दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर पुलिस वालों का प्रदर्शन, इंसाफ की मांग

बीते 2 नवंबर को दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट के बाहर दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद मंगलवार, 5 नवंबर की सुबह से हजारों की संख्या में पुलिसकर्मी पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. कर्मचारियों ने हाथों में जो पोस्टर लिए थे, उनमें लिखा था कि यहां कमजोर नेतृत्व नहीं, बल्कि किरण बेदी की जरूरत है. पुलिस वालों ने जमकर वी वांट जस्टिस (हमें न्याय चाहिए) के नारे लगाए. पुलिस वालों के हाथों में पोस्टर थे जिस पर लिखा था- हाउ इस जोश? नीचे लिखा था- लो सर !

पुलिस जवानों की मांग है कि वकीलों के खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए, उन्हें लगातार डर बना हुआ कि शहर में कहीं पर भी उनपर हमला हो सकता है.साथ ही पुलिसवालों ने मुख्यालय पर किरण बेदी के पोस्टर लेकर कहा- हमारा कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो.

प्रदर्शन कर रहे जवानों का कहना है कि हमारे साथ ज्यादती हो रही है, वो बिल्कुल गलत है. उन्होंने कहा कि हम शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करेंगे और कमिश्नर से अपनी बात कहेंगे. प्रदर्शन कर रहे पुलिस जवान का कहना है कि हमें वर्दी पहनने में डर लग रहा है, क्योंकि वर्दी देखते ही वकील पुलिस जवानों को पीट रहे हैं.

पुलिस के विशेष आयुक्त आर.एस. कृष्णैया ने पुलिसकर्मियों से काम पर वापस लौटने की अपील की और कहा कि यह हमारे लिए परीक्षा की घड़ी है. उन्होंने यह भी कहा कि तीस हजारी काण्ड में घायल हुए पुलिस वालों को दिल्ली पुलिस की ओर से 25000 रुपए मुआवजा दिए जाएंगे.

दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर देवेश श्रीवास्तव ने प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मियों से कहा कि आपकी सभी मांगे स्वीकार की जाएंगी. साकेत और तीस हजारी कोर्ट के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई हैं. जो पुलिसकर्मी प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की जाएगी.

तमिलनाडु आईपीएस असोसिएशन ने दिल्ली पुलिस कर्मियों के समर्थन में वक्तव्य जारी कर उनके आंदोलन को समर्थन दिया है.

https://twitter.com/smittal_ips/status/1191697129124687872

बिहार पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह और महामंत्री कपिलेश्वर पासवान की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. एसोसिएशन ने कहा है कि पुलिस और वकील दोनों कानून के जानकार हैं और किसी को भी कानून को हाथ में नहीं लेना चाहिए। एसोसिएशन ने सरकार और न्यायपालिका से मामले का जल्द हल निकालने की अपील की है.

आईएएस असोशिएशन ने भी तीस हजारी के बाहर पुलिस वालों से मारपीट की घटना की निंदा की है और मांग की है कि दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.

बता दें कि 2 नवंबर को तीस हजारी के बाहर दिल्ली पुलिस और वकीलों के झड़प के बाद 4 नवबंर को साकेत कोर्ट के बाहर भी वकीलों द्वारा एक पुलिस वाले के साथ मारपीट की घटना सामने आई थी.

दिल्ली के उपराजयपाल अनिल बैजल ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि घायल वकीलों और पुलिसवालों का इलाज कराया जाए. साथ ही एलजी ने कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील की.

2 नवंबर को तीस हजारी कोर्ट में वकील और पुलिस की झड़प के बाद संघर्ष के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पुलिसवालों के समर्थन में उनका परिवार भी आया है. प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मियों के परिवार इंडिया गेट पर मोमबत्ती जलाकर इस प्रदर्शन को अपना सांकेतिक समर्थन दे रहे हैं.

इधर गृह मंत्रालय ने मंगलवार को हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमें 3 नवंबर के कोर्ट के आदेश को संशोधित करने की मांग की गई. गृह मंत्रालय का कहना है कि 2 नवंबर को तीस हजारी कोर्ट में वकील और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद की घटनाओं पर यह आदेश लागू न किया जाए. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को वकीलों के खिलाफ सख्ती न बरतने का आदेश दिया था.

गृह मंत्रालय की याचिका पर अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) समेत वकीलों के दूसरे संगठनों को नोटिस जारी किया. इस मामले पर बुधवार को सुनवाई होगी.

इसी मामले को लेकर दिल्ली की सभी जिला अदालतों में आज भी वकील हड़ताल पर हैं. किसी भी कोर्ट में जज के सामने वकील न तो खुद पेश हो रहे हैं और न ही मुवक्किल को कोर्ट परिसर के अंदर जाने दिया जा रहा है. वकीलों की मांग है कि तीस हजारी कोर्ट में हमला करने वाले पुलिसकर्मियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए.

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