लॉकडाउन में हो रहे लगातार जनसंहार के लिए बिना प्लान किए लॉकडाउन और प्रधानमंत्री मोदी की मजदूर विरोधी नीतियों को मुख्य रूप से जिम्मेवार बताते हुए भाकपा-माले, खेग्रामस व ऐक्टू ने आज देशव्यापी शोक व धिक्कार दिवस मनाया. देशव्यापी आह्वान पर इन संगठनों के कार्यकर्ताओं व आम लोगों ने अपने व्हाट्सएप्प, फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया के प्रोफाइल को काला कर दिया.
हाथों में काला झंडा व काला बिल्ला लगाकर शारीरिक दूरी मेंटेन करते हुए अपने घरों अथवा कार्यालयों पर प्रदर्शन किया गया. ‘मजदूरों की जानें सस्ती नहीं-मोदी सरकार जवाब दो’, सभी प्रवासी मजदूरों को ट्रेन से घर पहुंचाओ, असुरक्षित फैक्टरियों के कारण लोगों की अकारण मौत का जिम्मेवार कौन- मोदी जवाब दो, भूख से मौत का जिम्मेवार कौन- मोदी जवाब दो आदि नारों की तख्तियां भी लगाए हुए थे.
संगठनों ने विशाखापट्नम गैस लीक कांड और महाराष्ट्र में ट्रेन से रौंद कर मार दिए गए प्रवासी मजदूरों की वीभत्स घटनाओं को राष्ट्रीय शोक की संज्ञा दी और इसी के खिलाफ देशवव्यापी प्रतिवाद किया. लॉकडाउन के दौरान मजदूरों की यातनाओं व परेशानियों का कोई अंत ही नहीं हो रहा है. दोनों वीभत्स घटनाओं की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच, विशाखापट्टनम में लापरवाही बरतने वाले एलजी पॉलिमर और सरकारी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई, इन हादसों की जबावदेही तय करने, मृतक परिजनों को 20-20 लाख रुपये का मुआवजा व हर प्रकार की सहायता की गारंटी व देखभाल तथा सभी प्रवासी मजदूरों की सकुशल घर वापसी की मांग उठाई गई. बिहार के छोटकी मसौढ़ी में ट्रेन से कटकर मारे गए दो युवकों के लिए भी 20 लाख मुआवजे की मांग की गई.
इस कार्यक्रम के तहत बिहार की राजधानी पटना में राज्य कार्यालय में माले राज्य सचिव कुणाल, केंद्रीय कमिटी की सदस्य सरोज चैबे, केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के चेयरमैन बृजबिहारी पांडेय, समकालीन लोकयुद्ध के संपादक संतोष सहर, ऐक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार, प्रदीप झा, पटना जिला के कार्यकारी सचिव जितेन्द्र कुमार, आदि नेताओं ने अपनी मांगों से संबंधित पोस्टर के साथ विरोध दर्ज किया तथा बांहों पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया.
माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि हम लंबे समय से प्रवासी मजदूरों को ट्रेन से घर पहुंचाने की मांग करते आए हैं, लेकिन मोदी सरकार इसे अनसुनी ही करते आई. जिसका नतीजा हुआ मजदूर पैदल ही चल पड़े और अब तक सैंकड़ों मजदूरों की मौत हो चुकी है. महाराष्ट्र की घटना तो पराकाष्ठा है, जहां 157 किलोमीटर की दूरी तय करने के उपरांत थककर ट्रैक पर निढाल पड़े 16 मजदूरों को एक ट्रेन ने रौंद दिया. विशाखापट्नम में भी तय मानकों का उल्लंघन होते रहा, जिसका नतीजा सामने है. मजदूरों को दी जा रही यातनायें न केवल सरकारी की लापरवाही बल्कि पूंजीवादी व्यवस्था के सडांध को उजागर कर रही हैं.
खेग्रामस महासचिव धीरेन्द्र झा ने कहा कि हम एक बार फिर केंद्र व बिहार की सरकार को आगाह करते हैं कि बिना किसी ना-नुकर के सभी प्रवासी मजदूरों की तत्काल घर वापसी की गारंटी करे. उनके लिए राशन व रोजगार उपलब्ध करवाए. सरकार की लापरवाही मजदूरों के आक्रोश को बढ़ाने का ही काम कर ही है.
