मोदी सरकार ने कर्ज में डूबी एयर इंडिया में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए बोली मंगाई है. सरकार ने एयर इंडिया में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है.गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने एक मंत्री समूह ने 7 जनवरी को इस सरकारी विमानन कंपनी के निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. सरकार ने 17 मार्च तक एयर इंडिया के लिए बोली लगाई जा सकती है.
#AirIndia divestment: Govt invites expression of interest for initial bids for 100% stake sale, including transfer of management control. March 17 is the deadline to submit expression of interest pic.twitter.com/YsX3LZxW02
— DD News (@DDNewslive) January 27, 2020
एयर इंडिया पर कुल 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज है.योग्य बोलीदाताओं की जानकारी 31 मार्च को दी जाएगी.सरकार की ओर से जारी बिड डॉक्यूमेंट के मुताबिक एअर इंडिया एक्सप्रेस की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेची जाएगी.
Govt announces sale of 100% stake in debt-laden #AirIndia .
— All India Radio News (@airnewsalerts) January 27, 2020
सरकार के इस फैसले को बीजेपी के ही नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इसे ‘एंटी नेशनल’ यानी राष्ट्र विरोधी कहते हुए इसके खिलाफ कोर्ट जाने की धमकी दी है.
Air India to sell 100 per cent stake in Air India Express, 50 per cent shareholding in joint venture AISATS: Bid document
— Press Trust of India (@PTI_News) January 27, 2020
ट्विटर पर एक यूजर ने स्वामी से सवाल किया कि एयर इंडिया घाटे में है. सिर्फ नेताओं के आराम के लिए ऐसी कंपनियों में टैक्सपेयर का पैसा क्यों लगना चाहिए? इस पर स्वामी ने जवाब दिया- बजट भी घाटे में है, तो फिर सरकार की नीलामी क्यों नहीं करते?
Air India disinvestment: Government sets March 17 deadline for submitting Expression of Interest (EoI)
— Press Trust of India (@PTI_News) January 27, 2020
सुब्रमण्यम स्वामी एअर इंडिया को लेकर बोली प्रक्रिया के लिए उठाए गए कदम के खिलाफ पहले भी चेतावनी दे चुके हैं.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सोमवार को जैसे ही यह ऐलान किया, स्वामी भड़क गए. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘ये डील पूरी तरह राष्ट्रविरोधी है और मैं इसके खिलाफ कोर्ट जाने के लिए बाध्य हूं. हमलोग अपने परिवार के रत्न को नहीं बेच सकते.’
साल 2018 में भी सरकार एयर इंडिया को बेचने की कोशिश कर चुकी है लेकिन उस वक्त एक भी खरीदार नहीं मिला था. पिछले प्रयास में सरकार ने 76 फीसदी ही बेचने का फैसला किया था. माना जा रहा है कि उस वक्त एक भी खरीददार ना मिलने के कारण ही सरकार इस बार 100% हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव लेकर आई है.