कोरोना से लड़ाई के लिए टेस्ट की रफ़्तार बढ़ाने की मांग के बीच चीन से मंगाये गये रैपिड टेस्टिंग किटों को लेकर विवाद पैदा हो गया है। गौरतलब है कि दो दिन पहले भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने चीन से आये रैपिड टेस्ट किटों के इस्तेमाल पर दो दिन के रोक का निर्देश जारी किया था। कहा जा रहा था कि इन किटों से कोरोना की जांच के नतीजे में गड़बड़ी आ रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने भी बंगाल में धीमी गति से हो रहे कोरोना जांच के लिए बेकार टेस्ट किटों को दोषी ठहराया है। वहीं, रैपिड टेस्टिंग किट को लेकर उठे विवाद के बीच पंजाब सरकार ने आईसीएमआर द्वारा दिये गये किटों को लौटाने का फैसला कर लिया है।
सबसे पहले राजस्थान से शिकायत आयी थी कि आईसीएमआर से प्राप्त हुई रैपिड टेस्ट किटों में खामियां देखी जा रही थीं। कहा गया था कि इन टेस्ट किटों के ज़रिए लगभग 90 फीसदी मामलों में सही नतीजे दर्ज़ किये जायेंगे, लेकिन जब राजस्थान में पहले से ही कोरोना संक्रमित मरीजों पर टेस्ट किटों का प्रयोग किया गया तो केवल 5 फीसदी ही सही नतीजे देखे गये। पश्चिम बंगाल सरकार ने भी आरटी-पीसीआर टेस्ट किट को लेकर शिकायत की थी कि इन किटों से नतीजे सही नहीं आ रहे और मजबूरन दोबारा टेस्ट करने पड़ रहे हैं।
कई राज्यों से आयी शिकायत के बाद आईसीएमआर की 8 विशेषज्ञ टीमें राज्य सरकारों की रिपोर्ट का अध्ययन कर रही हैं। आईसीएमआर यह टीमें फील्ड में जाकर टेस्ट किटों की जांच करेंगी। अगर इनमें खामी देखी जायेगी, तो किट को मैन्युफैक्चरिंग कंपनी को वापस लौटा दिया जायेगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि टेस्टिंग किट के जो बैच राज्य सरकारों को भेजे गये थे, उन्हें जांच करने के बाद ही बांटा गया है। इस बीच सरकार गुड़गांव के मानेसर में स्थित दक्षिण कोरियाई कंपनी एचएलएल (मेसर्स एसडी बायोसेंसर) में टेस्टिंग किट के प्रोडक्शन को बढ़ाया जा सकता है। आईसीएमआर ने इस कंपनी को पहले ही मंजूरी दे दी थी। कहा जा रहा है कि मानेसर स्थित यूनिट एक हफ़्ते में 5 लाख टेस्टिंग किट उपलब्ध कराने की क्षमता रखती थी।
हरियाणा की बीजेपी सरकार ने भी बुधवार को चीन से 1 लाख रैपिड टेस्टिंग किटों का ऑर्डर रद्द कर दिया। हरियाणा सरकार में प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के अनुसार यह ऑर्डर इसलिए रद्द किया गया, क्योंकि चीनी कंपनी एक किट 780 में रुपये में दे रही थी, वहीं दक्षिण कोरियाई कंपनी एसडी बायोसेंसर एक किट 380 रुपये में दे रही है।
— Anil Vij Ex – Home Minister Haryana, India (@anilvijminister) April 22, 2020
केंद्र व कई बीजेपी शासित प्रदेशों ने चीन से महंगे दाम में क्यों खरीदे रैपिड टेस्टिंग किट?
आईसीएमआर ने रैपिड टेस्टिंग किटों के लिए सीधे चीनी कंपनी को लगभग 45 लाख किटों का ऑर्डर दिया था। आईसीएमआर ने केंद्र सरकार की तरफ़ से चीनी कंपनी द्वारा उपलब्ध कराये गये किटों को 795 रुपये प्रति किट के हिसाब से खरीदा। कर्नाटक सरकार ने भी वहीं से 795 रुपये प्रति किट के हिसाब से किट खरीदी। समान किट को आंध्र प्रदेश सरकार ने किसी और कंपनी से खरीदा, जिसके दाम पहले लगभग 700 रुपये तय हुए थे, पर बाद में लगभग 640 रुपये पड़े।
हरियाणा सरकार में चीन से ही किट लिया और 780 रुपये दिये। जबकि, छतीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने टेस्टिंग किट 337 रुपये के हिसाब से दक्षिण कोरियाई कंपनी एसडी बायोसेंसर से खरीदे।
We are procuring 75,000 high quality rapid testing kits at a benchmark price of ₹337 + GST from a South Korean company based in India, which has proven to be the lowest bidder. The rate we have been able to close at is the lowest in India. (1/2)
— T S Singhdeo (@TS_SinghDeo) April 17, 2020
अब हरियाणा सरकार भी एसडी बायोसेंसर से किट खरीद रही है। आईसीएमआर ने भी अब इसी कंपनी को मंजूरी दे दी है। तो जब एसडी बायोसेंसर के भारतीय फर्म का विकल्प सामने था, तो पहले ही इस ओर गौर क्यों नहीं किया गया?
आईसीएमआर के अनुसार अभी तक केंद्र सरकार ने कोरोना टेस्ट के मद में 120 करोड़ खर्च किये हैं। फ़िलहाल जब चीनी रैपिड टेस्टिंग किटों की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं, इन किटों की खरीद प्रक्रिया पर भी सवाल उठते हैं। एक ही किट के दाम राज्यों के लिए अलग-अलग कैसे हो गये, यह बड़ा सवाल उठता है। छतीसगढ़ और केंद्र सरकार के खरीद मूल्यों में दोगुने से भी ज़्यादा का अंतर क्यों है, इसका कोई औचित्य नहीं दिखायी देता। दूसरा, सारी बातों का ध्यान रखकर केंद्रीयकृत खरीद की व्यवस्था क्यों नहीं बनायी गयी, जिससे किसी भी टकराव से बचा जा सके। अशोक गहलोत ने इस संबंध में ट्वीट भी किया था:
उस समय मैंने प्रधानमंत्री जी के साथ वीडियो कांफ्रेंस में अनुरोध किया था कि पीपीई, मास्क, वेंटिलेटर, रैपिड एवं पीसीआर टेस्ट किट आदि की केन्द्रीयकृत खरीद हो, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। अब रैपिड टेस्ट के नतीजों पर देशभर में जो संदेह का वातावरण बना है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 21, 2020
भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन, टर्की और नीदरलैंड्स ने भी चीनी किटों को लेकर शिकायत की थी। हालांकि, मार्च महीने में स्पेन की शिकायत के बाद चीनी दूतावास ने कहा था कि स्पेन ने जिस कंपनी से यह किट खरीदे थे, उसे चीन की मेडिकल अथॉरिटी की मान्यता नहीं प्राप्त थी।