितार्थ है।  कांग्रेस ने नगालैंड  की लोकसभा सीट पर उपचुनाव में भी भाजपा -विरोधी माहौल खड़ा करने के लिए वहाँ विपक्षी प्रत्याशी को समर्थन दिया।

इन उपचुनावों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी पार्टी, भाजपा के लिए प्रचार करने का जो मौक़ा प्रचारबंदी के बाद  मिला, वह आदर्श चुनावी आचार संहिता का  अप्रत्यक्ष उल्लंघन है।  मगर इस  पर निर्वाचन आयोग ने चुप्पी साध ली।  मोदी जी ने प्रचारबंदी के बाद 27 मई को  बागपत में  ‘ इस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे  ‘ के हिस्से के ‘ चुनावी उदघाटन ‘ के उपलक्ष्य में आयोजित रैली में भाषण  दिया।   बागपत , कैराना और नूरपुर के निकट ही है। यह सड़क मेरठ को दिल्ली से जोड़ेगी।  टीवी चैनलों ने इसका देशव्यापी लाइव प्रसारण  किया जो भारत के जन- प्रतिनिधित्व अधिनियम और अन्य कानूनों के तहत भी प्रतिबंधित है।

उत्तर प्रदेश

कांग्रेस और बसपा ने नूरपुर और कैराना उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं खड़े किये । दोनों सीटों पर उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन का माहौल रहा जिसे निषाद पार्टी आदि का भी समर्थन मिला । चुनाव प्रचार में एक बड़ा मुद्दा क्षेत्र के गन्ना उत्पादकों का चीनी मिलों के पास अर्से से बकाया करोड़ों रूपये की धनराशि का भुगतान, गन्ना खरीद का समुचित सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण और चीनी मिलों की खास्ताहाल वित्तीय स्थिति , मोदी सरकार के पाकिस्तान से लाखों टन चीनी आयात करने का निर्णय मुद्दा रहा।  क्षेत्र में विगत में हुए मुजफ्फरनगर दंगे जैसे फसाद अब और न हो यह भी चुनावी मुद्दा बना।

कैराना : यह लोकसभा सीट भाजपा के हुकुम सिंह के  फरवरी 2018 में निधन से रिक्त हुई।   वह क्षेत्र के रसूखदार गूजर नेता थे। गूजर हिन्दू और मुस्लिम, दोनों होते हैं।  प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने  उन्ही की पुत्री मृगांका सिंह  को  प्रत्याशी बनाया जिनका मुख्य मुकाबला  राष्ट्रीय लोक दल की उम्मीदवार,  तबस्सुम हसन से हुआ । दोनों गुजर समुदाय से हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में मुस्लिम आबादी करीब 40 फीसदी बताई जाती है। उपचुनाव  प्रचार आदि की बागडोर  रालोद अध्यक्ष अजित सिंह के पुत्र एवं मथुरा से पूर्व लोकसभा सदस्य जयंत चौधरी ने संभाल रखी थी।  तबस्सुम हसन को, भाजपा-विरोधी  महागठबंधन के फार्मूला के तहत रालोद का उम्मीदवार बनाया गया।  उनके  पुत्र नाहिद हसन , कैराना से ही समाजवादी पार्टी के विधायक हैं।  नाहिद हसन ने 2017 के पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में पहली बार चुनावी मैदान में उतरी मृगांका सिंह को परास्त किया था। नाहिद हसन, पूर्व सांसद मरहूम मुनव्वर हसन के पुत्र है। निर्वाचन आयोग के अनुसार कैराना उपचुनाव में 28 मई को मतदान के दौरान   384 वीवीपीएटी  मशीनों को बदलना पड़ा।   इस बार कैराना में 54 प्रतिशत ही मतदान हुआ है जबकि 2014 में वहाँ 73 प्रतिशत मतदान हुआ था।

इन उपचुनाव के लिए मतदान के दौरान कई जगह ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों के मद्देनज़र कैराना लोकसभा  निर्वाचन क्षेत्र  में 73 बूथों पर  दोबारा मतदान करवाया गया। इनमें से  68 बूथ सहारनपुर जिले में और पांच बूथ शामली जिले के हैं। आयोग के अनुसार जहां भी ईवीएम-वीवीपीएटी में गड़बड़ी के कारण दो घंटे तक वोटिंग बाधित रही वहां दोबारा  मतदान कराने के आदेश दिए गए।  शिकायतें मिलने के बाद कैराना में  312 जगह ईवीएम मशीनें बदली गई । आयोग ने सफाई दी कि प्रचंड गर्मी के कारण ईवीएम मशीनों के ‘सेंसर’  में गड़बड़ी आई है। उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी एल वेंकटेश्वरवलु के अनुसार कैराना और नूरपुर के कुल 2056 पोलिंग बूथों में 380 में ईवीएम और वीवीपीएटी खराब होने की शिकायतें आईं। शामली के जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने भी कहा कि तेज गर्मी के कारण वीवीपीएटी  मशीनों के सेंसर में गड़बड़ी हुई।

