नरसंहार के गुनहगार-1 : मुख्यमंत्री ने जनवरी में अनसुनी कर दी थी आदिवासियों की फरियाद

सपा, बसपा और कांग्रेस पर आरोप लगाने वाली भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने भी नहीं सुनी उम्भा के आदिवासियों की फरियाद


उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक आदिवासी बहुल जनपद सोनभद्र के उम्भा गांव में गत 17 जुलाई को 10 आदिवासियों की हत्या के मामले में सपा, बसपा और कांग्रेस पर आरोप लगाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा ने पीड़ित आदिवासियों की फरियाद अनसुनी कर दी थी। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अहम घटक अपना दल (सोनेलाल) के विधायक की फरियाद को भी नजरअंदाज कर दिया था।

मीडियाविजिल के पास मौजूद दस्तावेजों की मानें तो अपना दल (सोनेलाल) के नेता और दुद्धी विधायक हरिराम चेरो ने गत 14 जनवरी को भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर घोरावल थाना क्षेत्र अंतर्गत उम्भा गांव निवासी आदिवासियों की पैतृक भूमि पर कथित रूप से भूमाफिया द्वारा कब्जा करने और उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसाकर प्रताड़ित करने की जानकारी दी थी। साथ ही उन्होंने गांव में करीब 600 बीघा विवादित भूमि और उसे फर्जी सोसायटी बनाकर भूमि हड़पने का आरोप लगाया था।

दुद्धी विधायक ने उम्भा गांव के निवासी आदिवासी गोंड समुदाय के व्यक्तियों का पत्र भी अपने पत्र के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा था। विधायक हरिराम चेरो ने मामले की जांच उच्चस्तरीय एजेंसी से कराने और आदिवासियों को न्याय दिलाने की मांग की थी। इसके बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजग के मुख्य घटक अपना दल (सोनेलाल) के विधायक के पत्र पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

उम्भा में आदिवासियों के सामूहिक नरसंहार के लिए कांग्रेस, सपा और बसपा को दोषी ठहराने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी पीड़ित आदिवासियों की फरियाद को नजरअंदाज कर दिया था। उम्भा गांव निवासी राम राज सिंह गोंड, राम पति सिंह नेताम, संतोष कुमार, संतलाल, बसंत लाल, कैलाश, महेन्दर, राम कुंवर, जय सिंह, रामचंद्र, कमला, नागेन्दर, श्रीराम, इंद्रजीत आदि ने गत 12 जनवरी को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय को पत्र लिखकर भूमि विवाद और उसमें शामिल आइएएस अधिकारियों प्रशांत कुमार मिश्रा और भानु प्रताप शर्मा, ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त सिंह के बारे में अवगत कराया था।

उन्होंने पत्र में आरोप लगाया था कि भूमाफिया के दबाव में पुलिस और पीएसी के जवान उन्हें प्रताड़ित करते हैं और उनकी बहू-बेटियों का शारीरिक शोषण करते हैं। उन्होंने बहू-बेटियों की इज्जत के साथ अपनी जान-माल की गुहार लगाई थी। इसके बावजूद भाजपा के पदाधिकारियों और उनकी सरकार ने आदिवासियों की सुरक्षा के लिए कोई पहल नहीं की।

अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के पदाधिकारियों ने उस वक्‍त इस मामले को संजीदगी से लिया होता तो संभव था कि उम्भा गांव में 10 आदिवासियों की सामूहिक हत्या की घटना नहीं घटती।

बता दें कि गत 17 जुलाई को सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र अंतर्गत उम्भा राजस्व ग्राम में भूमि विवाद को लेकर गुर्जर समुदाय के करीब 200 लोगों ने आदिवासी गोंड समुदाय के 10 व्यक्तियों की हत्या कर दी थी। इसमें करीब 30 लोग घायल भी हो गए थे। इनमें कई की हालत गंभीर बनी हुई है। घायलों का इलाज सोनभद्र और वाराणसी में हो रहा है।

पुलिस ने मूर्तिया गांव के ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त सिंह समेत कुल 27 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजने का दावा किया है। साथ ही शासन ने घोरावल तहसील के उपजिलाधिकारी, घोरावल परिक्षेत्र के पुलिस क्षेत्राधिकारी, घोरावल थानाध्यक्ष, संबंधित हलके के उप-निरीक्षक और पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। प्रत्येक मृतक के परिजनों को साढ़े 18 लाख रुपये देने का घोषणा की गई है। प्रत्येक घायल को ढाई लाख रुपये आर्थिक सहायता देने की घोषणा भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की है।

(जारी)


शिव दास वरिष्‍ठ खोजी पत्रकार हैं। मीडियाविजिल के पुराने साथी हैं। उम्‍भा नरसंहार के बाद राष्‍ट्रीय मीडिया से घटनास्‍थल पर पहुंचने वाले शुरुआती पत्रकारों में एक हैं। तीन दिन सोनभद्र में रहकर लौटे हैं।

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