सी.एम के चाचा हैं, लॉकडाउन में नियम तोड़ कर मंदिर में दर्शन करेंगे!

सरकार का आदेश है कि कोरोना संक्रमण की वजह से हर तरह के सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक स्थान बंद रहेंगे लेकिन अगर आप मुख्यमंत्री के चाचा हैं तो आपके लिए इन आदेशों के कोई मायने नहीं हैं। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड (टी.टी.डी) के अध्यक्ष और पूर्व सांसद वाई वी सुब्बा रेड्डी अपने परिजनों के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुँच गए। जबकि मंदिर और गर्भगृह में पुजारी के अलावा किसी और के जाने पर पाबंदी है।

कोरोना महामारी के चलते 20 मार्च 2020 से ही मंदिर को दर्शन के लिए बंद कर दिया गया था। फ़िर भी वाई वी सुब्बा रेड्डी अपने जन्मदिन के अवसर पर लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करते हुए अन्य लोगों के साथ मंदिर में दर्शन करने पहुंच गए। वाई वी सुब्बा रेड्डी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस.जगनमोहन रेड्डी के चाचा है। बता दें कि देशव्यापी लॉकडाउन के चलते देश भर में किसी भी धार्मिक स्थान में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के जाने की मनाही है। इस घटना के बारे में आंध्र प्रदेश के विपक्षी दल तेलुगू देशम पार्टी के महासचिव नारा लोकेश ने एक ट्वीट भी किया है। उन्होंने लिखा है कि कोरोना वायरस के चलते भक्त और श्रद्धालु मंदिर में दर्शन नहीं कर सकते लेकिन स्वर्गीय वाई.एस.राजशेखर रेड्डी के भाई और उनके परिवार के लिए मंदिर के कपाट खुल जाते हैं। वो सिर्फ़ टी.टी.डी बोर्ड के अध्यक्ष ही नहीं हैं बल्कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के चाचा भी हैं।

वीडियो और फ़ोटो सामने आये

साभार: नारा लोकेश/ट्विटर

इस घटना से संबंधित वीडियो और फ़ोटो सामने आये हैं, जिसमें आप देख सकते हैं कि दर्शन के दौरान न ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन किया जा रहा है न ही किसी ने मास्क लगा रखा है। हालाँकि वाई वी सुब्बा रेड्डी ने इस घटना पर अपना पक्ष रखा है उन्होंने कहा, “वह टी.टी.डी बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर मंदिर के निरीक्षण के लिए गए थे और उनकी पत्नी और उनकी माँ बस उनका सहयोग करने गयी थीं।”

विवादित खनन कारोबारी भी साथ में मौजूद

जबकि वाई वी सुब्बा रेड्डी के परिवार के अलावा मंदिर में विवादित खनन कारोबारी जे.शेखर रेड्डी और दो अन्य सदस्य भी मौजूद थे। शेखर रेड्डी टी.टी.डी.बोर्ड के सदस्य भी हैं। नोटबंदी के दौरान उनके यहाँ छापेमारी में 2 हज़ार के नए नोटों की बड़ी रकम बरामद हुई थी। उसके बाद उन्हें गिरफ़्तार भी किया गया था। 2016 में चंद्रबाबू नायडू सरकार ने उन्हें मंदिर के बोर्ड से हटा दिया था।

 

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