कश्मीर पर प्रदर्शन सरकार को मंजूर नहीं, लोकतांत्रिक आवाजों को किया नज़रबंद

लखनऊ, 11 अगस्त 2019। कश्मीर के लोगों के साथ एकजुटता जताने के लिए आयोजित कार्यक्रम से ठीक पहले इसके दो प्रमुख आयोजकों पर कार्य्रकम रद्द करने के लिए पुलिसिया दबाव बनाये जाने को लेकर रिहाई मंच ने कड़ी निंदा की है। मंच ने कहा कि यह लोकतांत्रिक आवाजों पर बढ़ रहे हमलों की ताजा कड़ी है।

रिहाई मंच ने एनएपीएम, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), लोक राजनीति मंच, इंसानी बिरादरी आदि संगठनों के साथ जनता के चुने हुए नेताओं की नजरबंदी करने, कश्मीर को देश-दुनिया से अलग थलग कर देने और भाजपा के कार्यकर्ताओं से लेकर विधायक और मुख्यमंत्री द्वारा कश्मीरी महिलाओं के बारे में अभद्र टिप्पणियां किये जाने के खिलाफ हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा स्थल पर मौन रह कर मोमबत्तियां जलाए जाने का कार्यक्रम तय किया था। कार्यक्रम से चंद घंटे पहले क़ानून-व्यवस्था के नाम पर उसके आयोजन को रद्द किये जाने के लिए आयोजकों को मजबूर किया गया।

रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि दिन के कोई 11 बजे कैसरबाग कोतवाली के प्रभारी और अमीनाबाद थाना प्रभारी घर पहुंचे। इससे पहले बड़ी संख्या में पुलिस बल गली में डेरा जमा चुका था। पुलिस अधिकारियों ने बक़रीद और 15 अगस्त को लेकर पुलिस पर क़ानून-व्यवस्था बनाए जाने को लेकर भारी दबाव में होने का हवाला दिया।

उन्‍होंने कहा कि कार्यक्रम को सुरक्षा देना संभव नहीं और फिर धारा 144 भी लागू है। मेरे यह कहने पर कि पुलिस हमें गिरफ़्तार भी तो कर सकती है। मैंने संदीप पांडे जी से फोन पर बात की जिसमें तय हुआ कि आज का कार्यक्रम फ़िलहाल स्थगित कर दिया जाए। दोनों अधिकारी तब तक मेरे घर बने रहे जब तक कि उन्हें भरोसा नहीं हो गया कि कार्यक्रम स्थगित किया जा चुका है।

मैगसेसे पुरस्‍कार से सम्मानित डा. संदीप पांडे ने कहा कि घरेलू सामान की खरीद के लिए मुझे  पास की दुकान पर जाना था लेकिन गेट से बाहर नहीं निकलने दिया गया। तब पता चला कि घर के बाहर तो पुलिस की दो गाड़ियां मौजूद हैं और दो पुलिसवाले गेट पर मुस्तैद हैं। कहा गया कि शाम चार बजे तक मेरे घर से बाहर निकलने पर पाबंदी है। यह तो नजरबंदी है, अलोकतांत्रिक है।

आयोजन के साथी संगठनों ने एक स्वर में कार्यक्रम के स्थगन के लिए दबाव बनाये जाने को तानाशाही करार दिया। कहा कि इस दमनकारी कार्रवाई से लोकतंत्र पर बढ़ते हमलों के खिलाफ उठ रही आवाजों को ख़ामोश नहीं किया जा सकता।


रिहाई मंच की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति

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