दिल्ली में हो रही हिंसा के लिए कपिल मिश्रा को जिम्मेदार मानते हुए गुरूवार, 27 फरवरी को दिल्ली स्कूल आँफ सोशल वर्क के छात्रसंघ ने कपिल मिश्रा के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करते हुए उनका बहिष्कार कर दिया है।
दिल्ली पिछले तीन दिनों से जल रही है। मरने वालों की संख्या लगभग चालीस तक पहुंच चुकी है। चारों ओर अफरातफरी मची हुई है। लोग अपना घर छोड़कर दूसरी जगह छुपे हुए हैं। लोगों के घर, दुकान, संपत्ति आदि में आग लगा दी गई है। आज से पहले दिल्ली ने इस तरह का साम्प्रदायिक 1984 के सिक्ख विरोधी दंगों में देखा था। इस दंगे के पीछे जिसकी भूमिका सबसे साफ तौर पर दिख रही है वो है भाजपा नेता कपिल मिश्रा, जो आम आदमी पार्टी से विधायक रह चुके हैं।
वही कपिल मिश्रा, जिन्होंने ग्रीनपीस और एमनेस्टी जैसे वैश्विक एनजीओ में काम किया है। जिनके बारे में कहा जाता है कि सामाजिक कार्य के बतौर छात्र इन्होंने अपनी कम्यूनिटी में काफी काम किया था। आज उनकी भूमिका को देखते हुए उनके पूर्व संस्थान के छात्र-छात्राओं ने कपिल मिश्रा को इन दंगों का मास्टरमाइंड मानते हुए उनका बॉयकॉट कर दिया है।
छात्रसंघ के प्रस्ताव में कहा गया है, “हम कपिल मिश्रा के लिए काफी शर्मिंदा हैं और इसलिए भी कि वे हमारे दिल्ली स्कूल आँफ सोशल वर्क का छात्र रहा है। उसके भड़काऊ बयान और कार्यों के कारण हमारे डिपार्टमेंट की छवि धूमिल हुई है. हम दिल्ली स्कूल आँफ सोशल वर्क के सभी सदस्य कपिल मिश्रा द्वारा फैलाई गई नफरत, हिंसा और साम्प्रदायिकता के खिलाफ हैं।”
इस प्रकरण पर संस्थान के एक छात्र रोशन ने बताया, “मानवीय मूल्यों को बचाना और बढ़ाना सोशल वर्कर्स का मुख्य काम है लेकिन कपिल मिश्रा जैसे लोग हमारे प्रोफेशन पर काला धब्बा हैं। मैं उनको दिल्ली दंगे के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक मानता हूं। शिक्षा और वैज्ञानिक चेतना को समाज में बढ़ावा देने के बजाय वह दकियानूसी विचारों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।”
दिल्ली स्कूल आँफ सोशल वर्क एक अन्य छात्र सालिम खुरेजी में फंसे हुए हैं। हिंसा के कारण वो कॉलेज नहीं आ पा रहे हैं। फोन पर बात के दौरान उन्होंने कहा, “कपिल मिश्रा माहौल के हिसाब से पार्टी और भाषा बदलते रहता है। जब आम आदमी पार्टी की लहर थी तो उनकी भाषा बोल रहा था और आज फर्जी राष्ट्रवाद की लहर है तो इसने अमित शाह और नरेंद्र मोदी की भाजपा का हाथ थाम लिया।”
सालिम ने बताया, “खुरेजी में बुजुर्गों की समझदारी से अभी तक कोई बड़ी घटना तो नहीं हुई है लेकिन डर हमेशा लगा रहता है कि कोई अप्रिय घटना न हो जाए। मेरा एक दोस्त मुस्तफाबाद में रहता है। मैं उसे लगातार तीन दिनों से फोन करने की कोशिश कर रहा हूं। उसका नंबर बंद आ रहा है और वो गायब है। उसकी बेहद चिंता हो रही है। मेरे चचेरे भाई बाबरपुर से अपना घर छोड़कर भाग गए हैं। वो डर गए हैं कि कहीं उनकी जान न चली जाए इसलिए उन्होंने दिल्ली छोड़ दिया है। खौफ का ये आलम आपको हर मुस्लिम परिवार में मिलेगा।”