भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या इटली से ऊपर: ऊपर जाता हुआ चिंताओं का ग्राफ

5 जून, 2020 के नए कोरोना संक्रमण आंकड़ों के मुताबिक भारत, इटली से ऊपर जा चुका है। 9,462 नए मामलों के साथ, भारत में कुल कोरोना संक्रमण के मामले अब 2,36,184 हो चुके हैं – जबकि इटली में कुल मामलों की संख्या 2,34,531 है। भारत में एक बार फिर सबसे अधिक नए मामले महाराष्ट्र में सामने आए, लेकिन दिल्ली में नए मामलों की संख्या फिर 1300 से अधिक है। ये ही स्थिति तमिलनाडु की है, जो लगातार दूसरे स्थान पर बना हुआ है और वहां 5 जून के नए मामले भी 1,438 हैं।

दुनिया में संक्रमण की स्थिति से तुलना

नए कोरोना संक्रमण आंकड़ों के साथ ही, भारत अब कोरोना संक्रमण के मामले में दुनिया में छठे स्थान पर है। भारत पहले ही एशिया के सभी और यूरोप के ज़्यादातर देशों से कोरोना संक्रमण के नंबर्स में आगे जा चुका है। अब भारत से अधिक कोरोना मामले केवल यूरोप के दो देशों स्पेन और यूके में ही हैं। उसके अलावा सबसे अधिक मामले यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, ब्राज़ील और रूस में हैं।

जिस तरह से भारत में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, उस से एक बात साफ है कि भारत आने वाले सप्ताह में न केवल स्पेन, बल्कि यूके से भी ऊपर जा सकता है। इस समय भारत में दुनिया के कुल मामलों के 3.45 फीसदी कोरोना मरीज़ हैं।

हमें चिंता क्यों करनी चाहिए?

हालांकि केंद्र सरकार की मानें तो नागरिकों के लिए चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि हमारा रिकवरी रेट बहुत अच्छा है। लेकिन हम रिकवरी रेट के बारे में पहले भी बात कर चुके हैं। हम जानते हैं कि रिकवरी रेट इसलिए हमको बेहतर दिख रहा है, क्योंकि हम WHO के दिशानिर्देशों का पालन किए बिना, लोगों के दो कोरोना निगेटिव टेस्ट किए बिना ही – उनको डिस्चार्ज कर रहे हैं या ठीक हो गया मान ले रहे हैं। लेकिन दरअसल चिंता की असल बात ये ही है। रिकवरी डेटा पर संतोष से भी आगे जाकर खुशी जता रहे, सरकारी अधिकारियों की बातों से इतर अगर हम केवल उन देशों के डाटा पर ही नज़र डाल लें, जिनसे हम कोरोना संक्रमण की संख्या में न केवल आगे निकल गए हैं – बल्कि जो हमसे आगे हैं। तो हमको चिंता होगी।

5 जून के आंकड़ों के मुताबिक हम इटली से अधिक कोरोना संक्रमण के मामलों वाले देश बन गए हैं, यानी कि दुनिया में छठे सर्वाधिक मामलों वाले देश। लेकिन इटली में कोरोना संक्रमण का ग्राफ वो कहता है, जिस पर हमको सोचना होगा। वहां पर कोरोना का कर्व नीचे की ओर जा रहा है, यानी कि वहां संक्रमण के नए मामले लगातार कम हो रहे हैं। 5 जून को इटली में केवल 518 नए मामले थे, जबकि हमारे यहां 9,000 से अधिक।

इटली में अबव तक हर रोज़ नए मामलों का ग्राफ

इटली में नए मामलों का ग्राफ 21 मार्च के बाद से लगातार नीचे की तरफ गया है। ये वही समय है, जब भारत में लॉकडाउन का एलान किया गया था और नए कोरोना संक्रमण मामलों की संख्या बेहद कम थी। हमारी सरकार ने ये तक दावा कर दिया था कि 16 मई तक हमारे नए कोरोना संक्रमण के मामले शून्य हो जाएंगे। लेकिन दरअसल हमारे लॉकडाउन करते समय, इटली को कोरोना के सबसे बुरी तरह प्रभावित देश के तौर पर देखा जा रहा था।इसके बाद हुआ उल्टा, इटली में नए मामले लगातार कम होते चले गए और हमारे यहां बढ़ते गए। हम नीचे दिए गए ग्राफ में देख सकते हैं कि कैसे इटली के मुकाबले भारत का ग्राफ बिल्कुल उलट है।

 

भारत में प्रतिदन नए कोरोना संक्रमण के मामले (www.worldometres.info)

सिर्फ इतना ही नहीं, इटली में कोरोना का कर्व अब चढ़ाई पर नहीं, बल्कि ढलान पर है। इटली जहां की तर्ज पर हम खड़े होकर, पहले लॉकडाउन के पहले – बालकनी में थालियां बजा रहे थे, वहां कोरोना कर्व नीचे आ रहा है। हमारे देश में लॉकडाउन लागू होते समय, ये कर्व ऊपर की ओर जा रहा था। अब देश में लॉकडाउन तीसरे महीने में है, लेकिन हमारा कर्व ऊपर की ओर है।

इटली में एक्टिव मामलों का कर्व

भारत का कोरोना के एक्टिव मामलों का कर्व जो भविष्य या कहानी दिखाता है, वो डरावनी है। क्योंकि दरअसल शुरुआती कोरोना मामलों का कर्व भले ही इटली से कम हो, लेकिन अप्रैल के बाद से, हम न केवल लगातार ऊपर जा रहे हैं – बल्कि हम नीचे आते दिख ही नहीं रहे हैं। यानी कि सीधे शब्दों में हमारा कोरोना संक्रमण का चरम अभी आया ही नहीं है।

भारत का एक्टिव कोरोना मामलों का कर्व

हम ज़्यादा कहना नहीं चाहते हैं, लेकिन सच ये है कि हमसे कोरोना मामलों की संख्या में ऊपर के दो यूरोपीय देशों में भी कोरोना के नए संक्रमण के मामले हम से काफी कम हैं। ऐसे में ये चिंता की बात है।

चिंता की बात ये तो है ही कि हम अब कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या में तमाम सर्वाधिक पीड़ित देशों से ऊपर जाते जा रहे हैं। चिंता की बात ये भी है कि अमेरिका, रूस और ब्राज़ील के बाद, सर्वाधिक नए मामले भारत में ही आ रहे हैं। हमारा कोरोना कर्व भी अमेरिका और ब्राज़ील जैसा ही है। ये स्थिति भी तब है, जब हम WHO की गाइडलाइंस का पालन नहीं कर रहे हैं और हम कोरोना पीड़ितों को बिना नेगेटिव टेस्ट के डिस्चार्ज कर रहे हैं। और तो और इन देशों की तुलना में हम प्रति मिलियन टेस्ट भी बेहद कम कर रहे हैं। लेकिन सबसे बुरा ये है कि हम ये सब देखना नहीं चाह रहे हैं, हमारी सरकारें आंकड़ों से खेल रही हैं – हमको गुमराह कर रही है और हम अतार्किक रिकवरी डाटा पर फूले नहीं समा रहे हैं। ज़ाहिर है, सबसे पहले हमको सबसे बड़े ख़तरे से निपटना है और वह है – सच को छिपाया जाना।


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