मनदीप पुनिया / जितेंद्र चाहर
राजस्थान में शुक्रवार को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है और झुंझनूं जिले की एक एक पंचायत में महीने भर से धरने पर बैठे लोगों ने चुनाव का बहिष्कार करने का नारा दे दिया है क्योंकि उनकी जिंदगी मक्खियों ने तबाह कर दी है। अफसरों से लेकर नेताओ तक सबसके चक्कर लग चुके हैं लेकिन कुतुबपुरा के लोग अब भी जिंदा मक्खी निगलने को मजबूर हैं।
झुंझुनूं जिले से करीब 30 किलोमीटर दूर कुतुबपुरा गांव पड़ता है। कुतुबपुरा गांव के पास पहुंचते ही दुर्गंध आने लगती है। यह ऐसी दुर्गंध है जैसे हज़ारों जानवर कई दिन से मरे पड़े हों और सड़ रहे हों। गांव के बाहर खेतों में करीब 100 एकड़ में एक विशाल मुर्गी फार्म है जिसका नाम है नीतू मुर्गी फार्म। पिछले एक महीने से उसके गेट के सामने ही गांव के लोग जमा हैं और मुर्गी फार्म को बंद करने के लिए धरना दे रहे हैं।
कुतुबपुरा में अब तक मक्खियों से होने वाले संक्रामक रोगों के चलते जिनकी मौत हुई है उनके नाम हैं राजकुमार धानक, दुर्गाराम धानक, अणची देवी, सादा मेघवाल, पोपी देवी, परमेश्वरी देवी आर चंद्रावली देवी। मदन बताते हैं कि ये सभी पचास साठ पार के बुजुर्ग थे जिन्हें बीमारियां लगी हुई थीं। इनके फेफड़ों में मक्खियों और दुग्रंध के चलते संक्रमण हुआ और बीते कुछ महीनों में इनकी मौत हो गई। वे बताते हैं कि गांव के एक शख्स का इलाज अब भी दिल्ली में चल रहा है।
मुर्गी फार्म की वजह से फैली मक्खियों और दुर्गंध के खिलाफ गांव वाले कई बार आंदोलन कर चुके हैं लेकिन प्रशासन से आज तक आश्वासन के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ है। यह मुर्गी फार्म साल 2012 में यहां हरियाणा के जींद जिले के एक उद्योगपति ने खोला था।
मदनलाल ने बताया, “गांव वालों से जमीन यह कहकर ली गई थी कि यहां एक कॉलेज और एक स्कूल खोलेंगे। किसे पता था कि हमें बेवकूफ बनाकर ये लोग मुर्गी फार्म खोल देंगे। हमारे खेतों में तो एक भी बोरिंग नहीं, पीने को पानी नहीं और मुर्गी फार्म वाले पूरे 10 बोरवेल कर रखे हैं।‘’
उन्होंने बताया कि एक दिन पहले भी प्रशासन के अधिकारी यहां आए थे। ‘’आकर हमारे ऊपर चुनाव का नाम लेकर धरना उठाने की बात कहने लगे। हम सबने धरना उठाने की बजाय उन्हें साफ बता दिया है कि आसपास के सभी गांव 7 तारीख को होने वाले मतदान का विरोध करेंगे और मुर्गी फार्म बन्द नहीं हो जाता तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा।” मक्खियेा के कारण अब तक इस क्षेत्र में मुंहपके और खुरपके रोग से सैकड़ो मवेशियों की मौत हो चुकी है जिनमें गायें और भैंसें शामिल हैं।
इस मामले पर चिड़ावा ब्लॉक की एसडीएम अर्पिता सोनी ने मीडियाविजिल को बताया, “हम वहां तीन बार जा चुके हैं लेकिन गांव वाले अपनी ज़िद पर अड़े हुए हैं। हमने उन्हें समझाने की कोशिश की है। प्रशासन अपने काम पर लगा हुआ है। जल्द ही कोई हल निकाल लिया जाएगा।”