पूर्व नौकरशाहों के बाद अब सेना के दिग्गजों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। अंग्रेजी दैनिक द टेलीग्राफ में प्रकाशित एक खबर के अनुसार कम से कम आठ पूर्व सेना प्रमुख और कई अन्य दिग्गजों ने सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति रामनाथ कोविद को पत्र लिखकर मांग की है कि सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया जाए कि वे तत्काल सेना और सेना की किसी कार्रवाई का उपयोग राजनीतिज्ञों उद्देश्यों के लिए न करें। अपनी तरह की यह अनूठी अपील है कल आधी रात के बाद प्रकाश में आई।
यह पत्र गुरुवार को पहले दौर का मतदान पूरा होने के कई घंटे बाद सार्वजनिक हुआ है। पत्र में कहा गया है, मान्यवर, कृपया राजनीतिक नेताओं के एक असामान्य और पूरी तरह अस्वीकार्य आचरण का संदर्भ लें जहां सीमा पार जाकर किए गए हमले जैसी सैनिक कार्रवाई का श्रेय लिया जा रहा है और सशस्त्र सेना को “मोदी जी की सेना” तक कहा गया है।
इनलोगों ने कहा है कि वे सेना में काम कर रहे लोगों की भावनाओं से अवगत करा रहे हैं और इनमें हर तरह के लोग हैं। इन रिटायर अधिकारियों ने कहा कि उनकी उंगली नब्ज पर है इसलिए बोल रहे हैं और सर्वोच्च कमांडर का ध्यान आकर्षित करना चाह रहे हैं। ये ऐसी बात है जिससे सेवा कर रहे और रिटायर हो चुके लोगों में अच्छी-खासी चिन्ता और परेशानी है … इन लोगों ने राष्ट्रपति से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि हमारी सशस्त्र सेना के धर्मनिरपेक्ष और गैर राजनैतिक चरित्र को सुरक्षित रखा जाए। यह पत्र टेलीग्राफ के अलावा मुझे किसी अखबार में पहले पन्ने पर नहीं दिखा। आपको दिखा क्या?
चुनाव आचार संहिता के संबंध में राष्ट्रपति को कई चिट्ठियां लिखे जाने की सूचना औऱ खबर है। इनमें एक तो चुनाव आयोग द्वारा राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के खिलाफ लिखा गया पत्र भी है। इससे संबंधित खबर दो अप्रैल को आई थी। इसकी अभी ना पुष्टि हुई है ना खंडन हुआ है। इन सभी मामलों में क्या कार्रवाई हुई कोई नहीं जानता। पत्र राष्ट्रपति भवन में पहुंच गए इसकी कोई सूचना भी नहीं है।
लेकिन सेना के दिग्गजों ने पत्र लिखा और सेना की कार्रवाई का श्रेय लेने की “राजनीतिकों” की कोशिश की निन्दा की तो राष्ट्रपति भवन का खंडन आ गया कि पत्र नहीं मिला है जबकि खबर है कि यह पत्र कल आधी रात के बाद सार्वजनिक हुआ। खंडन दिन में 12 बजे के करीब का है।
अंग्रेजी दैनिक द टेलीग्राफ में प्रकाशित एक खबर के अनुसार कम से कम आठ पूर्व सेना प्रमुख और कई अन्य दिग्गजों ने सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति रामनाथ कोविद को पत्र लिखकर मांग की है कि सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया जाए कि वे तत्काल सेना और सेना की किसी कार्रवाई का उपयोग राजनीतिज्ञों उद्देश्यों के लिए न करें। अपनी तरह की यह अनूठी अपील है कल आधी रात के बाद प्रकाश में आई। यह पत्र नहीं पहुंचा इसकी सूचना राष्ट्रपति भवन से आ गई है।