मुख्यधारा का मीडिया लगातार यूपी चुनाव को द्विध्रुवीय बनाने में जुटा हुआ। उसकी मानें तो सारी लड़ाई बीजेपी और समाजवादी पार्टी में सिमट गयी है। ऐसे में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में नयी ताक़त जुटा रही कांग्रेस पार्टी का आत्मविश्वास चौंकाता है। राजनीतिक पंडितों की ओर से चेताने के बावजूद पार्टी ने पहली सूची में 40 फ़ीसदी टिकट महिलाओं को देने का अपना वादा पूरा किया। इनमें से कई महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने चुनाव लड़ने या राजनीति में सक्रिय होने के बारे में कभी सोचा तक नहीं था, लेकिन प्रियंका गांधी आज उनके भरोसे का प्रतीक हैं और वे चुनावी समर में कूद पड़ी हैं।
आख़िर कांग्रेस के इस आत्मविश्वास का आधार क्या है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने लगभग दो लाख कार्यकर्ताओं की एक अदृश्य सेना तैयार की है जो इस आत्मविश्वास का सबसे बड़ा आधार है। यह ‘विजय सेना’ दरअसल, ‘विचार सेना’ है। अदृश्य इसलिए कि यह एक साथ कहीं नहीं है पर यूपी के हर कोने में इसकी तैनाती है। इस सेना में पार्टी की विचारधारा से लैस प्रशिक्षित कार्यकर्ता हैं जो न सिर्फ़ चुनावी मोर्चे पर तैनात हो गये हैं बल्कि आने वाले दिनों में भी बड़ी भूमिका निभाने को तैयार हैं। इस सेना को तैयार करने पर कांग्रेस बीते कई महीनों से चुपचाप काम कर रही थी। यूपी की 388 विधानसभाओं में अब तक 470 प्रशिक्षण शिविर लगाकर कांग्रेस की ये सेना तैयार की गयी है।
दरअसल, पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी ने जब से यूपी की जिम्मेदारी संभाली है संगठन को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह बात भी समझी गयी कि संगठन की मज़बूती के लिए सबसे ज़रूरी है कि कार्यकर्ता कांग्रेस की मूल विचारधारा को आत्मसात करें क्योंकि इसके बिना संगठन बनाना सिर्फ काग़ज पर ढांचा बनाने जैसा होगा। इसी सोच के तहत व्यापक स्तर पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने का अभियान शुरू किया गया।
कांग्रेस के मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग के वाइस चेयरमैन डॉ.पंकज श्रीवास्तव बताते हैं कि पार्टी ने इसके लिए ‘प्रशिक्षण से पराक्रम’ कार्यक्रम की परिकल्पना की और पिछले साल जुलाई में पूरे प्रदेश को सात क्षेत्रों में बांटकर प्रशिक्षण शिविर लगाये गये। 1 से 8 जुलाई 2021 के बीच आयोजित इन दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविरों में ज़िला, शहर और ब्लॉक अध्यक्षों को प्रशिक्षित किया गया। इन प्रशिक्षण शिविरों में कांग्रेस की विचारधारा पर विस्तार से चर्चा की गयी। इसके अलावा यूपी में बाकी विपक्षी दलों की नकारात्मक भूमिका, सोशल मीडिया के प्रभावी इस्तेमाल और बूथ मैनेजमेंट की बारीक़ियों पर भी चर्चा हुई। अगले चरण में सभी 75 जिला मुख्यालयों पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये गये जिनमें ब्लाक कमेटी सदस्यों के अलावा न्याय पंचायत और वार्ड के अध्यक्ष शामिल हुए। इसके बाद विधानसभा स्तर पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये गये। अब तक 388 विधानसभाओं में 399 प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा चुके हैं जिनमें ब्लाक कमेटी, न्याय पंचायत, वार्ड और ग्राम कमेटी के अध्यक्ष शामिल हुए। क्षेत्र, ज़िला और विधानसभा स्तर पर कुल मिलाकर 470 प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये गये जिनमें 1 लाख 90 हज़ार कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया।
इन प्रशिक्षण शिविरों में एक ख़ास बात इनका हाईटेक होना भी रहा। इनमें सिर्फ विशेषज्ञों के भाषण नहीं हुए बल्कि एक बड़ी स्क्रीन पर वीडियो और पावर प्वाइंट प्रेज़ेंटेशन के ज़रिये कार्यकर्ताओं को पूरा विषय समझाया गया। आमतौर पर एक शिविर में पांच विषय निर्धारित थे। पहला विषय कांग्रेस की विचारधारा थी जिसमें कांग्रेस के उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष और स्वतंत्र संघर्ष के दौरान लिये गये लोकतंत्र, समता, धर्मनिरपेक्षता आदि संकल्पों पर चर्चा हुई, जो संविधान के आधार हैं। इसी के साथ महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरू आदि स्वतंत्रता संघर्ष के तमाम नायकों के त्याग-बलिदान और उनके ख़िलाफ़ जारी दुष्प्रचार की असलियत बतायी गयी। दूसरा विषय था ‘आरएसएस और बीजेपी से भारत और भारतीयता को ख़तरा’ जिसके तहत बताया गया कि कैसे आरएसएस देश के बहुलतावादी ताने-बाने और संविधान को नष्ट करने में जुटा है। तीसरा विषय था- ‘किसने बिगाड़ा उत्तर प्रदेश?’, जिसके तहत समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की उत्तर प्रदेश में निभायी गयी नकारात्मक भूमिका पर चर्चा की गयी। इसके अलावा कार्यकर्ताओं को बूथ मैनेजमेंट और सोशल मीडिया के बेहतर इस्तेमाल के गुर भी कार्यकर्ताओं को सिखाये गये। पार्टी इन शिविरों को कितनी गंभीरता से ले रही थी, इसका पता इस बात से भी चलता है कि बीच-बीच में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी ने भी प्रशिक्षण शिविरों को ऑनलाइन संबोधित किया। इससे प्रशिक्षण में शामिल होने वाले कार्यकर्ताओं का जोश कई गुना बढ़ा।
डा.पंकज श्रीवास्तव कहते हैं कि उत्तर प्रदेश, आरएसएस के उस ज़हरीले अभियान की प्रयोगभूमि बना हुआ है जिसके निशाने पर देश का संविधान है। बीजेपी तो उसका मुखौटा भर है जिससे लड़ने के लिए सिर्फ चुनाव का मैदान काफ़ी नहीं है। आरएसएस को विचार के मोर्चे पर भी परास्त करना होगा वरना गुणा-गणित से मिली चुनावी जीत बेमानी हो जाएगी। आरएसएस के दुष्प्रचार ने जिस तरह बुद्ध, कबीर, रैदास की भूमि पर उनकी शिक्षाओं से उलट नफ़रत की आंधी पैदा करने की कोशिश की है उसका मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने यह विचार सेना तैयार की है। कांग्रेस के ये वैचारिक योद्धा सिर्फ चुनाव में बूथ मैनेजमेंट जैसा अहम ज़िम्मेदारी नहीं निभायेंगे बल्कि यूपी की गंगा-जमुनी तहज़ीब की रक्षा के लिए गांव-गांव मोर्चा संभालेगी। कांग्रेस की विचारधारा से लैस ये सिपाही हर चौराहे पर आरएसएस के दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए तैयार हैं।
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