खेग्रामस महासचिव धीरेन्द्र झा सिवान में, भाकपा-माले के तीनों विधायक महबूब आलम, सुदामा प्रसाद व सत्यदेव राम कटिहार, आरा व सिवान में काली पट्टी बांधकर विरोध जताया. ऐक्टू नेता एसके शर्मा व मुकेश मुक्त ने भागलपुर में विरोध दर्ज किया. खेग्रामस के राज्य अध्यक्ष वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, ऐक्टू नेता आरएन ठाकुर आदि भी प्रदर्शन में शामिल हुए.
चितकोहरा में ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव के नेतृत्व में विरोध दर्ज किया गया. उनके साथ ऐपवा की आबिदा खातून, टेंपो यूनियन के नेता मुर्तजा अली, नवीन मिश्रा, तनवीर आलम, श्याम जी और आइसा नेता आकाश कश्यप भी उपस्थित थे. कंकड़बाग में ऐक्टू नेता रणविजय कुमार, माले नेता पन्नालाल, नगर कमिटी सदस्य अशोक कुमार, निर्माण मजदूर नेता श्याम प्रसाद, उपेंद्र प्रसाद, अरविंद प्रसाद, पंचानंद पासवान, दिनेश दास के नेतृत्व में विरोध दर्ज किया गया. कर्मचारी नेता रामबलि प्रसाद भी शामिल हुए.
पटना जिला कार्यालय में पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य अमर, मनरेगा मजदूर सभा के राज्य सचिव दिलीप सिंह व ललन सिंह ने विरोध दर्ज किया. बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी संघ गोप गुट के प्रेमचंद कुमार सिन्हा, कुर्जी में अनिता सिन्हा व अरविंद कुमार, पटना सिटी में शंभुनाथ मेहता सहित दीघा, पटना सिटी आदि इलाकों में इन संगठनों के नेताओं ने विरोध दर्ज किया.
पटना जिला के पटना सदर प्रखंड फतेहपुर में माले राज्य कमिटी सदस्य उमेश सिंह व किसान नेता अवध किशोर सिंह; फतुहा में पार्टी की राज्य स्थायी समिति के सदस्य राजाराम, शैलेन्द्र यादव; नौबतपुर में किसान नेता कृपा नारायण सिंह; धनरूआ में खेग्रामस नेता जितेन्द्र राम, किरण तथा ग्रीन पासवान; पालीगंज में सुधीर कुमार; मसौढ़ी अनुमंडल कार्यालय पर गोपाल रविदास, सत्यनारायण प्रसाद; धनरूआ में शिवपूजन यादव सहित अन्य प्रखंडों के सैंकड़ों गांवों में आज का धिक्कार दिवस मनाया गया.
भोजपुर में जिला सचिव जवाहर लाल सिंह, राजू यादव, दिलराज प्रीतम, जितेन्द्र कुमार आदि नेताओं ने पार्टी कार्यालय में काला झंडा फहराया. गड़हनी में मनोज मंजिल के नेतृत्व में धिक्कार दिवस मनाया गया. आरवाईए के राज्य अध्यक्ष अजीत कुशवाहा व राज्य सचिव सुधीर कुमार सहित आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार भी कार्यक्रम में शामिल हुए.
जहानाबाद में रामजतन शर्मा, श्रीनिवास, रामबलि सिंह यादव, श्याम पांडेय. अरवल में महानंद, उपेन्द्र पासवान, जितेन्द्र यादव. गया में निरंजन पासवान व रीता वर्णवाल. नवादा, नालंदा, औरंगाबाद आदि जिलों में शोक व धिक्कार दिवस मनाया. नवादा में सावित्री देवी, भोला राम के नेतृत्व में प्रतिवाद हुआ. दरभंगा जिला कार्यालय में आर के सहनी, बरिऑल सामुदायिक भवन में जिला सचिव वैद्यानाथ यादव और बहादुरुपुर प्रखंड में भी कार्यक्रम हुए.
मुजफ्फरपुर में जिला सचिव कृष्णमोहन, खेग्रामस नेता शत्रुघ्न सहनी व इंसाफ मंच के नेता सूरज कुमार सिंह भी शामिल हुए. इन केंद्रों के अलावा गोपालगंज, सुपौल, समस्तीपुर, रोहतास, बेतिया, मोतिहारी व अन्य जिलों के सैंकड़ों गांवों में माले कार्यकर्ताओं ने प्रतिवाद किया.
आइसा के राज्य उपाध्यक्ष काजिम इरफानी, इंसाफ मंच के राज्य सचिव कयामुद्दीन अंसारी व उपाध्यक्ष नेयाज अहमद, जसम के अनिल अंशुमन आदि भी धिक्कार दिवस के कार्यक्रम में शामिल हुए.
विज्ञप्ति पर आधारित