कोरोना से कराह रहे देश पर टिड्डी दल के बादल, आज दिल्ली पहुंचने का अलर्ट

तस्वीरें ट्विटर से ली गयी हैं

साल 2020 जैसे कोई काल्पनिक कहानी या उपन्यास लगने लगा है, पहले सड़क पर आंदोलन, फिर एक महामारी, हज़ारों मौत, लोग घरों में बंद और अब टिड्डी दल का उत्तर भारत में प्रकोप। पाकिस्तान से भारत आया, टिड्डियों का ये दल राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में पहले ही आतंक मचा चुका है और अब इसके यूपी और दिल्ली में बर्बादी करने के मंसूबे दिखाई दे रहे हैं। इस बाबत, केंद्रीय कृषि मंंत्रालय का अलर्ट जारी हुआ है।

दिल्ली को कितना ख़तरा?

हालांकि उत्तर प्रदेश में कुछ इलाकों में पहले ही टिड्डी दल तबाही मचा चुका है लेकिन माना जा रहा है कि इस बार ये थोड़ा असामान्य हमला है। कीट विज्ञानियों के मुताबिक राजस्थान और गुजरात के कुछ इलाकों में ये हर साल फसलों को नुकसान करते हैं लेकिन ये अपेक्षाकृत छोटे समूहों में होते हैं। लेकिन इस बार इनके दल, कई किलोमीटर लंबे हैं और दिल्ली का 22 फीसदी ग्रीन एरिया इनके लिए पसंदीदा खुराक़ साबित हो सकता है। हालांकि इनका दिल्ली की ओर आना, हवा की दिशा और रफ्तार पर निर्भर करेगा। इसके लिए कृषि मंत्रालय ने मौसम विभाग से हवा की दिशा और रफ्तार की लगातार सूचना उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

राज्यों के हिसाब से रिपोर्ट :

राजस्थान

पिछले कई दिनों से राजस्थान में टिड्डियों के हमले से किसानों में दहशत फैली हुई है। 11 अप्रैल को इन टिड्डियों के राजस्थान में पहले हमले के बाद एक बार फ़िर से रविवार को टिड्डियों का एक दल राजस्थान के पश्चिमी जिलों के साथ ही जयपुर और उससे भी आगे के कई रिहायशी इलाकों तक पहुंच गया। जालसू, जाहोता, हरमाड़, राजावास, रामपुरा जैसे कई इलाकों में लोगों ने ज़ोर की आवाज़ करके इन्हें भगाने की कोशिश की। जिसका कुछ हद तक असर भी नज़र आया। राजस्थान के जिला स्तरीय कृषि अधिकारी के मुताबिक टिड्डियों की संख्या करोड़ों में है। ये हवा के रुख के साथ ही अपना रुख तय कर रही हैं। हालांकि कृषि अधिकारी का कहना है कि हम इनसे निपटने के लिए पूरी तैयारी कर चुके हैं। पीटीआई के मुताबिक राजस्थान में इस समय खड़ी फसलों के न होने की वजह से टिड्डियों ने पेड़ों को काफ़ी नुकसान पहुंचाया है। टिड्डी दल के हमलों से राजस्थान में करीब 5 लाख हेक्टेयर की फसलों को नुकसान पहुंचाए जाने की आशंका है। भारत सरकार के मुताबिक टिड्डियों का ये हमला 1993 के बाद का सबसे बड़ा हमला है। इस वर्ष में सैकड़ों बार टिड्डियों के दल ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है।

तस्वीर: ट्विटर से साभार

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में भी टिड्डियों का एक दल राजस्थान की तरफ़ से आ गया है। पिछले 27 वर्षों में टिड्डियों का ये सबसे बड़ा हमला है। ये पिछले 3-4 दिनों से फसलों और पेड़-पौधों की पत्तियों को चट कर चुके हैं। नरेला, कोठरा, झोलियापुर के साथ ही टिड्डियों का दल सी.एम. शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र तक पहुंच गया है। एक न्यूज़ वेबसाइट से बातचीत में कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक अगर समय रहते इन पर काबू नहीं पाया गया तो करीब 8 हज़ार करोड़ रुपये तक की मूंग की फ़सल को बड़े स्तर पर नुकसान हो सकता है। कपास और मिर्ची की फसल को भी इन टिड्डियों के द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने की आशंका है। रविवार को इन टिड्डियों पर कीटनाशक से हमला किया गया था। जिसमें करीब 60 फ़ीसदी टिड्डियों को नष्ट कर दिया गया था। लेकिन टिड्डियों के दो और दल बमनई और छतरपुर जिले तक पहुंच गए हैं। किसानों को समूह बनाकर निगरानी करने को भी कहा गया है। साथ ही किसानों को बताया गया है कि यदि टिड्डी दल आता है तो ज़ोर की आवाज़ करने पर ये भगाए जा सकते हैं। मध्य प्रदेश के करीब 16 जिलों में इन टिड्डियों के हमले का असर देखने को मिल रहा है।

