‘शाह-ज़ादा’ की कमाई में 16 हज़ार गुना इज़ाफ़ा वंशवाद क्यों नहीं ?

लोग कहते है कि भारतीय राजनीति में वंशवाद एक बेहद बुरी प्रवृत्ति है हम सभी इस बात से सहमत हैं , साधारणतः वंशवाद का सीधा अर्थ यह है कि राजा के बेटे को राजा बना दिया जाए, ओर कांग्रेस की आलोचना सबसे अधिक इसी कारण से होती है कि यहा का शीर्ष नेतृत्व नेहरू डायनेस्टी में तब्दील हो गया है

लेकिन यह सिर्फ सीधा सामने दिखता है इसलिए इसकी कटु आलोचना होती है , वास्तव में भारत मे राजनीति चाहे वह कांग्रेस हो या भाजपा हो कुछ परिवारों की मिल्कियत बन गयी , इसके उदाहरण आप को अपने गली मोहल्लों , गाँवो कस्बो नगरों महानगरों प्रदेश की राजनीति में देखने मे मिल जाएंगे, प्रभावशाली परिवार का एक सदस्य यदि किसी बड़े राजनीतिक दल में अपनी बना लेता है तो वह अपने परिवार के अन्य सदस्यों को सारे अनुचित लाभ दिलवा देता है, यह जरूरी नही है कि  लाभ के पद पर ही परिवार के सदस्य की नियुक्ति करवाई जाए, उसे जमीन जायदाद या अन्य किसी भी तरह से लाभ दिलवाया जाता है

लोगो का कहना है कि बीजेपी इस मामले में कांग्रेस से बेहतर हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि इस तरह के परिवारवाद में भाजपा कांग्रेस को मीलों पीछे छोड़ चुकी हैं, मोदी समर्थको की तरफ से बार बार यह कहा जाता है, कि मोदी जी के तो आगे पीछे कोई नही है , वो किस के लिए भृष्टाचार करेंगे यह सच भी हो सकता है, लेकिन आप एक बात बताइये मनमोहन सिंह तो 10 साल भारत के प्रधानमंत्री रहे उन पर भी तो व्यक्तिगत भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नही लगा

अब जो मामला सामने है उस से इस बात की पुष्टि होती है कि मोदी जी के संगी साथी है वह भी कोई कम भ्रष्ट नही है

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते और अमित शाह भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही उनके बेटे जय शाह की कंपनी टर्नओवर 16 हजार गुना बढ़ गया है। वेबसाइट ‘द वायर’ के मुताबिक रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) से प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार जय की कंपनी की बैलेंस शीट में बताया गया है कि मार्च 2013 और मार्च 2014 तक उनकी कंपनी में कुछ खास कामकाज नहीं हुए और इस दौरान कंपनी को क्रमश: कुल 6,230 रुपये और 1,724 रुपये का घाटा हुआ। लेकिन जैसे ही केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी और उनके पिता भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने जय शाह की कंपनी के टर्नओवर में आश्चर्यजनक रूप से इजाफा हुआ है।

साल 2014-15 के दौरान उनकी कंपनी को कुल 50,000 रुपये की इनकम पर कुल 18,728 रुपये का लाभ हुआ। मगर 2015-16 के वित्त वर्ष के दौरान जय की कंपनी का टर्नओवर लंबी छलांग लगाते हुए 80.5 करोड़ रुपये का हो गया। यह 2014-15 के मुकाबले 16 हजार गुना ज्यादा है

साफ दिख रहा है कि जिस कम्पनी को एक साल पहले बेहद मामूली सा 18 हजार रु का फायदा हुआ था उसने एक साल में इतना प्रोग्रेस कैसे कर लिया कि सीधे 80 करोड़ रुपये टर्नओवर सामने आ गया

आप देख लीजियेगा कि इतना बड़ा मामला सामने आने पर भी मात्र लीपापोती की बाते की जाएगी, क्योकि सत्तासीन दलो में ऐसी घटनाए अक्सर सामने आती रहती हैं और इस वक्त तो भाजपा को देश मे असीमित सत्ता प्राप्त है, ऐसे में लार्ड एक्टन की उक्ति याद आती है ‘सत्ता भ्रष्ट करती है और असीमित सत्ता असीमित रूप से भ्रष्ट करती हैं।’

 

 




गिरीश मालवीय

लेखक इंदौर (मध्यप्रदेश )से हैं , ओर सोशल मीडिया में सम-सामयिक विषयों पर अपनी क़लम चलाते रहते हैं ।

 

 



 

 

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