चार्जशीट: ‘हिंदुत्व विरोध’ की वजह से मार दिया गया गौरी लंकेश को!

 

‘हिंदुत्व विरोधी’ विचारों की वजह से गौरी लंकेश की हत्या की गई। गौरी लंकेश के हत्यारे सनातन संस्था से जुड़े थे और इस बात से ख़फ़ा थे कि गौरी हिंदू धर्म और उसकी मान्यताओं के विरोध में लिखती-बोलती थीं।

पुलिस ने हत्या के प्रथम आरोपी के.टी.नवीन कुमार के ख़िलाफ़ 651 पेज की चार्जशीट दायर की है जिससे यह बात सामने आई है। हालांकि नवीन कुमार का मजिस्ट्रेट के सामने दिये गए इकाबालिया बयान और उसके तीन सहयोगियों के बयान सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। ऐसा मामले की जाँच कर रही एसआईटी के अनुरोध पर किया गया है क्योंकि उसे लगता है कि इससे अन्य आरोपियों को फ़ायदा होगा जो अभी पकड़ से बाहर हैं।

अंग्रेज़ी दैनिक द हिंदू ने चार्जशीट की एक प्रति अपने पास होने का दावा करते हुए लिखा है कि नवीन की पत्नी रूपा सी.एन ने एसआईटी को दिए अपने बयान में कहा है कि वह सनातन धर्म संस्था के साथ 2017 में जुड़ा था।

रूपा ने अपने बयान में कहा है कि पति नवीन कुमार उसे 2017 में शिवमोगा ले गया था जहाँ सनातन धर्म संस्था के लोगों से उसका परिचय कराया था। दशहरा के तीन महीने पहले उसने नवीन के पास एक पिस्तौल और गोलियाँ देखी थीं। उसने पूछने पर बताया था कि गोलियाँ नकली हैं, बंदरों को भगाने के काम आएँगी।

‘दशहरा पर उसने पिस्तौल की पूजा की थी’- रूपा ने अपने बयान में कहा है।

रूपा के मुताबिक नवीन ने दशहरा के बाद सनातन धर्म संस्था के एक व्यक्ति को घर बुलाया था जो रात में भी ठहरा था।

रूपा ने कहा है कि उसके पति ने बताया था कि वह भी उन 400 हिंदू कार्यकर्ताओं में है जिन्हें गोवा में आयोजित होने वाले धर्म शिक्षा सम्मेलन के लिए चुना गया। उसने सम्मेलन में भाग लिया था। दो महीने बाद वह हुबली में भी ऐसे ही एक कार्यक्रम में शामिल हुआ था।

चार्जशीट में sanatan.org और hindujagruti.org वेबसाइटों की फ़ॉरेंसिक रिपोर्ट भी है। कहा गया है कि इनमें 10 दिसंबर 2017 को मद्दुर में हुई बैठक का जिक्र है। पुलिस के मुताबिक नवीन कुमार इसमें शामिल हुआ था, हालाँकि चार्जशीट में सनातन संस्था का सीधे-सीधे नाम नहीं लिखा गया है। एक पुलिस अफसर के मुताबिक ”पूरी सनातन संस्था इस षडयंत्र में शामिल थी, ऐसा कहने के लिए प्रमाण अभी नहीं हैं।”

चार्जशीट में नवीन कुमार पर आरोप है कि उसी ने उन गोलियों की सप्लाई की जिनसे गौरी लंकेश को मारा गया। नवीन कुमार ने आठ साल पहले, 3000 रुपये में बैंगलौर की एन.आर.रोड स्थित एक दुकान से 0.32 एमएम की 18 गोलियाँ खरीदी थीं। उसके पास पिस्तौल का लाइसेंस नहीं था, लेकिन उसने लॉकेट बनाने की बात कहकर किसी तरह ये गोलियाँ हासिल की थीं।

उधर, टाइम्स ऑफ इंडिया में छपा है कि एसआईटी को अमोल काले और फरार चल रहे निहाल उर्फ दादा पर गौरी लंकेश हत्याकांड का मास्टरमाइंड होने का शक है। 37 वर्षीय अमोल काले एसआईटी की हिरासत में है। इसके अलावा एक और आरोपी मनोहर यादवे भी पुलिस हिरासत में है। उसने स्वीकार किया है कि वह काले और दादा को लगातार गौरी लंकेश की गतिविधियों की खबर देता था। उसने के.टी.नवीन कुमार के साथ कई बार गौरी लंकेश का, आर.आर.नगर स्थित घर से दफ्तर और दूसरी जगहों पर जाते हुए पीछा किया था। एसआईटी का कहना है कि इससे इशारा साफ है लेकिन अभी और प्रमाण जुटाने की ज़रूरत है।

गौरतलब है कि गौरी लंकेश के पहले डॉ.नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पनासरे और एम.एम.कलबुर्गी की भी हत्या कर दी गई थी। ये सारे लोग समाज में फैले अंधविश्वासों और अन्याय के ख़िलाफ़ लिखते पढ़ते थे जो हिंदुत्ववादियों को पसंद नहीं आ रहा था। तर्कवादियों का विरोध करने वाले भारतीय संस्कृति की दुहाई देते हैं, लेकिन उन्हें शायद पता नहीं कि भारत में विभिन्न मतों के खंडन-मंडन के लिए शास्त्रार्थ की लंबी परंपरा रही है। यहाँ तक कि 1886 में आर्यसमाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती ने हरिद्वार के कुंभ मेले में पाखंड खंडिनी पताका फहराकर मूर्तिपूजा के औचित्य पर शास्त्रार्थ के लिए ललकारा था। आज के हिंदुत्ववादी तो उनकी भी हत्या कर देते जैसे गौरी लंकेश को मारा गया।

 

 

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