तस्वीर: ट्विटर से साभार

उत्तर प्रदेश

राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद टिड्डियों के दो दल उत्तर प्रदेश में भी आ चुके हैं। जानकारी के अनुसार टिड्डियों के इस दल का असर उन्नाव में देखने को मिला है। बताया जा रहा है कि मक्के की बड़ी फ़सल टिड्डियों के द्वारा चट कर दी गयी है। उत्तर प्रदेश प्रशासन की तरफ़ से कई जिलों में अलर्ट भी जारी कर दिया गया है। उन्नाव के कई क्षेत्रों में मक्के की फसल के साथ ही गन्ने की भी फ़सल को टिड्डी दलों द्वारा नुकसान पहुंचाया गया है। जिसके बाद वहां के किसानों को कोरोना के साथ-साथ अब फसल नुकसान के दोहरे संकट से भी गुजरना पड़ेगा। हालांकि प्रशासन द्वारा टिड्डी दल की निगरानी की जा रही है और साथ ही किसानों को उचित मदद प्रदान करने की भी बात कही गयी है। इसके पहले झांसी में भी टिड्डी दलों ने हमला किया था। सतर्कता बरतते हुए झांसी के मजिस्ट्रेट ने आपातकालीन बैठक बुलाई थी और आम नागरिकों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी टिड्डी दल की किसी भी मूवमेंट पर जिला प्रशासन को सूचित करने को कहा था। झांसी में टिड्डियों का एक छोटा दल और दूसरा करीब 2.5 से 3 किलोमीटर लम्बा झुण्ड देखा गया था। झांसी में सुखवा डैम के क्षेत्र में लगभग 25 हेक्टेयर में फैली कद्दू वर्ग की फसलों कों नुकसान पहुंचाए जाने की भी ख़बर आई है।

यू.पी में ललितपुर, जालौन, हमीरपुर के अलावा इटावा आगरा, मथुरा, सहारनपुर मुज्ज़फरनगर, शामली, बागपत जिलों को टिड्डी दलों के आने और उनसे होने वाले नुकसान से बचने के लिए सतर्क कर दिया गया है। टिड्डियों से निपटने के लिए राजस्थान से एक्सपर्ट्स की एक टीम भी बुलाई गयी है। साथ ही जो भी नुकसान हुआ है उसके आकलन के बाद ही असल स्थिति साफ़ होने की बात कही गयी है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने टिड्डी दलों से होने वाले नुकसान को देखते हुए जिलों के मजिस्ट्रेट और कृषि अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा एक बैठक में कहा, “जिन जिलों में टिड्डियों के आने की आशंका है वो पहले से तैयार रहें। और सभी किसानों को भी सूचित कर दिया जाए। कीटनाशक की पूरी व्यवस्था हो, जब पहले से सचेत रहेंगे तभी हम नुकसान से बच पाएंगे”। उन्होंने बताया कि सभी जिलों में कंट्रोल रूम की स्थापना की जा चुकी है। दवाइयों के छिड़काव के लिए फ़ायर ब्रिगेड की मदद ली जाएगी। उन्होंने निर्देश दिया कि रात में 11 बजे से सूर्योदय होने के पहले तक ये काम हो जाना चाहिए। साथ ही ग्रामीणों को भी अपने-अपने स्तर पर सभी उपयुक्त उपाय करने का आग्रह किया गया है। टिड्डी दल से निपटने व प्रशासन से मदद के प्राप्त करने के लिए नंबर भी जारी किये गए हैं। और टिड्डी नियंत्रण कक्ष भी बना दिए गए हैं। जो निम्न हैं:- 9450020578, 9452487879, लखनऊ कंट्रोल रूम 0522-2732063