नूरपुर : यह विधान सभा सीट, भाजपा के विधायक लोकेन्द्र सिंह चौहान के फरवरी 2018 में एक सड़क दुर्घटना में मौत से रिक्त हुई । उनकी पत्नी, अवनी सिंह को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया था । सपा ने अपना प्रत्याशी नईमुल हसन को बनाया है।  नूरपुर उपचुनाव में चार निर्दलीय समेत कुल 10 प्रत्याशी थे नूरपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में मतदान 2017 के चुनाव की तरह करीब 61 प्रतिशत मतदान हुआ।

महाराष्ट्र

 

पालुस -कडेगाँव :

पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता पतंग राव कदम के निधन से पश्चिम महाराष्ट्र के सांगली जिला के पालुस -कडेगाँव की रिक्त विधानसभा सीट पर उपचुनाव में  उनके पुत्र एवं कांग्रेस प्रत्याशी  विश्वजीत कदम को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया।  वह  2014 के पिछले लोकसभा चुनाव में पुणे सीट से कांग्रेस के विफल उम्मीदवार थे। विधान सभा का कार्यकाल अक्टूबर 2019 तक है. शिवसेना द्वारा कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन घोषित करने के बाद सत्तारूढ़ भाजपा ने भी अपना प्रत्याशी वापस ले लिया। अन्य के नामांकन पत्र भी या तो वापस ले लिए गए या खारिज हो गए।

पालघर:

कोंकण क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित पालघर लोकसभा सीट भाजपा के चिंतामन वंगा के जनवरी 2018 में निधन से रिक्त हुई। उन्हीं के पुत्र श्रीनिवास वंगा  उपचुनाव में शिवसेना प्रत्याशी बने।  लेकिन जीत भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र गावित की हुई जो  कांग्रेस के पूर्व मंत्री एवं सांसद रहे हैं।  कांग्रेस ने भी एक पूर्व सांसद दामू सिंगड़ा को प्रत्याशी बनाया था । मुंबई महानगरी के पास  इस आदिवासी बहुल निर्वाचन क्षेत्र में कम्युनिस्टों का भी कुछ असर रहा है। उपचुनाव में कुल सात प्रत्याशियों में माकपा के युवा नेता किरण राजा गेहला और भाकपा ( माले ) के शंकर बड़ते भी थे

भंडारा-गोंदिया :

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मधुकर कुकदे  ने यह लोकसभा उपचुनाव जीत लिया।  यह सीट दिसंबर 2017 में भाजपा के नाना पटोले के इस्तीफा से रिक्त हुई जो उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने पर दिया था / कांग्रेस और शिव सेना ने प्रत्याशी खड़े नहीं किये ।  विजेता का मुख्य मुकाबला भाजपा के हेमंत पटले  से रहा ।  चुनाव मैदान में 8 निर्दलीय समेत कुल 18 प्रत्याशी थे.

 

बिहार : जोकीहाट

पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल ( राजद )  के शाहनवाज आलम ने मुख्यमंत्री नितीश कुमार के जनता दल (यूनाइटेड) के मुर्शीद आलम को 76 हज़ार मतों के अंतर से हराया।  वह दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री तस्लीमुद्दीन के पुत्र हैं और उन्ही के अग्रज भाई सरफराज आलम के इस्तीफा से यह सीट रिक्त हुई थी।  2016 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से जनता दल  (यूनाइटेड) प्रत्याशी के रूप में जीते  सरफराज आलम ने मार्च 2018 में राजद में शामिल हो जाने पर  इस्तीफ़ा दिया था। यह विधानसभा सीट अररिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है जहां मार्च 2018 में हुए उपचुनाव में राजद  प्रत्याशी के रूप में सरफराज आलम ने जनता दल (यूनाईटेड)  समर्थित भाजपा प्रत्याशी को भारी शिकस्त दी थी। अररिया लोकसभा सीट तस्लीमुद्दीन के निधन से रिक्त हुई थी जो  जोकीहाट विधानसभा सीट से भी पांच बार जीते थे।

झारखंड :  सिल्ली और गोमिया

भाजपा शासित इस राज्य की दो विधान सभा सीटों पर उपचुनाव में  सिल्ली में झारखंड मुक्ति मोर्चा ( जेएमएम ) की सीमा देवी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और राज्य में भाजपा के नेतृत्व में कायम गठबंधन सरकार में शामिल ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन ( एजेएसयू  ) के सुदेश कुमार महतो को
13 हज़ार से कुछ अधिक वोटों के अंतर से हराया। महागठबंधन की रणनीति के तहत कांग्रेस ने जेएमएम का समर्थन किया था। गोमिया सीट पर भाजपा अपने ही गठबंधन के घटक दल , आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (एजेएसयू) से लड़ गई थी।  वहाँ  जेएमएम की बबीता देवी ने भाजपा के माधव लाल सिंह को परास्त किया। कुल 12 प्रत्याशियों में एजेएसयू  के लम्बोदर महतो और छह निर्दलीय थे . गोमिया और सिल्ली की सीट वहां पिछले विधान सभा चुनाव में जीते जेएमएम विधायकों की सदस्य्ता अदालती मामलों में दोषी सिद्ध के कारण ख़त्म कर दी गई थी।

