कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन ने पहले ही किसानों की परेशानियां बढ़ाई हुई हैं और अब असमय भारी आंधी-बारिश ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाने का काम किया है। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में भारी बरसात और आंधी के चलते केले के लगभग 100 एकड़ क्षेत्र के बागान नष्ट हो गये हैं।
अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे अनंतपुर के येल्लानुर मंडल के कुचिवरिपल्ली गांव के किसानों को 1 करोड़ से ज़्यादा की क्षति पहुंची है। केले के किसान पहले से ही संकट की स्थिति में थे और कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के कारण अपनी उपज बाज़ार में बेच नहीं पा रहे थे। ऐसे में अब स्थानीय किसान अपने निकट भविष्य को लेकर चिंता से घिर गये हैं।
Andhra Pradesh: Several banana plantations in Anantapuram district destroyed due to heavy rain & gusty winds in the area. (29.04.20) pic.twitter.com/gpuM45TmoH
— ANI (@ANI) April 30, 2020
दूसरी तरफ़ गुजरात के राजकोट में फूलों की खेती करने वाले किसान भी मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लागू हुआ। लॉकडाउन के चलते सारा काम-काज हो गया, जिससे फूल उगाने वाले किसानों को दिक्कतें आनी शुरू हो गयी हैं। बाज़ार बंद है तो फूल की मांग भी बंद हो गयी है और फूल खेतों में पड़े-पड़े सड़ रहे हैं। फूल बिकने बंद हो गये तो इन्हें उगाने वाले किसानों के लिए अब घर चलाना मुश्किल हो गया है। किसान केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनके राहत पैकेज की घोषणा करके हमारी सहायता करनी चाहिए। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में फूल की खेती करने वाले किसान फूलों की अच्छी उपज से खुश थे, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन चलते कोई मांग नहीं फूलों की। फूल खेतों में पड़े-पड़े सड़ रहे हैं, मजबूरन किसानों को फूल फेंकने पड़ रहे है।
गुजरात: राजकोट में फूलों की खेती करने वाले किसान लॉकडाउन में बहुत ही मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। फूल खेत में ही सड़ रहे हैं और किसानों को मजबूरन उन्हें तोड़ कर फेंकना पड़ रहा है। #CoronavirusLockdown pic.twitter.com/2UlOHGLWva
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 30, 2020
लॉकडाउन जिस वक़्त हुआ था, उस समय रबी की फसलों की कटाई और खरीफ़ की फसलों की बुआई की तैयारी चल रही थी। तो फसलों की कटाई से लेकर बाज़ार में पहुंचाने आदि की समस्या पैदा होने लगी और फसलें खेतों में खड़ी सड़ने लगी थीं। 15 अप्रैल के बाद इस दिशा में छूट मिलनी शुरू हुई ही थी कि असमय बारिश ने इस काम में और बाधाएं पहुंचा दी हैं। देशभर में जगह-जगह बारिश से फसलें ख़राब होने की ख़बर है। फल व सब्जियों के किसानों को लगभग 80 फ़ीसदी नुकसान पहुंचा है, वहीं फूल उगाने वाले किसानों का 100 फ़ीसदी नुकसान हुआ है। दुग्ध उत्पादन से जुड़े किसानों पर 50 फ़ीसदी की मार पड़ी है। मुर्गीपालन, मत्स्य पालन और मधुमक्खी पालन से जुड़े किसानों को जबरदस्त क्षति पहुंची है।
माननीय मोदी जी
कृपया गौर से इन तस्वीरों क संज्ञान ले नही किसान आपको कभी माफ नही करेगा तुरन्त घोषणा करे ।
जिससे किसान को मानसिक आघात से बचाया ज सके और ओ कोई गलत निर्णय न कर ले
जय जवान जय किसान जय महत्मा टिकैट
श्री राकेश टिकैत जी जिन्दा बाद
श्री राजेश सिंह चौहान जी जिन्दा बाद pic.twitter.com/F7nOcHrblu— Ajay kumar prajapati (@ajaykumar201358) April 27, 2020
भारतीय किसान यूनियन की प्रधानमंत्री से आर्थिक पैकेज की मांग
रबी की फसल इस साल अच्छी हुई थी। लॉकडाउन ने इस सीजन भारी नुकसान पहुंचाया है। भंडारण की समस्या पैदा हुई ही, खरीदार न होने के कारण मांग में बेहद कमी दर्ज़ की गयी है। क्रेडिट सुईस की रिपोर्ट में पहले ही आ चुका है कि फल व सब्जियों के किसानों 20 हज़ार करोड़ का नुकसान हो चुका है। दुग्ध उत्पादन से जुड़े राज्यों के किसानों को प्रतिमाह 12 हज़ार करोड़ का घाटा हुआ है।
इन्हीं परेशानियों को देखते हुए भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री मोदी से पत्र लिखकर किसानों के लिए 1.5 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की मांग की है। पत्र में किसान सम्मान निधि की राशि को बढ़ाकर 6 हज़ार से 24 हज़ार करने की मांग भी की गयी है।
पत्र में निम्नलिखित मांगें हैं:
- लाॅकडाउन के अन्तर्गत फल, सब्जी, दूध, पोल्ट्री, फिशरीज, मधुमक्खी पालक, फूल उत्पादक किसानों के नुकसान की भरपाई हेतु भारत सरकार द्वारा अविलम्ब 1.5 लाख करोड़ का पैकेज दिया जाए।
- किसान सम्मान निधि का लाभ प?हली किश्त की तरह सभी किसानों को दिया जाए। किसान सम्मान निधि की राशि को 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 24 हजार रुपये किया जाए।
- किसानों की सभी तरह की फसलें कपास, गेंहू, चना, सरसों, सब्जियों की खरीद की जाए।
- लम्बे समय से मौसम की मार झेल रहे किसानों को गेंहू पर 200 रुपये कुन्तल बोनस दिया जाए।
- किसानों के सभी तरह के कर्ज के ब्याज पर एक साल की छूट व खरीफ की बुवाई में खाद, बीच की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
- फल, सब्जी, फूल उत्पादक किसानों की फसली ऋण माफ किए जाएं।
- देश में अन्न की आत्मनिर्भरता के साथ-साथ दलहन व खाद्य तेल में भी देश को आत्मनिर्भर बनाया जाए। कृषि आयात पर देश की निर्भरता को समाप्त करने हेतु खाद्य तेल व दलहन उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर उनकी फसलों की सरकारी खरीद की जाए।
किसानों के लिए अभी तक कोई योजना नहीं सरकार के पास
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में उल्लेख करने के अलावा लॉकडाउन से मुश्किलों में फंसे किसानों के लिए कोई विशेष योजना नहीं बनायी है। ग्रामीण इलाकों में, केवल फसल काटने की छूट देने भर से किसानों की हालत सुधरने वाली नहीं है। 26 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.7 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की थी, पर इसमें भी किसानों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन किसानों की हालत देखते हुए वक़्त आ गया है कि सरकार को तुंरत राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए, अन्यथा स्थिति और बिगड़ती ही दिख रही है।