गुजरात

गुजरात में भी पाकिस्तान से आने वाले टिड्डी दलों को वड़ोदरा और पंचमहाल के नज़दीक देखा गया था। कृषि अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर इनसे निपटने की तैयारियां भी करे जाने की बात कही है। हालांकि टिड्डियों के जितने भी दल देखे गए हैं उनके अनुसार ये अनुमान लगाया गया है कि पिछले वर्ष कि तुलना में ये कम हैं। पिछले वर्ष टिड्डी दलों ने करीब 25 हज़ार हेक्टेयर की फसलों को नुकसान पहुंचाया था। गुजरात सरकार की तरफ़ से नुकसान ग्रस्त फसलों के लिए मुआवज़े की भी घोषणा की गयी थी। गुजरात कोरोना संक्रमण से बड़े स्तर पर जूझ रहा है और अब इस संकट के समय ही टिड्डी दलों ने किसानों के साथ ही प्रशासन को भी चिंतित कर दिया है। हालांकि ताज़ा जानकारी के मुताबिक गुजरात में रकबे की फसल को नुकसान पहुंचा है। प्रशासन के अनुसार गुजरात में कीटनाशक के छिड़काव की व्यवस्था कर दी गयी है। साथ ही ग्रामीणों को भी सतर्क रहने को कहा गया है।

छत्तीसगढ़

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय की तरफ़ छत्तीसगढ़ में भी टिड्डियों के हमले की आशंका जतायी गयी है। यदि इनका हमला हुआ तो इस समय की जो भी फसल है उसे आने आने वाले टिड्डी दल बड़े स्तर पर समूल नष्ट कर देंगे। कृषि मंत्रालय की तरफ़ से इनसे बचने के लिए सभी ज़रूरी क़दम उठाने की बात कही गयी है। टिड्डियों की पहचान करने के साथ ही इनसे बचने की सभी आवश्यक जानकारी भी मंत्रालय ने दी है। इनको भगाने के लिए ज़ोर आवाज़ और फ्लेम थ्रोवर की मदद लेने के बारे में सूचना दी गयी है। प्रशासन की तरफ़ से टिड्डियों के बचाव के लिए जो भी कीटनाशक और दवाइयों की ज़रूरत है। उनके बारे में सूचित कर दिया गया है। बताया गया है कि इनका जीवन 40 से 45 दिनों तक का होता है और इनके अण्डों को गहरी जुताई करके नष्ट किया जा सकता है।

महाराष्ट्र 

महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के मामला पूरे देश में सबसे अधिक है। इसी बीच टिड्डियों के हमले ने वहां की सरकार के और किसानों के होश उड़ा दिए हैं। बताया जा रहा है कि नागपुर में टिड्डियों का दल आ चुका है। महाराष्ट्र में जिन भी किसानों ने बाजरे की फ़सल लगायी है उनको इन टिड्डी दलों से सबसे अधिक नुकसान संभावना है। पूर्वी महाराष्ट्र के कई ग्रामीण क्षेत्रों में भी टिड्डियों के भारी संख्या में होने की ख़बर आई है। कृषि विभाग की तरफ़ से कीटनाशक का छिड़काव शुरू किया जा चुका है। पीटीआई के मुताबिक कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रविन्द्र भोसले का कहना है कि टिड्डियों का झुण्ड अमरावती जिले से राज्य में आया है और ये वर्धा होते हुए नागपुर पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि टिड्डियों के दल रात में नहीं चलते। ये हवा के मुताबिक दिन में अपनी यात्रा करते हैं। फसलों और वनस्पतियों पर कीटनाशकों का छिड़काव शुरू कर दिया गया है।

कोरोना संक्रमण के दौरान टिड्डियों के कई दलों द्वारा हमले की ख़बर ने देश के सभी किसानों को चिंता में डाल दिया है। देश में किसानों की स्थितियों को देखते हुए 27 मई को 300 से अधिक संगठनों ने किसान बचाओ-देश बचाओ आंदोलन करने की बात कही है। हमने इस पर एक स्टोरी भी की है। इस आन्दोलन में किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष एक पत्र के माध्यम से मुआवजा और कर्ज़माफी की मांग उठाएंगे। रबी फ़सल, सब्ज़ी, फ़लों, और दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदे जाने की मांग की जाएगी। साथ ही खेती-किसानी से जुड़े नुकसान के लिए प्रति एकड़ 10 हज़ार के मुआवज़े की भी बात रखी जाएगी।

कोरोना संकट के बाद इस लॉकडाउन ने देश के किसानों को भूखों मरने पर मजबूर कर दिया है। क़र्ज़ के तले इतना गहरे दबा दिया है कि निकलना मुश्किल हो रहा है। कभी समय पर बुआई-कटाई नहीं हो पाई तो कभी आंधी और तूफ़ान ने खेतों में तैयार फ़सल बर्बाद कर दी। जिन किसानों के पास फ़सल कटाई के बाद रखी थी। वो उसे मंडी तक नहीं ले जा सके। जो ले भी जा पाए तो उसका कोई ख़रीददार नहीं मिला। और अब हाल ही में रही-सही कसर पाकिस्तान की तरफ़ से आये टिड्डी दलों के हमले ने पूरी कर दी है।

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