 

पंजाब :  शाहकोट

शाहकोट में राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के हरदेव सिंह लड्डी शेरोवालिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी  शिरोमणि अकाली दल के नायब सिंह कोहार को हराया। यह सीट शिरोमणि अकाली दल विधायक अजित सिंह कोहार के निधन से रिक्त हुई थी ।

 

उत्तराखंड  : थराली

राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा ने चमोली जिले की थराली विधानसभा सीट पर उपचुनाव  जीत ली.  भाजपा प्रत्याशी मुन्नी देवी शाह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के  प्रोफ़ेसर जीतराम शाह को 1,900 वोटों के अंतर से हराया। यह सीट  भाजपा के ही विधायक मंगल शाह के निधन से रिक्त हुई थी।  उनकी पत्नी , मुन्नी देवी शाह को भाजपा ने उपचुनाव  मैदान में उतारा था।

बंगाल : महेशतला

महेशतला सीट पर उपचुनाव राज्य में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने जीती। यह सीट उसी के विधायक कस्तूरी दास के फरवरी 2018 में निधन से रिक्त हुई थी । उनके पति एवं तृणमूल  प्रत्याशी , दुलाई चंद्र दास ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के सुजीत कुमार घोष को करीब 62 हज़ार मतों के अंतर से हराया।  कांग्रेस समर्थित  माकपा प्रत्याशी  प्रवत चौधरी  तीसरे नंबर पर रहे।

केरल :  चेंगाणूर

चेंगाणूर विधान सभा उपचुनाव राज्य में सत्तारूढ़ वाम –लोकतांत्रिक मोर्चा का नेतृत्व कर रही  मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने जीती।  माकपा प्रत्याशी  साज़ी चेरियन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के डी विजय कुमार को करीब 10 हज़ार वोटों से हराया।  यह सीट माकपा विधायक के रामचंद्रन नायर के जनवरी 2018 में हुए निधन से रिक्त हुई थी ।  उपचुनाव में भाजपा के अलावा  दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी  अपना उम्मीदवार खड़ा किया था ।

मेघालय : अम्पति

पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के इस्तीफा से रिक्त अम्पति सीट पर उपचुनाव में उनकी पुत्री एवं कांग्रेस प्रत्याशी मियानी डी शिरा ने राज्य में सत्तारूढ़ मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस ( एमडीए ) का नेतृत्व कर रही नेशनल पीपुल्स पार्टी  (  एनपीपी ) के क्लीमेंट जी मोमिन  हराया।  मुकुल संगमा ने  मार्च 2018 के विधान सभा चुनाव में सोंगसक सीट से भी जीतने पर अम्पट विधान सभा छोड़ दी थी। पिछले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस 21 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी  . भाजपा के गठबंधन एमडीए को 19 सीट ही मिली थी।  पर उसने सरकार बना कर विलियमनगर ( सुरक्षित ) सीट पर स्थगित चुनाव बाद में  जीत ली।

कर्नाटक : आर.आर.नगर

बेंगलुरू शहर के राजराजेश्वरी सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस के एन.मुनिरत्ना ने बीजेपी प्रत्याशी तुलसीमुनि राजू गौड़ा को 25,400 वोटों से हराया। गठबंधन सरकार होने के बावजूद जेडीएस प्रत्याशी जी.एच.रामचंद्र भी मैदान में थे, जिन्हें 60,360 वोट भी मिले। कांग्रेस को 1.08,064 वोट मिले और बीजेपी के हिस्से 82,572 वोट आए। ये सीट पहले भी कांग्रेस के पास थी। 12 मई को हुए मदान के पहले यहाँ एक अपार्टमेंट से 10 हज़ार वोटर आईडी कार्ड जब्त किए गए थे जिसके बाद चुनाव टाल दिया गया था।

कर्नाटक की एक और सीट जयनगर के लिए 11 जून को मतदान होगा। मतगणना 16 जून को होगी। यहाँ के विधायक और बीजेपी प्रत्याशी बी.एन.विजय कुमार का निधन हो गया था।

 

नागालैंड

राज्य की एकमात्र लोकसभा सीट पर उपचुनाव राज्य में  पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस ‘ ( पीडीए ) की साझा सरकार में  शामिल  ‘ नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ‘ ( एनडीडीपी) के तोखेहो येप्थोमी ने जीती।  उन्होंने
नगा पीपुल्स फ्रंट ( एनपीएफ ) के प्रत्याशी सी.अपोक जमीर को परास्त किया जिन्हें कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था।  यह सीट एनडीडीपी के ही नीफ्यू रिओ के इस्तीफा से रिक्त हुई थी जो उन्होंने गत मार्च भाजपा के संग पीडीए की साझा सरकार में मुख्यमंत्री बनने के बाद दिया था ।  गौरतलब है कि राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन का नाम एनडीए नहीं बल्कि  पीडीए है.

 

(मूल तस्वीर, इकोनॉमिक टाइम्स से साभार )

 



(चंद्र प्रकाश झा  वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)



 

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